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मार्च के महीने में प्याज में बस ये खाद दे देना | कन्द का साइज बढ़ाने का रामबाण नुस्खा

मार्च के महीने में प्याज में बस ये खाद दे देना | कन्द का साइज बढ़ाने का रामबाण नुस्खा
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किसान साथियों प्याज एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जिसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। यह न केवल घरेलू उपयोग में बल्कि औद्योगिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। प्याज का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है, लेकिन मार्च का महीना इसके लिए विशेष रूप से उपयुक्त होता है। इस समय जलवायु परिवर्तन के कारण प्याज की वृद्धि तेज होती है और उपज में भी वृद्धि होती है। किसानों के लिए प्याज की खेती एक बेहतर आर्थिक विकल्प साबित होती है, क्योंकि इसमें निवेश की तुलना में अच्छा मुनाफा मिलता है। भारत के विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती की जाती है। खासकर, महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है। प्याज की खेती में उचित खाद और पोषक तत्वों का प्रबंधन किया जाए तो उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

मार्च में खाद प्रबंधन का महत्व

मार्च का महीना प्याज की फसल के लिए खाद डालने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय पौधों को वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की सबसे अधिक जरूरत होती है। अगर सही मात्रा में और उचित समय पर खाद दी जाए तो प्याज के कंद बड़े और मजबूत बनते हैं।

प्याज की फसल को मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है। एक एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 10 किलोग्राम पोटाश और 5 किलोग्राम सल्फर का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, प्याज के कंदों को और अधिक मजबूत व बड़ा बनाने के लिए बोरोन और जिंक सल्फेट का भी छिड़काव किया जा सकता है। ये सभी तत्व प्याज की फसल को तेजी से बढ़ने और गुणवत्ता सुधारने में मदद करते हैं।

प्याज की सिंचाई प्रबंधन

मार्च के महीने में तापमान बढ़ने लगता है, जिससे प्याज की फसल को अधिक नमी की आवश्यकता होती है। प्याज की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी में उचित नमी बनाए रखना जरूरी होता है, लेकिन जलभराव से बचना भी उतना ही आवश्यक होता है। खेत में जल निकासी की बढ़िया व्यवस्था होनी चाहिए ताकि अधिक पानी जमा न हो और फसल की जड़ें सड़ने से बचें।

प्याज की फसल को सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन मौसम और मिट्टी की नमी के अनुसार इस अंतराल को समायोजित किया जा सकता है। हल्की मिट्टी वाले क्षेत्रों में बार-बार सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है, जबकि भारी मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनी रहती है। फसल के हर चरण में सिंचाई प्रबंधन सही ढंग से किया जाए तो प्याज की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होते हैं।

फसल की अवधि कितनी ?

प्याज की फसल आमतौर पर 110 से 120 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इस दौरान फसल की लगातार देखभाल करना आवश्यक होता है। प्याज की अच्छी उपज के लिए नियमित निरीक्षण, सही मात्रा में खाद और सिंचाई, कीटों और बीमारियों की रोकथाम, और उचित कटाई प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है।

फसल की बढ़ती अवस्था में यदि पत्तियों का रंग हल्का पड़ने लगे या पौधों में कोई असामान्य परिवर्तन दिखाई दे तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। सही समय पर खाद और पानी देने से फसल की गुणवत्ता बनी रहती है और बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।