गेहूं की जड़ को मजबूत करने का कारगर तरीका मिल गया है फटाफट जाने
जड़ों की मजबूती के लिए करें इस जैविक खाद का उपयोग
किसान भाइयों, आजकल खेती के क्षेत्र में जैविक खाद (Biofertilizers) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और पैदावार में भी सुधार लाता है। खासकर, अगर हम बात करें फसलों की जड़ों की वृद्धि (Root Growth) के बारे में, तो सही जैविक खाद का चयन और उसका उपयोग फसल के अच्छे विकास के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। फसलों की जड़ों की बढ़ी हुई वृद्धि न केवल पौधे को पोषण (Nutrients) प्राप्त करने में मदद करती है, बल्कि यह उनकी बीमारियों (Diseases) से भी रक्षा करती है। जड़ों की वृद्धि पर ध्यान देने का मतलब है कि फसल की समग्र स्वास्थ्य (Overall Health) में सुधार होना। यही कारण है कि जैविक खाद, जैसे वम माइकोराइजा (VAM Mycorrhiza) का प्रयोग, फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वम माइकोराइजा का उपयोग फसलों की जड़ों की वृद्धि के लिए एक अत्यंत प्रभावी और जैविक तरीका है। यह न केवल पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है, बल्कि फसलों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में भी मदद करता है। यदि आप अपनी फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहते हैं और प्राकृतिक तरीके से खेती करना चाहते हैं, तो यह जैविक खाद आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आज की रिपोर्ट में हम जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे यह खाद फसलों की जड़ों की वृद्धि में मदद करती है, इसके लाभ क्या हैं, और इसे कैसे उपयोग में लाया जा सकता है। तो चलिए इन सब बातों को विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
जड़ों की वृद्धि पर जैविक खाद का प्रभाव
किसान साथियों, जब हम फसलों की समृद्धि की बात करते हैं, तो उसकी सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसकी जड़ों की वृद्धि होती है। यदि पौधों की जड़ें मजबूत और गहरी होती हैं, तो वे मिट्टी से अधिक पानी और पोषक तत्व (Nutrients) अवशोषित कर सकती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि बेहतर होती है। यही कारण है कि कृषि में पौधों की जड़ों की वृद्धि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आज की रासायनिक खेती को देखते हुए फसलों की जड़ों की वृद्धि के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, वम माइकोराइजा (VAM Mycorrhiza) एक प्रकार का फंगस है, जो पौधों की जड़ों पर अपनी परत बना कर उसे पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है। यह खाद खासतौर पर उन फसलों के लिए फायदेमंद होती है, जो पोषक तत्वों और पानी की कमी से जूझती हैं। वम माइकोराइजा के उपयोग से न केवल जड़ों की लंबाई बढ़ती है, बल्कि यह पौधों को मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे कि फास्फोरस (Phosphorus), जिंक (Zinc), सल्फर (Sulfur), और कैल्शियम (Calcium) को अवशोषित करने में मदद करता है।
वम माइकोराइजा कैसे काम करता है?
किसान भाइयों, वम माइकोराइजा एक प्रकार का माइक्रोस्कोपिक फंगस है, जो पौधों की जड़ों पर अपना आवरण बना लेता है। यह फंगस मिट्टी में घुलकर फसलों को अधिक पोषक तत्वों का अवशोषण करने में मदद करता है। इसका मुख्य काम यह होता है कि यह जड़ों की लंबाई बढ़ाता है और इसे अधिक विस्तृत बनाता है। जब जड़ें अधिक लंबी होती हैं, तो वे अधिक मात्रा में पानी और पोषक तत्वों को सोख सकती हैं, जिससे पौधों की सेहत में सुधार आता है। वम माइकोराइजा विशेष रूप से फास्फोरस (Phosphorus) अवशोषण में सहायक होता है, क्योंकि यह पोषक तत्व मिट्टी में बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होता है और जड़ों तक नहीं पहुंच पाता। जब वम माइकोराइजा जड़ों पर अपना आवरण बनाता है, तो वह इस अवशोषण प्रक्रिया को बेहतर करता है। इसके अलावा, यह पौधों के जड़ों को बीमारियों (Diseases) से भी बचाता है, क्योंकि यह एक प्राकृतिक कवच की तरह कार्य करता है, जो फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को रोकता है।
उपयोग की मात्रा
किसान साथियों, वम माइकोराइजा का प्रयोग फसल की बुवाई के समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे बीजों के साथ मिलाकर या खेत में सीधे डालकर उपयोग किया जा सकता है। यदि आप बीज उपचार करना चाहते हैं, तो आपको एक किलो बीज के साथ 20 ग्राम वम माइकोराइजा मिलाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वम माइकोराइजा बीजों के संपर्क में आएगा और पौधे की जड़ों पर प्रभाव डालेगा। इसके अलावा, यदि आपने पहले से बुवाई कर दी है और अब फसल बढ़ी हुई है, तो भी आप वम माइकोराइजा का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आपको 4 किलो वम को 50 से 60 किलो गोबर की खाद (Cow Dung) में अच्छी तरह से मिला कर खेत में बिखेरना होगा। फिर सिंचाई करें, जिससे यह खाद जड़ों तक पहुंच सके और उनकी वृद्धि को प्रोत्साहित करे।
वम माइकोराइजा के लाभ
किसान साथियों, वम माइकोराइजा पौधों की जड़ों को अधिक लंबा और मजबूत बनाता है, जिससे वे अधिक पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित कर पाती हैं। अगर इससे होने वाले फायदे की बात की जाए तो यह विशेषकर फास्फोरस (Phosphorus) और जिंक (Zinc) जैसे पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ता है। जिसके कारण न सिर्फ फास्फोरस जैसी उर्वरकों की बर्बादी रुकती है, अपितु मिट्टी में पड़े हुए ये पोषक तत्व सक्रिय रूप में कार्य करते हुए फसल की वृद्धि में भी अपना योगदान देते हैं। इसके अलावा, यह जैविक खाद जड़ों को फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाती है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है। साथ ही, वम माइकोराइजा मिट्टी की संरचना (Soil Structure) को सुधारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मिट्टी के कणों को मजबूत बनाता है, जिससे मिट्टी में जल धारण क्षमता (Water Retention) बढ़ती है।
वम माइकोराइजा का प्रयोग कैसे करें
किसान भाइयों, बुवाई के समय बीजों को वम माइकोराइजा से उपचारित करें या इसे खेत में गोबर की खाद में मिलाकर डालें। यदि आप बिजाई के समय किसी कारण से इसका उपयोग नहीं कर सके और फसल पहले ही बोई जा चुकी है और जड़ों की वृद्धि में कमी आ रही है, तो आप वम माइकोराइजा को बाद में भी पहली सिंचाई या दूसरी सिंचाई के दौरान गोबर की खाद में मिलाकर खेत में छिड़क सकते हैं और फिर सिंचाई कर सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।