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गेहूं में दूसरी सिंचाई के समय बस ये खाद डाल दो | कल्लों से लद जाएगा खेत

गेहूं में दूसरी सिंचाई के समय बस ये खाद डाल दो | कल्लों से लद जाएगा खेत
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किसान साथियो भारत में गेहूं की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। गेहूं की फसल को उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन के लिए सही तकनीकों और समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। खासतौर पर, गेहूं की बुवाई और दूसरी सिंचाई का उचित प्रबंधन फसल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम गेहूं की बुवाई के समय, पहली सिंचाई में उपयोग किए जाने वाले खाद-उर्वरकों और विशेष रूप से दूसरी सिंचाई के दौरान खाद प्रबंधन और फोलियर स्प्रे के महत्व पर चर्चा करेंगे। यह जानकारी किसानों को गेहूं की बेहतर पैदावार प्राप्त करने में मदद करेगी।

पहली सिंचाई में कितना खाद डाले
पहली सिंचाई के दौरान, खेत में उर्वरता बढ़ाने के लिए यूरिया, जिंक सल्फेट और सल्फर जैसे उर्वरकों का समान रूप से प्रयोग किया जाता है। इन उर्वरकों से फसल को आवश्यक पोषक तत्व मिलत है जिससे फसल को शुरुआती विकास में मदद मिलती है । हालांकि, फसल की वास्तविक स्थिति का आकलन दूसरी सिंचाई के बाद ही स्पष्ट रूप से किया जा सकता है।

दूसरी सिंचाई में ही बढ़ती है कल्ले
दूसरी सिंचाई फसल के जीवन चक्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव होती है। खासकर जब फसल 40 से 45 दिन की हो जाती है। इस समय फसल में तने (टिलर्स) या कल्ले बनने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में होती है। जो कल्ले 55 दिनों के बाद निकलते है वह फसल के लिए उपयोगी नहीं होते हैं। इसलिए, किसानों को इस अवस्था में अपनी फसल का बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए। यदि फसल में उचित वृद्धि नहीं हो रही है तो खाद और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना आवश्यक है। इस तरह की देखभाल से फसल का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

दूसरी सिंचाई में कितना खाद डाले
दूसरी सिंचाई के समय फसल के समुचित विकास के लिए कुछ अतिरिक्त पोषक तत्वों का उपयोग करना आवश्यक होता है। विशेष रूप से, यूरिया का उपयोग इस चरण में बेहद महत्वपूर्ण है। प्रति एकड़ 20 से 30 किलोग्राम यूरिया डालने से फसल को नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा मिलती है, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, मैग्नीशियम सल्फेट (10 किलोग्राम प्रति एकड़) और फेरस सल्फेट (5-8 किलोग्राम प्रति एकड़) का उपयोग भी करना चाहिए। ये खाद्य तत्व फसल में पीलापन दूर करने और स्वस्थ पौधे विकसित करने में मदद करते हैं।

फसल में करे फोलियर स्प्रे
सर्दियों के मौसम में मिट्टी का तापमान कम होने के कारण, पौधे मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में कठिनाई महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में, फोलियर स्प्रे एक कारगर विकल्प साबित होता है। फोलियर स्प्रे में पोषक तत्वों का घोल पत्तियों पर छिड़का जाता है, जिससे पौधे इन पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित कर लेते हैं। एनपीके 12:61:0 फोलियर स्प्रे को सर्दियों में फसलों के लिए सबसे प्रभावी माना जाता है। इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है जो पौधे की वृद्धि और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस स्प्रे को 5-7 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, 100 लीटर पानी में 1 किलो डीएपी घोलकर भी फसलों पर स्प्रे किया जा सकता है। एक अन्य प्रभावी स्प्रे बनाने के लिए 1 किलो यूरिया, 1/2 किलो जिंक सल्फेट (21%), 1/2 किलो मैग्नीशियम सल्फेट, और 300-400 ग्राम फेरस सल्फेट को 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे किया जा सकता है। यह स्प्रे पौधों को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करता है।

फोलियर स्प्रे करते समय रखे इस बात का खास ध्यान
गेहूं की फसल के लिए दूसरी सिंचाई बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी देना जरूरी है, ताकि फोलियर स्प्रे प्रभावी ढंग से काम कर सके और पत्तियों में जलन की समस्या न हो। प्रति एकड़ लगभग 150 लीटर पानी का उपयोग करना उचित माना जाता है। साथ ही, उर्वरक का संतुलित उपयोग भी आवश्यक है, ताकि फसल को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। यह फसल के लिए अंतिम मौका है, इसलिए किसानों को इस समय सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। सही प्रबंधन से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा। दूसरी सिंचाई और उचित खाद प्रबंधन के बाद गेहूं की फसल में काफी सुधार देखने को मिलता है। पौधे हरे-भरे और मजबूत हो जाते हैं, और इनमें कई नई शाखाएं निकल आती हैं। बालियां लंबी और स्वस्थ होती हैं, जिनमें गेहूं के दाने मोटे और चमकदार होते हैं। ये सभी बदलाव फसल की पैदावार में वृद्धि करते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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