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क्रूड ऑयल के भाव गिरे | क्या 10 रुपये सस्ता होगा पेट्रोल डीज़ल

क्रूड ऑयल के भाव गिरे | क्या 10 रुपये सस्ता होगा पेट्रोल डीज़ल
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पेट्रोल और डीजल 10 रुपए तक सस्ता हो सकता है, क्योंकि 1 साल में क्रूड ऑयल के दाम 15% तक गिर गये हैं, जिससे तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ सकता है।                             
सरकारी तेल कंपनियां अपने तीसरे तिमाही के नतीजों के बाद और लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 10 रुपए तक कम कर सकती हैं। इसका कारण है कि कच्चे तेल की कीमतें साल में करीब 15% तक कम तक कि गिरावट देखी गयी हैं।                               
इससे तीनों सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का नेट प्रॉफिट तीसरी तिमाही में ₹75,000 करोड़ के पार पहुंचने की संभावना है,आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मिला है।,

तेल कम्पनियों का बढा मुनाफा
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर लगभग 10 रुपए प्रति लीटर कमाई कर रही हैं, जिसे वे ग्राहकों को पास कर सकती हैं। ये तेल कंपनियां आखिरी बार सन 2022 को अप्रैल महीने में पेट्रोल और डीजल के दाम कम करे थे ।                           
वर्तमान में देश के अधिकांश भागों में पेट्रोल कीमतें 100 रुपए से अधिक और डीजल कीमतें 90 रुपए से अधिक प्रति लीटर हैं। पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी का कदम महंगाई को कम करने में मदद कर सकता है और इसका आसार 2024 के आम चुनावों से पहले महत्वपूर्ण हो सकता है।

तेल कम्पनियों को ₹ 57091.87 करोड़ का मुनाफा

 पहली छमाही में, संयुक्त रूप से तीनों ओएमसी (Indian Oil Corporation - IOC, Bharat Petroleum Corporation - BPCL, और Hindustan Petroleum Corporation - HPCL) कंपनियों का नेट प्रॉफिट ₹57,091.87 करोड़ है। सरकार इन तीनों कंपनियों के प्रमोटर और मेजॉरिटी स्टेक होल्डर है। HPCL ने घोषणा की है कि वह 27 जनवरी को अपने तीसरी तिमाही के नतीजे घोषित करेगी, जबकि अन्य दो कंपनियां उसी समय अन्तराल के आसपास रिजल्ट घोषित कर सकती हैं।                                                 

कच्चे तेल के दामों में आई गिरावट से, तेल कंपनियों का मुनाफा मे हुई बढ़ोतरी
कच्चे तेल के दामों में कमी के कारण, तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ा। आकडों के अनुसार, जुलाई 2022 में, भारतीय बास्केट की औसत तेल कीमतें गिरना शुरू हुईं और अगस्त 2022 में $100 ($97.4 प्रति बैरल) से नीचे आ गईं। मार्च 2023 तक इनमें औसतन $78.54 हो गया, और 2023-24 के पहले दो महीनों में - सितंबर 2023 ($93.54) और अक्टूबर 2023 ($90.08) को छोड़कर - यह कभी भी $90 से ऊपर नहीं गया। इससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को पहले दो तिमाहियों में अच्छा नेट प्रॉफिट कमाने में मदद मिली।
सितंबर 2023 के बाद, तेल की कीमतें कम हो गईं - नवंबर में 83.46 डