सोयाबीन में तेजी से बढ़ रहा है मोजैक रोग | जल्दी जाने इसका उपाय
साथियों सोयाबीन की खेती एक तिलहनी फसल के रूप में की जाती है, क्योंकि इसके बीजों से अधिक मात्रा में तेल प्राप्त होता है और किसानों को सोयाबीन का अच्छा खासा भाव मिल जाता है, लेकिन जहां एक तरफ सोयाबीन के दाम न बढ़ने के कारण किसान नाखुश नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सोयाबीन की फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। फिर भी किसानों को आगे चलकर सोयाबीन के अच्छे भाव मिलने की उम्मीद है और इसी उम्मीद में किसानों ने अबकी बार भी सोयाबीन की बिजाई काफी अधिक मात्रा में की है। किसानों ने एक बार फिर सोयाबीन के ऊपर अपना विश्वास बनाए रखा है। इस समय सोयाबीन की फसल भी काफी अच्छी स्थिति में बताई जा रही है।बारिश ने जहां सोयाबीन की फसल को जीवन दान दिया, वहीं सोयाबीन की फसल पर कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगा है, एक विश्वसनीय रिपोर्ट के अनुसार इस समय सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक का खतरा सबसे अधिक बताया जा रहा है। इस वायरस के संपर्क में आने से खेतो में खड़ी सोयाबीन की फसल पीली पड़ने लगी है, उसके पत्तों में छेद नजर आने लगे हैं। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
बारिश के बाद मौसम साफ होने पर खेतों में नमी की मात्रा संतुलित हो गई है, लेकिन खेतों में खड़ी सोयाबीन पर पीला मोजेक रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। इस संबंध में किसानों का कहना है कि रोग से फसल बर्बाद हो जाएगी और उत्पादन नहीं होगा। इस रोग का सबसे अधिक असर पांडाझिर, तुलसीपार, मरखंडी, फतेहपुर, महुआखेड़ा, सागोनी, कुंडा, घोघरी, सुनेहरा, सलैया, हप्सिली, वीरपुर, तिनघरा, नया नगर, बांसादेही, ककरुआ, झिरया, माला, बेरखेड़ी, कोकलपुर, सागोनी, सिल्तरा, गोपालपुर, सुमेर, देवलापुर, कल्याणपुर में दिखाई दे रहा है।तुलसीपार गांव के किसानो का कहना है कि जिन किसानों ने ग्रीष्म मौसम में मूंग की फसल बोई थी, उनके खेतों में पीला मोजेक के वायरस बचे रह जाते हैं जो सोयाबीन पर अटैक करते हैं। अभी फसल पर जो पीले पत्ते दिख रहे हैं उसकी एक वजह खेतों से पानी की निकासी नहीं होना भी हो सकती है। यलो मोजेक वायरस की वाहक सफेद मक्खी है। इस रोग की चपेट में पत्ते पीले पड़ जाते हैं और फलियां आकार में छोटी हो जाती हैं और दाने सिकुड़ जाते हैं। आज की रिपोर्ट मे हम पीला मोजेक रोग के लक्षण और उपाय के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
पीला मोजेक के लक्षण
पीला मोजेक वायरस जनित रोग है, जो पाॅटीवायरस के कारण होता है। यह रोग मुख्यत: सफेद मक्खी के संपर्क में आने से लगता है, इस रोग से ग्रसित पौधों पर मक्खी के बैठने से और फिर दूसरे पौधों पर मक्खी के जाकर बैठने से यह रोग पूरे खेत में फैल जाता है। लगातार बारिश होने से इस रोग के संक्रमण का फैलने का खतरा कम रहता है लेकिन अगर तीन-चार दिन बारिश नहीं होती है तो इस रोग के बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इस रोग के खेत में फैलने पर पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं और पत्तियों में खुरदुरापन आ जाता है, जिससे पत्तियों में सलवटे पडनी शुरू हो जाती हैं। पीला मोजेक के कारण रोगी पौधे नरम होकर से सिकुड़ने लग जाते हैं। इस रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियां गहरी हरे रंग में परिवर्तित होने लगती हैं, और पत्तियों पर भूरे और सलेटी रंग के धब्बे बनने शुरू हो जाते हैं। फसल में अचानक मक्खियां पनपनी शुरू हो जाती हैं और वह एक पौधे से दूसरे पौधे पर बैठकर पूरे खेत को संक्रमित कर देती हैं जिसका असर फसल की क्वालिटी पर भी पड़ता है। यह समस्या फसल के शुरुआती अवस्था में ही दिखाई देने लगती है। पीला मोजेक वायरस के कारण पौधों की बढ़ावार रुक जाती है और पौधे हाइट में छोटे रह जाते हैं, इसीलिए फसल की निगरानी करके इस रोग के लक्षणों को पहचानें और समय रहते इस बीमारी की रोकथाम के सही उपाय करें। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
पीला मोजेक से बचाव
रोग से बचाव के लिए फसल में जब भी पीलापन दिखाई दे उसमें 1 मिली पानी में 1 मिली गंधक के तेजाब और 0.5 फीसदी फैसर सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा मोजेक रोग से बचाव के लिए पौधों को उखाडकर नष्ट करें। इसमें मिथोएट, मेटासिस्टोक्स पांच सौ से छह सौ ग्राम दवा को पांच सौ से छह सौ लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इस रोग को फैलाने वाली सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए किसान भाई एसिटेमीपप्रीड 25%+बायफेंथिन 25%WG /(250 ग्राम प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
इसके स्थान पर आप पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोकस्म लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 125 मिली मात्रा प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें,या फिर आप बिटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रड 350 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर सकते हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का नियंत्रण भी किया जा सकता है।वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जेपी तिवारी ने किसानों को सलाह दी है कि यदि खेतों में जल भराव की समस्या है तो बिना देरी किए जल निकासी का इंतजाम कर लें। पानी को खेत में अधिक समय तक भरा न रहने दें। खेतों में जरूरत से ज्यादा नमी हो जाने से पौधे पोषक तत्व नहीं ले पाते। इससे पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। सफेद मक्खी से जिन पौधों के पत्ते पीले पड़ गए हैं, उन्हें किसान उखाड़कर फेंक दें। पीला मोजेक रोग से ग्रसित पौधे खेत से बाहर गड्ढा खोदकर गाड़ देने में ही भलाई है। इससे दूसरे पौधे रोग से बचे रहेंगे। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए किसान भाई अपने खेतों में अंग्रेजी के टी आकार की पीली स्टिकि ट्रिप लगाऐं।
Note: ऊपर दी गई सभी जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से इकट्ठा की गई है, जिसमें कुछ निजी विचारों का भी समावेश है। कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें और कार्य अपने विवेक और समझ से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।