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धान की सीधी बुवाई हो सकती है फायदे का सौदा | पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

धान की सीधी बुवाई हो सकती है फायदे का सौदा | पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियों अब मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है और खरीफ फसलों की बुवाई जोरों पर है। धान, खरीफ की मुख्य फसल है, और इसकी अच्छी पैदावार के लिए किसान अनेक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही मे बांदा के जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर प्रमोद कुमार द्वारा किसानों को डीएसआर (Direct Seeded Rice) विधि अपनाने की सलाह दी गई है, जिससे वे कम खर्च, कम पानी, और कम श्रम में धान की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें। मॉनसून की शुरुआत के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई का समय आता है और धान खरीफ की मुख्य फसल होने के कारण इसकी खेती पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

डीएसआर (Direct Seeded Rice) विधि: डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) विधि में धान की सीधी बुवाई की  एक तकनीक है। इसमें किसान सीड ड्रिल का उपयोग करके सीधे खेत में धान के बीज बोते हैं। परंपरागत विधि में पहले नर्सरी में बुवाई की जाती है, फिर 25 दिन बाद नर्सरी में उगे पौधों को उखाड़कर खेतों में रोपा जाता है।  

डीएसआर विधि के फायदे: परंपरागत विधियों की तुलना में डीएसआर विधि में खर्च कम होता है क्योंकि इसमें खेत को बार-बार जोतने, बराबर करने और पौधों को उखाड़कर पुनः लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इस विधि में धान की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जो जल संरक्षण में सहायक है। मजदूरों की आवश्यकता कम होती है क्योंकि पौधों को उखाड़कर दोबारा लगाने की आवश्यकता नहीं होती। डीजल और अन्य ईंधन की खपत कम होती है, जिससे पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है। फसल जल्दी पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई समय पर की जा सकती है।

डीएसआर विधि की प्रक्रिया:
1.    बीज का चयन: 100-110 दिनों में पकने वाले कम अवधि वाले बीज का चयन करें। प्रति हेक्टेयर 40 से 50 किलोग्राम धान के बीज की आवश्यकता होती है।
2.    बुवाई का समय: जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक बुवाई करें।
3.    बुवाई की दूरी: बीज को 25 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में बोएं।
4.    खेत की तैयारी: खेत को समतल और अच्छी तरह से तैयार करें।
5.    सिंचाई: बुवाई के बाद खेत में नमी बनाए रखें, लेकिन ध्यान दें कि पानी की मात्रा परंपरागत विधियों की तुलना में कम हो।
किसानों के लिए सलाह:  पंक्ति में बुवाई करने से यांत्रिक विधियों से खरपतवार नियंत्रित करना आसान होता है।  फसल की आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करें। डीएसआर विधि से खेती करने पर मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

डीएसआर विधि से  फसल की उत्पादकता और लाभ में बढ़ोतरी
1.    श्रम की बचत: नई तकनीकों और विधियों का उपयोग करने से मेहनत कम लगती है, जिससे किसानों की शारीरिक मेहनत बचती है।
2.    कम समय में फसल बुवाई: आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों के उपयोग से फसल बुवाई कम समय में की जा सकती है।
3.    फसल जल्दी पकना: फसल 7 से 10 दिन पहले पक जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई समय से की जा सकती है। इससे किसानों को साल में अधिक फसलें उगाने का मौका मिलता है।
4.    जल की खपत कम: नई सिंचाई प्रणालियाँ, जैसे ड्रिप इरिगेशन, से जल की खपत कम होती है, जिससे पानी की बचत होती है।
5.    खर्च में कमी: जुताई-बुवाई का खर्च कम आता है जिससे ईंधन की भी बचत होती है। इससे किसानों की आर्थिक बचत होती है।
6.    खरपतवार नियंत्रण: पंक्ति में बुवाई करने से यांत्रिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करने में सुविधा होती है, जिससे फसलें अधिक स्वस्थ रहती हैं।
7.    बीमारियों का उपचार: पंक्ति में बुवाई करने से पौधों का उपचार भी आसानी से किया जा सकता है, जिससे फसलों की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर रहती है।
8.    पर्यावरण के लिए फायदा: धान की फसल से निकलने वाली मीथेन गैस की मात्रा कम हो जाती है, जो वातावरण के लिए लाभकारी है और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाती है।
इन लाभों के कारण किसानों की कृषि उत्पादकता और आय में वृद्धि हो सकती है, और उनकी जीवनशैली में सुधार हो सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।