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ग्वार की पैदावार में टूटेंगे सारे रिकॉर्ड | जानिए क्या है ऊंचे उत्पादन का फार्मूला, तेजी मंदी रिपोर्ट के साथ

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किसान साथियों इस बार राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के बड़े इलाके में अधिक बारिश होने के कारण कई फसलें प्रभावित हुई है। इन फसलों में ग्वार की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। दोस्तो अधिक बारिश होने के कारण गवार की फसल में कई प्रकार की बीमारियां लग जाती हैं। इसीलिए अधिक बारिश के सीजन में किसानों को कुछ विशेष सावधानीयां बरतनी चाहिएं जिससे उनको कम से कम नुकसान हो। मंडी भाव टुडे की फसल सलाह सेक्शन के लिए हमने यह रिपोर्ट तैयार की है इस रिपोर्ट में आपको गवार की फसल को लेकर क्या-क्या सावधानीयां बरतनी चाहिएं उनका विवरण नीचे दिया गया है।

पानी का क्या है प्रबंधन
किसान साथियो अगर आपकी भी ग्वार की फसल में बारिश के कारण अधिक पानी भरा हुआ है तो उसको निकालने का जल्दी से जल्दी उचित प्रबंध करें, नहीं तो आपकी पूरी फसल भी खराब हो सकती है। जैसा कि आप सब को पता है कि इस समय गवार की फसल 45 से 60 दिन के बीच में पहुंच चुकी है। यह समय गवार की फसल में फूल पत्तियों और फलियों के आने का है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में अगर अधिक बारिश हो जाए तो अनेक प्रकार की बीमारियां लगने का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां फूलों और फलियों को खराब कर देती हैं। परिणामस्वरूप किसान भाइयों को उम्मीद के अनुसार पैदावार नहीं मिल पाती । हम आज की रिपोर्ट में इसी बात पर चर्चा करेंगे कि इस समय ग्वार की फसल मैं कौन-कौन सी बीमारियां लगती हैं और उनका क्या उपाय है और हम ग्वार की पैदावार को किस प्रकार बढ़ा सकते हैं जिससे पौधों में अधिक से अधिक फलिया लगे। तो आईए जानते हैं

ग्वार की बीमारियां और नियंत्रण
साथियों फलियों के समय और अधिक बारिश के कारण ग्वार की फसल में बीमारियों का नियंत्रण और दवाइयों का उपयोग करना बहुत जरूरी है ताकि हम अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। इस समय ग्वार की फसल में कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख बीमारियाँ इस प्रकार हैं:
1. फंगस: यह बीमारी ग्वार की फसल में बहुत आम है, लेकिन अधिक वर्षा के कारण फंगस रोग के फैलने की आशंका अधिक हो जाती है, इस रोग के कारण पत्तियों के ऊपरी हिस्से में काले धब्बे पड़ जाते हैं और पौधे की वृद्धि रुक जाती है इस रोग की रोकथाम के लिए आप 30 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन वह 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। इसका पहला स्प्रे 45-50 मैं करें और दूसरा सप्रे उसके 15 से 20 दिन बाद करें।
2. हरा तेला वह सफेद कीड़ा: मौसम में नमी होने के कारण ग्वार की फसल पर हरा तेला व सफेद मक्खी का आक्रमण बढ़ जाता है। हरा तेला पत्तों से रस चूस करें पौधों की बढवार  गुणवत्ता और पैदावार को कम करता हैं, यह पौधे की निचली सतह पर पाया जाता है, इसके प्रकोप से पौधों की पत्तियां मूड कर काली पड़ जाती हैं और टूटकर गिरने लग जाती हैं। इस साल तो काला चेपा का प्रकोप भी बहुत अधिक बताया जा रहा है। इसके नियंत्रण के लिए 250 मिलीलीटर मेलाथियान-50 ई.सी. या डाइमेंथोएट-30 ई.सी. 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। पहली सप्रे आप 45 से 50 दिन के अंदर करें और दूसरी सप्रे उसके 20 दिन बाद करें।
3. फूल और फलियों की वृद्धि में कमी: किसान भाइयों यह समस्या ग्वार की फसल में बहुत बड़ी है, इसका सबसे बड़ा कारण वर्षा का अधिक मात्रा में होना है, अधिक वर्षा से ग्वार के पौधे की लंबाई सामान्य से अधिक हो जाती है और खेत में खरपतवार भी बढ़ जाती है, जिससे पौधे में फूल और फलियों की संख्या कम हो जाती है। जिसके कारण फसल की पैदावार में कमी आ जाती है। इस समस्या से बचने और अधिक फूल और फल की वृद्धि के लिए आप जेब्रिलिक एसिड 0.001% एल @ 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव कर सकते हैं या एनपीके 0:52:34 @ 75 ग्राम प्रति पंप छिड़काव कर सकते हैं।

बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ अन्य दवाइयां

1. प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर: यह दवाई ग्वार की फसल में अनावश्यक वर्दी को नियंत्रित करने में मदद करती है।
2. फंगीसाइड: यह दवाई ग्वार की फसल में फंगल रोगों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
3. मोनोसिल: यह दवाई ग्वार की फसल में कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
4. नीम तेल: यह दवाई ग्वार की फसल में कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती है।

ग्वार की वर्तमान स्थिति का सारांश

  • उत्पादन में कमी: भारी बारिश के कारण ग्वार की फसल को नुकसान हुआ है, जिससे उत्पादन में कमी आने की संभावना है।
  • आवक में कमी: बाजार में सही दाम न मिलने के कारण किसान ग्वार को मंडी में लाने से हिचक रहे हैं।
  • भंडारण: किसानों ने ग्वार को भविष्य में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद में भंडारित कर रखा है।
  • पशुओं के चारे के रूप में उपयोग: कई किसान ग्वार को पशुओं को खिलाना अधिक फायदेमंद मान रहे हैं।
  • मांग में कमी: घरेलू और विदेशी बाजारों में ग्वार की मांग कमजोर है।

ग्वार के भाव में तेजी आने की संभावनाएं

  • अल्पकालिक: यदि ग्वार का उत्पादन अनुमान से कम होता है, तो दामों में 500-1000 रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
  • दीर्घकालिक: सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयास और उत्पादन में कमी आने के कारण दीर्घकालिक रूप से दामों में बढ़ोतरी की संभावना है।

सावधानी: किसान भाइयों उपरोक्त दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों एवं निजी विचारों पर आधारित है, किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि अपनी फसल में कोई भी प्रयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें एवं कोई भी कार्य अपने विवेक और समझ से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।