गेहूं का बाजार हुआ गर्म | जाने क्या है इसकी वजह
साथियो गेहूं खाद्यान्नों में सबसे अधिक खपत होने वाली फसल है और सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री नीतियों में परिवर्तन करके महंगाई को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, जमाखोरी के चलते गेहूं की बाजार में अच्छी कीमतों के बावजूद, कुछ लोग स्टॉक करने से नहीं चूकते हैं और इससे भारी मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं।
साथियो यह सच है कि सरकार की नीतियों के बावजूद, जमाखोर व्यापारी अपने लाभ कम करने के लिए तैयार नहीं होते हैं और अपने स्टॉक में गेहूं जमा करके भारी मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। इसके कारण खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि होती है जो आम लोगों को परेशान तो करती ही है और इससे किसान साथियो को भी कोई लाभ नहीं मिलता। सारा लाभ बीच के जमाखोर हजम कर जाते हैं। यही कारण है कि महीने के शुरुआत में जो गेहूं, लॉरेंस रोड पर 2600 रुपए प्रति क्विंटल मिल पहुंच में बिका था, उसके भाव आज 2700 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं तथा इन भावों में भी कुछ बड़ी मिलों को 15/20 रुपए अंदर से देना पड़ा, ऐसी मार्किट में खबर थी।
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कैसी होनी चाहिए सरकारी नीतियाँ
इस समस्या का समाधान करने के लिए, सरकार को नीतियों को मजबूत बनाए रखने, मूल्य नियंत्रण मेकेनिज्म को सुधारने और जमाखोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इस समस्या का सामना करने के लिए सरकार को सक्रिय रूप से कदम उठाना चाहिए। यहां कुछ कदम हो सकते हैं जो सरकार ले सकती है:
- गेहूं और अन्य खाद्यान्न की आपूर्ति में सुनिश्चितता
- सरकार को खाद्यान्न की आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए उत्तर प्रदेश में जमाखोरी का समाधान ढूंढने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
- मंडी सुधार और दलाली का नियंत्रण:
- सरकार को मंडियों में प्रणालीकृत सुधार और दलाली को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
- भंडारण क्षमता में सुधार:
खाद्यान्न की सही समय पर भंडारण की क्षमता में सुधार करना भी महत्वपूर्ण है। - खाद्यान्न की नियमित जाँच और प्रबंधन:
- सरकार को खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी रखने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित जाँच और प्रबंधन की जरूरत है। इन कदमों के माध्यम से सरकार जमाखोरी और खाद्यान्न की शॉर्टेज से निपटने में सक्षम हो सकती है और किसानों को उनकी फ़सल का सही दाम देने के साथ-साथ और जनता को भी सही मूल्यों में खाद्यान्न प्रदान कर सकती है।
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गेहूं के बाजार में क्या है माहौल
व्यापारियों का कहना है कि एफसीआई से टेंडर तो हो रहे हैं, लेकिन कुछ टेंडर में दिक्कतें आ रही हैं। दूसरी ओर पिछले एक सप्ताह उत्तर प्रदेश में से गेहूं की चौतरफा मांग बनी हुई है, जिसके कारण टेंडर का माल लोकल मंडियों में आने की बजाय यूपी के लिए लोड होने लगा है।
गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सीज़न में गेहूं का उत्पादन अनुमान 1140 लाख मीट्रिक टन होने का लगाया गया है, जो गत वर्ष की - अपेक्षा 80 लाख मीट्रिक टन अधिक है तथा नया माल 3 महीने बाद आएगा, उससे पहले सरकार को जमाखोरी पर सख्ती से ध्यान देना पड़ेगा, अन्यथा बाजार फिर 3000 रुपए के आसपास पहुंच जाएंगे। सरकार के अथक प्रयास से पिछले दिनों 2925 रुपए प्रति क्विंटल ऊपर में गेहूं बिकने के बाद वर्तमान में पिछले दिनों 2500 रुपए नीचे में देख आया था, लेकिन फिर यहां से 250 रुपए की उल्लेखनीय तेजी आ चुकी है तथा ऐसा लगता है कि अभी और बाजार बढ़ जाएंगे, जिससे आम उपभोक्ताओं को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी
सरकार के प्रयासों के बावजूद, गेहूं के बाजार में प्रारंभिक ऊपरी मुद्राएं देखी गईं हैं, लेकिन फिर बाजार में तेजी आ रही है और कुछ और बढ़ोतरी की जा सकती है। इससे आम उपभोक्ताओं को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है। जबकि किसानों को इसका कोई खास फायदा होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि इस समय किसान साथियो के पास गेहूं नहीं हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।