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सरसों में 16 क्विंटल उत्पादन और 42% लैब की गारन्टी है ये खाद | सरसों किसानों किसान हो तो एक बार जरूर देख लो

How to get 16 quintal mustard production from one acre
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किसान साथियो सरसों किसानों को आमतौर पर 8 से 10 क्विंटल सरसों का उत्पादन प्रति एकड़ में मिलता है। और इस सरसों में तेल की मात्रा भी 38-40 प्रतिशत की रहती है। आज के समय में इतने उत्पादन और इतने तेल में सरसों की खेती से गुजारा करना मुश्किल है। लेकिन साथियो अगर सरसों की खेती को आधुनिक तरीके से किया जाए तो एक एकड़ जमीन से 15-16 क्विंटल उत्पादन और 42 % तेल वाली सरसों का उत्पादन लिया जा सकता है। साथियो आज की रिपोर्ट में हम आपको सरसों में पहली सिंचाई के समय डाली जाने वाली खाद और न्यूट्रिएंट की जानकारी देने वाले हैं जो आपकी सरसों के उत्पादन को बढ़ाने के साथ साथ तेल बढ़ाने में भी सहायक होंगे।

सिंचाई का बदल गया है तरीका
किसान साथियो इन दिनों खेती का पैटर्न बदल रहा है। पहले आप सरसों में 40 दिन पर सरसों का अंदर सिंचाई करते थे। ऐसा माना जाता था कि यदि इससे पहले अगर सिंचाई कर देते हैं तो पौधा दब सकता है जिसके कारण पौधे की ग्रोथ रुक जाती है या फिर पौधा पीला हो सकता है। लेकिन अभी दो चार साल से हम देख रहे हैं कि जलवायु और मौसम में बदलाव हो रहे हैं। बारिशें लगातार कम बारिश हो रही हैं। इस बदलाव के कारण हमारी जमीन के अंदर नमी की मात्रा धीरे-धीरे करके बहुत कम हो चुकी है। इसलिए अब हमें 40 दिन की बजाय 25 और 35 दिन के बीच में सिंचाई कर देनी चाहिए। अगर ऐसा कर देते हैं तो समय से पानी पौधे में चढ़ जाता है और पौधा बहुत  तंदुरुस्त हो जाता है। पौधे का तना भी मोटा बनता है। जैसा कि आप सबको पता है कि जितना मोटा तना होगा उतनी ही इससे नई-नई ब्रांच निकलेंगी। जितनी ज्यादा ब्रांचेस निकलेंगे उतनी ज्यादा आगे चलकर उनके अंदर फलियां निकलेंगी। कहने का मतलब यही है कि ज्यादा उत्पादन लेने के लिए आपको पहली सिंचाई समय पर करनी है।

DAP और सल्फर
सिंचाई के साथ हमने अगर आपने बुवाई करते वक्त डीएपी, सल्फर आदि खाद नहीं दिए थे तो इस समय पर आप दे सकते हैं।  सल्फर की बात करें तो सरसों को बेंटोनाइट वाली 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से सल्फर की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। सल्फर वह उर्वरक है जो तिलहन फसलों में विशेष रुप से सरसों को 42 परसेंट तेल मात्रा तक पहुंचाने में मदद करता है। अगर आपने बुवाई करते वक्त सल्फर नहीं डाला तो आप पहली सिंचाई करते वक्त बेंटोनाइट  90% वाला सल्फर डाल सकते हैं। इसे आप यूरिया के ऊपर कोटिंग करके भी डाल सकते हैं। आप पहले सल्फर डाल दीजिए उसके बाद ऊपर से सिंचाई कर सकते हैं।

