तरबूज की खेती से प्रति एकड़ कमाएं 4 लाख रु तक | अपनाएं यह हिट फार्मूला
अगर किसान साथियों आप सर्दियों के मौसम में अगेती तरबूज की फसल लगाते हैं, तो एक एकड़ में तीन से चार लाख रुपए तक की कमाई कर सकते है। तरबूज की खेती करने वाले किसानों के अनुसार, इस फसल में औसतन दो से चार लाख रुपए प्रति एकड़ तक की कमाई हो सकती है। इसके अलावा, तरबूज को बेचना भी बहुत आसान है। इसे बिना किसी खास पैकिंग के ट्रॉली, पिकअप या अन्य वाहनों में लाकर मंडी में बेचा जा सकता है। इससे बिक्री की कोई परेशानी नहीं होती और कहीं भी स्टोर लगाकर इसे आसानी से बेचा जा सकता है।
राजस्थान के हलवा जिले के भोजराज गांव के किसान हितेश यादव, जो 45 एकड़ जमीन पर तरबूज के अलावा प्याज और अन्य सब्जियों की खेती करते हैं, बताते हैं कि तरबूज की खेती की शुरुआत में गोबर की देसी खाद का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। इसके बाद, एक एकड़ के लिए एक बैग डीएपी, एक बैग पोटाश और चार से पांच किलो कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं, खासकर नीमाटोड और दीमक जैसे कीटों से बचाव के लिए। इन सभी उपायों से फसल की अच्छी शुरुआत होती है।
तरबूज की खेती के लिए बेड कैसे तैयार करे
तरबूज की खेती में बेड तैयार करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। बेड की चौड़ाई 1.5 से 2 फीट रखनी चाहिए और एक बेड से दूसरे बेड के बीच लगभग 6 फीट की दूरी रखी जानी चाहिए, ताकि ड्रिप इरिगेशन के सेंटर से सेंटर तक पानी सही से पहुंच सके। ड्रिप इरिगेशन के लिए 16 मिमी की ड्रिप लाइन सबसे उपयुक्त होती है, जो प्रति घंटे 4 लीटर पानी देती है। मल्चिंग के लिए 25 माइक्रोन मोटाई का मल्चिंग पेपर अच्छा रहता है, क्योंकि यह धूप को बेड के अंदर जाने से रोकता है और जड़ों के विकास में मदद करता है।
बीज बोने से पहले पहली सिंचाई इस तरह से की जानी चाहिए कि बेड पूरी तरह से गीला हो जाए। इस दौरान क्लोरोपायरीफोस (20%) जैसे कीटनाशक का उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद, बीजों को सुरक्षा देने के लिए फिप्रोनील जैसे दानेदार कीटनाशक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे कीटों से बचाव होता है।
सही बीज का चयन करे
तरबूज की खेती में सही बीज का चयन भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ अच्छे बीज ब्रांड्स जैसे कि नामधारी का "कोहिनूर," रवि सीड का "सुपर कैंडी" और "मैक्स," और नम्स कंपनी के बीज प्रमुख हैं। एक एकड़ के लिए लगभग 250 से 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों की कीमत बाजार में 20,000 से 26,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। बीजों को खेत में 1.5 से 2 फीट की दूरी पर बोना चाहिए।
अंकुरण मौसम पर निर्भर करता है, यदि तापमान अधिक हो, तो अंकुरण जल्दी होता है, और कम तापमान में 6 से 10 दिन भी लग सकते हैं। अंकुरण के बाद शुरुआती चरण में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, और फरवरी तक हल्की सिंचाई ही पर्याप्त होती है। जब पौधे पर 2-3 पत्तियां आ जाती हैं, तब फंगीसाइड और एनपीके 19:19:19 मिलाकर ड्रेंचिंग करनी चाहिए। इसके बाद, ह्यूमिक एसिड और 19:19:19 या 12:61:10 का उपयोग करके दूसरी ड्रेंचिंग की जाती है।
फर्टिगेशन और कीट नियंत्रण
फर्टिगेशन और कीट नियंत्रण का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है। सर्दियों में पौधों का विकास धीमा रहता है, इसलिए फर्टिगेशन 15 फरवरी के बाद शुरू किया जाता है। शुरुआत में 19:19:19 या ह्यूमिक एसिड का हल्का ड्रेंच किया जा सकता है। बेलों के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि एक जड़ से कई बेलें निकलती हैं। इसके लिए एनपीके 12:61:00, 13:0:45, और फ्लोरिंग स्टेज पर 0:52:34 का उपयोग किया जाता है। तरबूज के आकार को बढ़ाने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट और 0:0:50 एनपीके का फर्टिगेशन किया जाता है।
तरबूज की खेती में कीट नियंत्रण भी अत्यंत आवश्यक है। शुरुआती चरण में जड़ गांठ रोग को रोकने के लिए एलियट या रोको का ड्रेंचिंग किया जा सकता है। फल मक्खी जैसे कीट फलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो बाद में बाजार में नहीं बिक पाते। इनसे बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप और सोलोमन या साइपर सिंबस की स्प्रे का उपयोग किया जाता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।