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सरसों की फ़सल में तना गलन और रतुआ जैसे रोगों का शर्तिया इलाज | 5 मिनट में जाने

सरसों की फ़सल में तना गलन और रतुआ जैसे रोगों का शर्तिया इलाज | 5 मिनट में जाने
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सरसों में तना गलन और सफेद रतवा के उपचार के लिए 40 से 50 दिन पर करें यह उपाय।

किसान भाइयों, दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर-भारत में शीतलहर के साथ कड़ाके की ठंड पड़ रही है। साथ ही पाला भी गिर रहा है। इससे आमजन के साथ-साथ पक्षी और फसलों का भी हाल बेहाल हो गया है। वहीं, शीतलहर और पाला की वजह से सरसों की खेती पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे सरसों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। दरअसल, सरसों एक ऐसी फसल है जिसमें शीतलहर से कई तरह की बीमारियां अपने आप उत्पन्न हो जाती हैं। किसानो को हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि उनकी फसल सुरक्षित रहे और किसी भी प्रकार की बीमारी का प्रभाव न हो। सरसों जैसे महत्वपूर्ण और लाभकारी कृषि उत्पाद में भी कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, जो अगर समय पर नियंत्रित न की जाएं तो पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन बीमारियों में सबसे प्रमुख हैं तना गलन (Stem Rot) और सफेद रतवा (White Rust)। हर साल इन बीमारियों के कारण किसान भाइयों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन अगर किसान भाई इन बीमारियों के लक्षणों को पहचानने और समय पर उनका इलाज करने में सक्षम होते हैं, तो वे अपनी फसल को इन खतरनाक बीमारियों से बचा सकते हैं। डॉक्टर राम अवतार जी, जो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में एक प्रमुख कृषि वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर रहे हैं, उन्होंने हमेशा किसानों को इन बीमारियों से बचने के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी है। उनकी सलाह और मार्गदर्शन से हम जानने की कोशिश करेंगे कि किस प्रकार सही समय पर सही उपचार और ध्यान से इन बीमारियों का नियंत्रण किया जा सकता है। इस रिपोर्ट में, हम इन बीमारियों के लक्षणों, उनके प्रभाव, और उनके उपचार के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। तो चलिए इन सब बातों के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

सरसों में होने वाली प्रमुख बीमारियां

किसान भाइयों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर राम अवतार जी ने सरसों में होने वाली दो प्रमुख बीमारियों, तना गलन और सफेद रतवा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इन दोनों बीमारियों के कारण किसान भाइयों को भारी नुकसान हो सकता है, अगर इनका सही समय पर इलाज न किया जाए। पिछले कुछ वर्षों से तना गलन रोग उग्र रूप धारण करके सरसों उत्पादन की मुख्य समस्या बन गया है। इनको समय पर समुचित प्रबंधन से नियंत्रित कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। तिलहनी फसलों में सरसों का मुख्य स्थान है। ये फसलें विभिन्न रोगों के प्रकोप से प्रभावित रहती हैं। इनके मुख्य रोगों में सफेद रतवा, मृदुरोमिल आसिता, झुलसा, तना गलन एवं चूर्णिल आसिता आदि हैं। आज की इस रिपोर्ट में हम सरसों के दो प्रमुख बीमारियों तना गलन और सफेद रतवा के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके लक्षणों को पहचानने का तरीका, और इन बीमारियों का उपचार कैसे करें, ताकि किसान भाई अपनी फसल को इन खतरनाक बीमारियों से बचा सकें और अच्छी उपज प्राप्त कर सकें।

तना गलन के लक्षण

किसान साथियों, तना गलन सरसों की एक गंभीर बीमारी है जो फंगस द्वारा उत्पन्न होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से नमी और आद्रता (humidity) के कारण फैलती है। तना गलन के लक्षण बहुत स्पष्ट होते हैं, जो किसान भाइयों को बीमारी की शुरुआत से पहले ही सतर्क कर सकते हैं। तना गलन - सरसों की फसल पर लगने वाला यह रोग सबसे ज्यादा खतरनाक है। यह भूमि व बीज से उगने वाला रोग है। इस रोग के लक्षण में सबसे पहले किसानों को यह ध्यान देने की जरूरत है कि यह हवा से ज्यादा फैलता है और सबसे पहले, तने पर सफेद या पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसका असर पत्तों पर भी दिखाई देने लगता है। तने में दरारें (cracks) और काले रंग के धब्बे भी नजर आने लगते हैं। इसके साथ ही पौधों के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं और अंततः ये सड़ने लगते हैं। अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह बीमारी पूरे पौधे को नष्ट कर सकती है, क्योंकि यह जड़ से लेकर तने तक पूरी तरह से फैल सकती है।

तना गलन का उपचार:

किसान भाइयों, तना गलन की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए किसानों को सबसे पहले बीज उपचार करना चाहिए। बीजों को कार्बन लाइम से उपचारित किया जाता है, जो फंगस के विकास को रोकता है। तना गलन की रोकथाम के लिए डॉ. राकेश पूनिया ने बताया कि बिजाई के 45 से 50 दिन बाद कार्बेन्डाजिम (बविस्टीन), 1 ग्राम दवाई प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें, यानी अगर 200 लीटर पानी लगता है तो दवाई 200ml होनी चाहिए। वहीं पहले छिड़काव के 15 दिन बाद फिर यह छिड़काव करना चाहिए। इस तरीके से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। वहीं एतिहातन तौर पर किसानों को बिजाई से पहले इसी दवाई के साथ 1 किलो बीज में 2 ग्राम के हिसाब से बीज उपचार भी करना चाहिए। बीज उपचार के बाद, पौधों को दो बार स्प्रे करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पहला स्प्रे 45-50 दिन बाद करें और दूसरा स्प्रे 15-20 दिन बाद करें। स्प्रे के लिए कार्बेंडाजिम या अन्य फंगी साइड का उपयोग करें।

सफेद रतवा के लक्षण

किसान साथियों, सफेद रतवा भी एक फंगस जनित बीमारी है, सफेद रतवा के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। सबसे पहले, पत्तियों की निचली सतह पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ दिखाई देता है। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, सफेद धब्बे गहरे होने लगते हैं और यह धीरे-धीरे पंजे के रूप में बदल जाते हैं। इस कारण, पौधे की वृद्धि रुक जाती है, और उनके पत्ते कमजोर हो जाते हैं। इसके साथ ही, पौधों की उपज में भी कमी आती है। यह बीमारी अगर पूरी तरह से फैल जाए तो पौधे के पत्ते और तने पूरी तरह से मर सकते हैं, जिससे फसल का उत्पादन कम हो सकता है।

सफेद रतवा का उपचार:

दोस्तों, सफेद रतवा की बीमारी के इलाज के लिए किसानों को सबसे पहले क्षेत्र का निरीक्षण करना चाहिए। जैसे ही आपको सफेद पाउडर की मौजूदगी दिखे, तुरंत स्प्रे करें। इस बीमारी के लिए मेन्कोज़ेब या डाथन जैसी फंगी साइड का उपयोग किया जाता है। स्प्रे के लिए दो बार इलाज किया जाता है। पहला स्प्रे बीमारी के शुरुआती लक्षणों के दिखने पर करें। दूसरा स्प्रे 15-20 दिन बाद करें। प्लांट रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. एचएस सहारण के अनुसार, सरसों की अल्टरनेरिया ब्लाइट, फुलिया और सफेद रतुआ बीमारी के लक्षण नजर आते ही 600 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन या इंडोफिल एम 45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 2 बार स्प्रे करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।