चने का उत्पादन बढ़ाने के फार्मूले की सारी जानकारी। उत्पादन की सारी जानकारी यहाँ देखे
अगर चने में अधिक पैदावार लेना चाहते हैं तो अपनाएं यह तरीका
किसान भाइयों, विभिन्न प्रकार की फसलों में दलहन (Legumes) की खेती एक प्रमुख स्थान रखती है, जिनमें चना (Chickpea) का उत्पादन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। चना एक ऐसी फसल है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में न केवल खाद्य के रूप में बल्कि विभिन्न कृषि प्रणालियों में भी एक अहम भूमिका निभाती है। यह फसल बहुत ही लाभकारी होती है और इसकी खेती किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बन सकती है। चने की खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कम पानी में उगाई जा सकती है और यह मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन को बेहतर तरीके से संरक्षित करती है। इसका मतलब यह है कि चने की खेती न केवल किसानों के लिए फायदे का सौदा होती है, बल्कि यह भूमि की उर्वरकता को भी बनाए रखने में मदद करती है। चना किसानों के लिए एक मूल्यवान फसल है, क्योंकि यह एक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ है, जो भारत में गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोटीन की कमी को दूर करता है। इसके अलावा, यह बाजार में भी एक लोकप्रिय दलहन है, जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग होता है। आजकल किसानों के लिए चने की पैदावार बढ़ाना एक महत्वपूर्ण चुनौती बन चुकी है। खाद्य सुरक्षा, बाजार की मांग, और किसानों की आय में वृद्धि की दिशा में चने की अधिक पैदावार प्राप्त करना आवश्यक हो गया है। हालांकि, चने की खेती एक आसान कार्य नहीं है और इसमें कई कारकों का ध्यान रखना पड़ता है। इन कारकों में सही सिंचाई, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता, कीट नियंत्रण, पोषक तत्वों की आपूर्ति, और मौसम की स्थिति प्रमुख हैं। इन सभी बातों को सही तरीके से समझना और उनका पालन करना चने की बेहतर पैदावार में सहायक होता है। किसान भाई जब चने की खेती करते हैं, तो वे चाहते हैं कि उन्हें अधिक से अधिक फसल मिले, जिससे उनकी मेहनत का सही लाभ उन्हें मिले। इसके लिए सही खेती तकनीक और अच्छे कृषि प्रबंधन का पालन करना बेहद जरूरी है। इस रिपोर्ट में हम चने की पैदावार बढ़ाने के कुछ आसान और प्रभावी तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं। इस जानकारी का पालन करके किसान अपने चने की पैदावार को बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में सुधार कर सकते हैं। हम इस रिपोर्ट में चर्चा करेंगे कि चने की पैदावार कैसे बढ़ाई जाए और इसके लिए कौन-कौन सी महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए। यह जानकारी आपको सही तरीके से चने की खेती करने के लिए मददगार साबित होगी। तो चलिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
सिंचाई प्रणाली
किसान साथियों, चने की पैदावार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसके पानी की आपूर्ति पर निर्भर करता है। अगर समय पर और सही मात्रा में पानी दिया जाए तो पौधे स्वस्थ रहते हैं और अधिक दाने निकलते हैं। हालांकि, अगर ज्यादा पानी दिया जाए तो इसके फलने-फूलने पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण से सही समय पर और सही तरीके से पानी देना आवश्यक है। चने की फसल में पानी की मात्रा मिट्टी पर निर्भर करती है। जैसे कि, काली और भारी मिट्टी में पानी की धारण क्षमता अधिक होती है, जबकि पीली मिट्टी में पानी जल्दी अवशोषित हो जाता है। इसलिए, काली मिट्टी में कम पानी देना और पीली मिट्टी में थोड़ा अधिक पानी देना चाहिए। अगर सिंचाई की बात की जाए तो चने की फसल जब लगभग 20 से 30 दिनों की हो जाती है, तब पहली बार पानी देना चाहिए। इस समय पौधों की जड़ें मजबूत हो रही होती हैं, और यह पानी उन्हें बढ़ने में मदद करता है। उसके बाद चने के फूल आने के समय दूसरा पानी देना चाहिए, ताकि पौधे की वृद्धि बेहतर हो और दाने अच्छे से विकसित हो सकें। किसान भाइयों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि फूल आने से पहले पानी देना फायदेमंद है, क्योंकि इस समय पानी देने से पौधों की वृद्धि सही तरीके से होती है और दाने अच्छे होते हैं। इसके अलावा, ज्यादा पानी देने से फूलों के गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे पैदावार कम हो सकती है।
