आलू की खेती से सिंचाई के बाद बस ये खाद डाल देना | उत्पादन से लद जाएंगी ट्रॉलियां
आलू की फसल में चौथे पानी के बाद खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग कैसे करें?
साथियों नमस्कार! जैसा कि आप जानते हैं, हमारे कई किसान भाई जिनकी आलू की फसल की अवस्था 50 से 60 दिन के बीच है, यह तय करने में असमंजस में हैं कि चौथे पानी के समय कौन-सी खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग किया जाए। अगर तीन पानी दे चुके हैं, ट्रीटमेंट कर चुके हैं, और दो बार यूरिया के साथ अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी दे चुके हैं, तो चौथे पानी के बाद बुरकाव (फोलियर स्प्रे) के माध्यम से खाद देने का सही समय है। आलू का साइज बढ़ाने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट (CaNO₃) और पोटैशियम नाइट्रेट (KNO₃) जैसे पोषक तत्वों का 1-2% घोल बनाकर स्प्रे करना उपयोगी होता है। इसके अलावा, बोरॉन का 0.5% घोल ट्यूबर की गुणवत्ता और साइज सुधारने में मदद करता है। विशेष रूप से, S4 जैसी हाइब्रिड वैरायटी के आलू का साइज सही हो सकता है, लेकिन चिप्सोना और सूर्या जैसी वैरायटी में ट्यूबर अभी छोटे हैं, जिन्हें बड़ा करने के लिए इन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। स्प्रे का समय सुबह या शाम का रखें और हर 7-10 दिन के अंतराल पर इसे दोहराएं। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार कर सकते हैं।
चौथे पानी से पहले और बाद में खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग
यदि आपने अभी चौथा पानी नहीं लगाया है, तो बुरकाव के लिए यूरिया खाद का उपयोग बहुत कम मात्रा में करें। प्रति बीघा 3-4 किलोग्राम यूरिया पर्याप्त होगा। इसके साथ कैल्शियम क्लोराइड (पाउडर फॉर्म) का उपयोग करें, जो ₹100-₹110 प्रति किलो की दर से उपलब्ध है। इसे यूरिया पर कोट करके लगाएं और फिर चौथा पानी दें। कैल्शियम छोटे ट्यूबर को बड़ा करने में मदद करता है, क्योंकि यह आलू की इस अवस्था में आवश्यक भारी पोषक तत्व प्रदान करता है। कोटिंग के दौरान ध्यान रखें कि कैल्शियम उड़कर पत्तियों पर न जम जाए, जिससे नुकसान हो सकता है। हल्के छींटे लगाकर कोटिंग करें और सुनिश्चित करें कि खाद सही तरीके से खेत में पहुंचे।
यदि आप पानी के बाद बुरकाव के माध्यम से खाद देना चाहते हैं, तो दानेदार नाइट्रेट वाला कैल्शियम बेहतर है। यदि आप पानी से पहले खाद लगाना चाहते हैं, तो कैल्शियम क्लोराइड या कैल्शियम नाइट्रेट में से किसी एक का उपयोग करें और उसके बाद पानी दें। ध्यान रखें कि चिपक बनने वाली अवस्था में यह प्रक्रिया नमी में की जाए, क्योंकि नमी में ही पौधे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित कर पाते हैं। नमी की कमी से पौधे को नुकसान हो सकता है।
स्प्रे के माध्यम से खाद देने की बात करें तो इस अवस्था में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग सबसे प्रभावी होता है। आलू की फसल, चाहे वह चिप्सोना हो, सूर्या हो या हाइब्रिड वैरायटी, 50 दिनों के बाद वजन बढ़ाने की अवस्था में होती है। ऐसे में भारी प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर के बजाय माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का स्प्रे करना बेहतर परिणाम देता है।
आलू की फसल में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का सही उपयोग
आलू की फसल के बेहतर उत्पादन और साइज को बढ़ाने के लिए माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का सही समय और तरीके से उपयोग करना बेहद जरूरी है। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स में पारस एग्रो कंपनी का न्यूट्रीगोल्ड एक बेहतर विकल्प है, जिसमें एनपीके (21-21-21), बोरान, जिंक, फेरस सल्फेट और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व चिलटे फॉर्म में उपलब्ध होते हैं। प्रति एकड़ 250 मिलीलीटर की डोज का स्प्रे करके आलू के साइज को प्रभावी रूप से बढ़ाया जा सकता है। बोरान आलू को फटने से रोकता है और छिलके को मजबूत बनाता है, जबकि कैल्शियम आलू के विकास में मदद करता है।
चौथे पानी के बाद चिपक बनने की अवस्था में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का स्प्रे करना आदर्श होता है। यह पौधे को पोषण देकर आलू के आकार को बड़ा बनाए रखता है। 75-80 दिनों के बाद प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर जैसे टबॉली, कल्टार cultar या ELR का उपयोग किया जा सकता है। यदि कच्चे आलू की खुदाई करनी हो, 58-60 दिनों की अवस्था में तो 40-50 मिलीलीटर प्रति एकड़ की डोज आप स्प्रे के माध्यम से 00:00:50 के साथ मिला के लगा दीजिए और 12 से 15 दिन में अपने आलू की खुदाई कर दीजिए यह आपके आलू के साइज को बराबर कर देगा इसमें कोई दोराय नहीं है
ध्यान दें कि यह प्रक्रिया केवल कच्चे आलू की खुदाई के लिए उपयुक्त है। अगर आलू की किस्म चिप्सोना या सूर्या हो, तो 58-60 दिनों पर कैल्शियम (चाहे क्लोराइड हो या नाइट्रेट) का बुरकाव करें या स्प्रे माध्यम से उपयोग करें। साथ ही, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स जैसे न्यूट्रीगोल्ड का उपयोग करें, जो बेहतर परिणाम देगा।
यदि आलू की फसल 75 दिनों की अवस्था में पहुंच गई है, तो प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का उपयोग किया जा सकता है। यह आलू के साइज को बढ़ाने में मदद करता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।