उर्वरक की मात्रा और डालने का तरीका
 यूरिया के इफेक्टिव रिजल्ट लेने के लिए आप यूरिया में अन्य उर्वरक को मिला कर डालें। अगर सरसों की बुवाई के समय सल्फर नहीं ड़ाला तो आप सल्फर लें अगर आपके खेत में जिंक की कमी है तो आप जिंक भी ले सकते हैं। या फिर दोनों को यूरिया के साथ मिलाकर भी डाल सकते हैं। आमतौर पर हमारे देश में 70% खेतों के अंदर जिंक की कमी होती है। देखने वाली बात यह है कि जिंक की कमी आपको वैसे नहीं दिखाई देगी क्योंकि यूरिया डालने के बाद सरसों का पौधा तो हरा भरा हो जाता है सरसों जैसी फसलों का अंदर तो वैसे एक्स्ट्रा हरापन होता है। अगर आपके खेत में जिंक की कमी है तो 10 किलो पर एकड़ के हिसाब से आपको जिंक भी लेनी है। रही बात सल्फर की अगर बेंटोनाइट वाली ले रहे हो 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से या फिर 90% वाली अगर आप सल्फर ले रहे हो तो 3 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से 15-20 किलो यूरिया में आपको इन सभी को मिला लेना है। सिंचाई से पहले आपको छिड़क देना है और ऊपर से आपको सिंचाई करना है ताकि जो भी खाद हमने डालें हैं वे जमीन के अन्दर जाकर पौधों की जड़ों तक पहुंच जाएं। ध्यान देने वाली बात यह है कि जिंक के साथ डीएपी नहीं डालना है। जिंक और DAP दोनों आपस में रिएक्शन करके फिक्स हो जाते हैं और दोनों कोई भी काम नहीं करेंगे

यूरिया की मात्रा और डालने का तरीका
पहली सिंचाई करते वक्त एक एकड़ जमीन में कम से कम आपको 50 से 60 किलो यूरिया डालना चाहिए। 20 किलो यूरिया तो आपने सल्फर और जिंक के साथ डाल ही दिया है बाकी को आप सिंचाई के 2-3 दिन बाद डाल दें।

सल्फर का मह्त्व कितना
अब बात करते हैं सल्फर की। दोस्तो अगर आपको सरसों में 42% से ज्यादा लैब लेनी है तो आपको सरसों में सल्फर की पूर्ति करनी ही पड़ेगी। सरसों में व्हाइट रस्ट जैसे रोगों की प्रॉब्लम ना हो इसके लिए भी आपको सल्फर देनी चाहिए। सल्फर एक फंगीसाइड का भी काम करता है। यदि आपके खेत में सल्फर की पर्याप्त मात्रा होगी तो यह सर्दियों में पाला गिरने की समस्या से भी निजात दिला सकती है।

NPK कितना और कब
दोस्तो सिंचाई के 4-5 दिन बाद आपको सरसों में NPK 19-19-19 या फिर NPK 20-20-20 की एक किलो की मात्रा में स्प्रे कर देनी चाहिए। दोस्तो हमारा मानना है कि अगर आपने इतना सब काम कर लिया तो आपको चौंकाने वाले परिणाम मिल सकते हैं।

पौधों के बीच कितना गैप
दोस्तो सिंचाई खाद और उर्वरक की हमने बात कर ली है अब जो सबसे जरूरी काम आपको करना है वो है पौधों के बीच में संतुलित गैप बना के रखना। कई बार ऐसा होता है कि बुवाई के समय ज्यादा बीज छूट जाता है। किसके कारण सरसों के पौधों के बीच गैप बहुत कम रह जाता है। ऐसी स्थिति में आपको गहरे पौधों को निकाल देना चाहिए। हम मानते हैं कि अच्छे भले लगे पौधों को निकालना किसान के लिए एक दर्द भरा काम है लेकिन सरसों के अच्छे उत्पादन के लिए यह एक बहुत जरूरी कदम है। ऐसा ना करने पर सरसों के पौधों में ब्रांच कम निकलेंगी और फलियां भी ठीक से नहीं आयेंगी। कृषि विशेषज्ञों ने सरसों के दो पौधों के बीच 1 फुट तक का गैप रखने की सलाह दी है।

नोट : दी गई जानकारी आधुनिक किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट के विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त की गई है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट(Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।