क्या आप अपने गेहूं को दे रहे हैं ये 17 पोष्टिक तत्व | जाने कैल्शियम और मैग्नीशियम का क्या है फायदा
नमस्कार किसान साथियों किसी भी फसल की बंपर पैदावार पाने के लिए 17 तत्त्वों की जरूरत होती है, लेकिन तीन मैक्रो न्यूट्रिएंट्स कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर की विशेष महत्वता है, जिन्हें सेकेंडरी प्लांट न्यूट्रिएंट्स भी कहा जाता है। इनकी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश से कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन इनकी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स से ज्यादा आवश्यकता होती है। आज की इस रिपोर्ट में हम कैल्शियम और मैग्नीशियम के बारे में बात करेंगे
फसलो मे कैल्शियम का महत्व
कैल्शियम के विभिन्न स्रोत जैसे चूना, जिप्सम, कैल्शियम कार्बोनेट, कैल्शियम सल्फेट, कैल्शियम नाइट्रेट, और मैग्नीशियम सल्फेट आदि को लेकर जो भी सवाल आपके मन में हैं, वे इस रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएंगे।
दोस्तों कैल्शियम कार्बोनेट यानी चूना और मैग्नीशियम का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से जमीन की पीएच वैल्यू बढ़ सकती है, जबकि अगर कैल्शियम को सल्फेट फॉर्म में प्रयोग किया जाए तो जमीन की पीएच वैल्यू कम हो सकती है। यदि आपको ज्यादा पैदावार लेने की इच्छा है और आप इनके नेचुरल और सस्ते सोर्सेस जानना चाहते हैं,
कैल्शियम पौधों की सेल्स की दीवारों को मजबूती प्रदान करता है। पौधों में कैल्शियम आसानी से ऊपर तक मूव नहीं कर सकता, लेकिन पानी में घुलकर यह जड़ों के द्वारा सोखकर पूरे पौधे में फैलता है। यदि बारिशें ज्यादा होती हैं और नमी अधिक होती है, तो ऊपर की पत्तियों में कैल्शियम की कमी महसूस हो सकती है। यह पत्तियां सिकुड़ कर मर भी सकती हैं। आलू की खेती में कैल्शियम का महत्व भी है, क्योंकि आलू के छिलके को मोटा करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है।
टमाटर में ब्लसम एंड रोट बीमारी कैल्शियम की कमी से होती है, इसलिए टमाटर की खेती में कैल्शियम का अच्छा प्रयोग करना चाहिए। अगर जमीन में कैल्शियम ज्यादा डाल दिया जाए तो मैग्नीशियम और कैल्शियम का अपटेक कम हो सकता है, इसलिये इनका बैलेंस बनाकर चलना चाहिए। कैल्शियम नाइट्रेट महंगा होता है और इससे पीएच भी बढ़ता है। कैलबोर से भी कैल्शियम मिलता है, लेकिन यह भी थोड़ा महंगा है। कुछ लिक्विड फॉर्म में कैल्शियम आता है, जो आलू के मोटे होने पर स्प्रे किया जाता है, और बागवानी में भी इसका प्रयोग होता है, लेकिन लिक्विड फॉर्म वाला कैल्शियम भी महंगा होता है।
कैल्शियम के प्रमुख स्रोत
सिंगल सुपर फास्फेट एक सस्ता और प्रभावी विकल्प हो सकता है कैल्शियम के लिए, क्योंकि इसमें 15 से 19% कैल्शियम और 11% सल्फर होता है। गेहूं की फसल में हर साल एक बैग सिंगल सुपर फास्फेट डालने से फसल को लाभ मिलता है। आलू की फसल में तीन बैग सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग किया जा सकता है। इसे बिजाई के समय या पहले पानी से पहले भी डाला जा सकता है।
कैल्शियम के अन्य सस्ते स्रोतों में जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट) शामिल है, जिसमें 19% कैल्शियम और 11% सल्फर होता है। इसे गेहूं में दो बैग डालने से कैल्शियम और सल्फर की कमी पूरी हो सकती है।
एक और सस्ता विकल्प अंडों के छिलके हैं। 20 अंडों के छिलकों को तीन लीटर पानी में उबालकर या एक हफ्ते पानी में भिगोकर छान लें और एक एकड़ में स्प्रे कर दें। इसके अलावा, आधा किलो चूने को तीन-चार लीटर पानी में भिगोकर छान लें और इसका स्प्रे करें। यह तरीका भी सस्ता और असरदार है।
साथ में, जिंक सल्फेट (33%) और फेरस सल्फेट (19%) का घोल बनाकर यूरिया के साथ मिलाकर स्प्रे करने से फसल की बढ़वार, हरियाली और फुटाव में सुधार होगा।
मैग्नीशियम का महत्व
मैग्नीशियम की बात करें तो यह हमारी जमीन में काफी मात्रा में होता है, लेकिन यह मिट्टी और ऑर्गेनिक मटेरियल्स में चिपका रहता है, जिससे पौधों को कम मिलता है। मैग्नीशियम पौधों में क्लोरोफिल का एक अहम हिस्सा है और फोटोसिंथेसिस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हल्की रेत वाली मिट्टी, कम पीएच वाली जमीन, ज्यादा पोटाश या कैल्शियम के प्रयोग से मैग्नीशियम की कमी हो सकती है। इसे संतुलन में रखना जरूरी है। मैग्नीशियम सल्फेट सस्ता विकल्प है, जिसमें 10-14% मैग्नीशियम और 15% सल्फर होता है। आलू और मक्के जैसी फसलों में कैल्शियम और मैग्नीशियम का उपयोग पैदावार को बढ़ाने में मदद करता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।