बीमारियों से बचाव
किसान साथियों, चने में कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं, जो पैदावार को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें से प्रमुख कीटों में इल्ली (Grain borers) और फफूंद (fungus) शामिल हैं। यह कीट खासकर चने की शुरुआत में पौधों की शाखाओं को काटते हैं और फूल आने के समय भी नुकसान पहुंचाते हैं। इस कारण से चने के पौधों को कीटनाशक स्प्रे करने की जरूरत होती है। इसके लिए आपको जैसे ही चने की फसल में इल्ली दिखाई देने लगे, आपको पहले स्प्रे के लिए एक प्रभावी कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए। यह स्प्रे छोटी अवस्था में इल्ली को नष्ट करने के लिए किया जाता है। उसके बाद जब चने के पौधों पर फूल आ जाएं और सभी फूल निकल आएं, तब दूसरा स्प्रे किया जाता है। इस समय, चने के फूलों को बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग बहुत प्रभावी होता है। यदि इसके बाद भी कीट दिखाई देते हैं, तो तीसरा कीटनाशक स्प्रे करना जरूरी हो जाता है। यह स्प्रे पूरी तरह से नए कीटनाशक से किया जाता है, जो पहले के स्प्रे में उपयोग किए गए कीटनाशक से अलग होता है। चने में इल्ली की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी 1250 से 1500 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव कर सकते हैं। या फिर आप ट्राज़ोफ़ॉस 40 ईसी 1000 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव भी कर सकते हैं। अगर हर स्प्रे पर अलग दवाई के छिड़काव की बात करें तो आप क्यूनॉलफ़ास 25 ईसी 1000 से 1250 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें या कोराजन कीटनाशक 60 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें। इल्ली की रोकथाम के लिए आप ईएम 1 कीटनाशक 100 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे भी कर सकते हैं।
पोषक तत्वों की सही आपूर्ति
किसान भाइयों, चने की अच्छी पैदावार के लिए पौधों को सही पोषक तत्वों की आपूर्ति जरूरी है। वैसे तो चने की फसल में उर्वरकों की अधिक आवश्यकता नहीं होती लेकिन फिर भी पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए टॉनिक का प्रयोग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। टॉनिक से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है और ज्यादा दाने निकलते हैं। अगर टॉनिक की बात करें तो पोषक सुपरटॉनिक का प्रयोग, एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जो चने की फसल के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इस टॉनिक का उपयोग करके किसानों ने बहुत अच्छे परिणाम देखे हैं और उनकी पैदावार में भी सुधार हुआ है। इसलिए, आप भी इसे प्रयोग में लाकर चने की फसल को बेहतर बना सकते हैं।
मिट्टी की स्थिति
किसान भाइयों, चने की खेती की सफलता का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू मिट्टी की स्थिति है। मिट्टी की स्थिति यह तय करती है कि चने को कितना पानी, खाद और ध्यान देना पड़ेगा। यदि मिट्टी उपजाऊ है, तो पौधे जल्दी बढ़ते हैं और अच्छी पैदावार होती है। वहीं, अगर मिट्टी खराब है, तो उसमें पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे फसल सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती। इसलिए यदि आप चने की फसल में बढ़िया पैदावार चाहते हैं तो किसान भाइयों को अपनी मिट्टी की स्थिति के अनुसार सही खाद और सिंचाई का प्रबंध करना चाहिए।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।