अगर आप लहसुन की खेती करते हैं तो इस बीमारी के बारे में जाने। जाने क्या क्या बीमारी लग सकती हैं।
अगर आप लहसुन की खेती करते हैं तो इस बीमारी के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है
किसान भाइयों, लहसुन की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी फसल मानी जाती है, लेकिन इस फसल को उगाने में कई बार किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी यह समस्याएं इतनी गंभीर हो जाती हैं कि फसल का पूरी तरह से नुकसान हो सकता है। एक ऐसी ही गंभीर समस्या इस समय किसानों के खेतों में फैल रही है, जो लहसुन के पौधों के लिए खतरे का कारण बन सकती है। यह समस्या मुख्य रूप से फंगस और बैक्टीरिया के कारण होती है, जो लहसुन के पौधों की जड़ों को सड़ने का कारण बनते हैं। यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, और यदि इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया जाए, तो आपकी पूरी लहसुन की फसल नष्ट हो सकती है। किसानों को यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि वे अपनी लहसुन की फसल की निगरानी करें और किसी भी प्रकार की समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत कदम उठाएं। इस रिपोर्ट में हम लहसुन की फसल में आने वाली इस गंभीर समस्या को पहचानेंगे और साथ ही इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि वह कौन सी समस्या है जो पूरी फसल के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। आइए विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।
समस्या का कारण और लक्षण
किसान साथियों, लहसुन की फसल में इस समस्या का पता लगाने के लिए सबसे पहले पौधों के लक्षणों को समझना जरूरी है। जब यह समस्या शुरू होती है, तो शुरुआत में पौधों की ऊपर की पत्तियां हरी-भरी और स्वस्थ दिखाई देती हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता है, नीचे की पत्तियां धीरे-धीरे सूखने लगती हैं। इसके बाद, यदि आप पौधों को उखाड़ते हैं तो आपको जड़ों की स्थिति का सही अंदाजा हो सकता है। सामान्यतः, जिन पौधों की जड़ें प्रभावित होती हैं, उनकी जड़ें सड़ चुकी होती हैं और पूरी तरह से खत्म हो चुकी होती हैं। जब इन पौधों की जड़ों को खोलकर देखा जाता है, तो अक्सर छोटे-छोटे सफेद रंग के इल्लियां (insects) दिखाई देती हैं, जो इस सड़न का मुख्य कारण होती हैं। यह इल्लियां पौधों के आसपास की मिट्टी में पाई जाती हैं और जड़ों में घुसकर उन्हें धीरे-धीरे सड़ने का कारण बनती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, पौधा किसी भी पोषक तत्व को सही तरीके से अवशोषित नहीं कर पाता और कमजोर हो जाता है। यह स्थिति किसी भी किसान के लिए बहुत ही चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि इस स्थिति में पूरी फसल प्रभावित हो सकती है।
यह समस्या क्यों होती है
किसान साथियों, लहसुन के पौधों में इस प्रकार की समस्या अक्सर बैक्टीरिया और फंगस के कारण होती है। यह बैक्टीरिया या फंगस खासकर तब सक्रिय होते हैं जब पौधों को नमी अधिक मिलती है या जब जमीन में अच्छे से वेंटिलेशन नहीं होता। ऐसे वातावरण में बैक्टीरिया और फंगस तेजी से फैलते हैं, जो पौधों की जड़ों में घुसकर उन्हें सड़ा देते हैं। इसके अतिरिक्त, अगर आप अपनी फसल में सही समय पर कीटों और रोगों से बचाव के उपाय नहीं अपनाते, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। जिस समय यह समस्या फैलने लगती है, पौधों के ऊपर की पत्तियां हरी और स्वस्थ दिखती हैं, लेकिन जड़ें धीरे-धीरे मरने लगती हैं। जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है, पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उसकी जड़ें पूरी तरह से सड़ जाती हैं। इस प्रकार, पौधे की पूरी संरचना प्रभावित हो जाती है और इससे लहसुन का कंद नहीं बन पाता, या फिर वह छोटे और कमजोर बनता है। यह समस्या सिर्फ एक पौधे तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह पूरी फसल में फैल सकती है और पूरे खेत में बर्बादी का कारण बन सकती है। इसलिए, इसे नजरअंदाज करना बहुत महंगा पड़ सकता है।
समस्या का समाधान
थायोफेनेड मिथाइल
किसान साथियों, इस समस्या का सबसे पहला और प्रभावी उपाय है थायोफेनेड मिथाइल (Thiofened Methyl) का उपयोग। यह एक मजबूत फंगीसाइड है जो लहसुन के पौधों की जड़ों में फैलने वाले फंगस को प्रभावी तरीके से नष्ट करता है। इसका प्रयोग कम से कम 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए। यह फंगीसाइड जड़ों में मौजूद फंगस और बैक्टीरिया को खत्म करके पौधों को संक्रमण से बचाता है।
कोनी फंगीसाइड का उपयोग
साथियों, इस दवाई के साथ, कोनी फंगीसाइड का भी उपयोग करना बहुत जरूरी है। यह फंगीसाइड कासूका माइसिन और कॉपर ऑक्सी क्लोराइड जैसे तत्वों से युक्त होता है, जो लहसुन के पौधों को बीमारियों से बचाता है। इसके प्रयोग की मात्रा लगभग 500 ग्राम प्रति एकड़ रखी जाती है। इस फंगीसाइड का प्रयोग पौधों की जड़ों और अन्य हिस्सों पर किया जाता है, जिससे पौधे की रक्षा होती है और वह स्वस्थ रहता है।
कैल्शियम नाइट्रेट की खाद
किसान भाइयों, लहसुन की फसल में फंगस और बैक्टीरिया से बचाव के अलावा, पौधों की जड़ों को मजबूत करने और पोषण देने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। यह खाद पौधों की जड़ों को मजबूत करती है और उन्हें सही तरीके से पोषक तत्व प्रदान करती है। कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग लगभग 25 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से किया जाता है। यह न केवल पौधों की जड़ें मजबूत करती है बल्कि यह रोगों के फैलने को भी रोकता है।
फिप्रोनिल कीटनाशक का उपयोग
किसान साथियों, लहसुन की फसल में कीटों का प्रकोप भी लहसुन के पौधों में नुकसान का कारण बन सकता है। फसल को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए फिप्रोनिल (Fipronil) एक बहुत ही प्रभावी कीटनाशक है, जो कीटों और उनकी वजह से होने वाली बीमारियों से बचाव करता है। इसे 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से अपने खेत में छिड़काव करें। यह कीटनाशक कीटों को जड़ों से दूर रखता है और पौधों को स्वस्थ बनाए रखता है।
इन सभी का मिश्रण और सिंचाई
किसान भाइयों, यदि इन दवाइयों और खादों का उपयोग लहसुन की फसल में एक साथ इकट्ठा करना चाहे तो इनकी सही मात्रा की जांच करके और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार इन सभी दवाओं और खादों को एक साथ मिक्स करें और फिर अच्छी तरह से सिंचाई करें। सिंचाई से यह दवाइयां मिट्टी में घुलकर पौधों की जड़ों तक पहुंच जाती हैं। इसके बाद, फंगस और बैक्टीरिया का प्रभाव कम हो जाता है और पौधे स्वस्थ रहते हैं। मिक्स करके छिड़काव करने से पहले इस बात की पुष्टि करें कि इनका कोई नकारात्मक प्रभाव तो आपकी फसल पर नहीं पड़ रहा है, इस बात की पुष्टि करने के बाद ही मिश्रण का छिड़काव फसल पर करें।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।