कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली गेहूँ की 4 नयी किस्मों के बारे में जाने
गेहूं की फसल भारत में रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है, जिसे कम पानी की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, गेहूं की फसल में चार से पांच बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन कुछ ऐसी किस्में भी उपलब्ध हैं जो केवल 2 से 3 सिंचाई में ही तैयार हो जाया करती हैं। खरीफ की फसल के बाद , विशेष रूप से धान की कटाई के बाद , किसान अब रबी की फसल के तहत गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। हमारे बाजार में कई ऐसी गेहूं की किस्में मौजूद हैं, जिन्हें किसान कम लागत में उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इनमें से कुछ किस्में तो कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन भी देती हैं, जिससे पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी खेती करना संभव हो जाता है।
गेहूं की आधुनिक और उत्पादक किस्में
1. पूसा तेजस
गेहूं की उन्नत किस्मों में से एक है पूसा तेजस। यह एक उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधी किस्म है, जिसे इंदौर कृषि अनुसंधान केंद्र में विकसित किया गया है। पूसा तेजस किस्म की विशेषता यह है कि यह 65 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है, जो अन्य सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, यह काले और भूरे रतुआ रोग के लिए प्रतिरोधी है, जिससे फसल की सुरक्षा और उत्पादन में स्थिरता रहती है। पूसा तेजस का दाना बड़ा, चमकदार और लंबा होता है, जिससे यह रोटी और बेकरी उत्पादों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। यह गुण इसे बाजार में अधिक मांग वाली किस्म बनाता है। बुवाई के बाद, यह किस्म लगभग 115 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है, जो इसे जल्दी पकने वाली किस्मों में शामिल करता है। इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले (टिलर) होते हैं, जो गेहूं की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, किसानों को अधिक उत्पादन प्राप्त होता है,
पूसा तेजस जैसी उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों के उपयोग से किसानों को कई फायदे मिलते हैं। पहली बात, यह किस्म कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन देती है, जिससे पानी की बचत होती है और खेती की लागत घटती है। दूसरी बात, इसका रोग प्रतिरोधक गुण किसानों को फसल को सुरक्षित रखने में मदद करता है, जिससे उत्पादन में नुकसान की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा, इसकी अच्छी गुणवत्ता और बाजार में मांग के कारण, किसान इससे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
GW 322 सूखे सहन करने वाली किस्म
GW 322 एक लोकप्रिय गेहूं की किस्म है, जिसे विशेष रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान उगाते हैं। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल तक उत्पादन देती है, जो इसे एक उच्च उत्पादक किस्म बनाता है। इस किस्म से बनी रोटी मुलायम और स्वादिष्ट होती है, जिससे यह उपभोक्ताओं के बीच भी पसंदीदा है। GW 322 की एक विशेषता यह है कि यह सूखे की स्थिति को सहन कर सकती है और इसे केवल 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि इस किस्म के लिए पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, यह किस्म कई आम बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे फसल की सुरक्षा प्रदान होती है। इस किस्म को बुवाई के बाद 115 से 120 दिनों में पकाकर तैयार किया जा सकता है, जिससे किसान जल्दी फसल काटकर बाजार में बेच सकते हैं।
HD 4728 (पूसा मालवी) सिंचित क्षेत्रों के लिए किस्म
HD 4728, जिसे पूसा मालवी के नाम से भी जाना जाता है, सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए एक उपयुक्त किस्म मान सकते है। यह मध्य भारत के किसानों के लिए विशेष रूप से अच्छी मानी जाती है और 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। HD 4728 प्रति हेक्टेयर 55 से 57 क्विंटल तक उत्पादन देती है, जो कि एक अच्छी उत्पादन क्षमता है। इस किस्म को भी केवल 3 से 4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, जिससे यह सिंचित क्षेत्रों के लिए एक आदर्श विकल्प बन जाती है। इसके अलावा, यह किस्म हल्के सूखे की स्थिति को भी सहन कर सकती है, जिससे इसकी पैदावार में कोई खास कमी नहीं आती। इस गेहूं की किस्म से दलिया, बाटी, सूजी जैसे पोषक और विविध व्यंजन बनाए जा सकते हैं, जिससे इसका उपयोगिकता और बढ़ जाती है।
श्रीराम 11 देर से बुवाई के लिए उपयुक्त और उच्च पैदावार वाली किस्म
श्रीराम 11 गेहूं की एक और लोकप्रिय किस्म है, जो विशेष रूप से मध्य प्रदेश के किसानों के बीच प्रचलित है। यह किस्म देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है और केवल 3 महीने में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को अपनी फसल जल्दी काटने का अवसर मिलता है। इसका दाना चमकदार होता है, जो इसे बाजार में आकर्षक बनाता है, और यह औसतन 22 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है। श्रीराम 11 किस्म को श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को अधिक पैदावार और कम लागत पर खेती के लाभ दिलाना है। यह किस्म भी कई सामान्य बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे फसल सुरक्षित रहती है और उत्पादन की संभावना बढ़ती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।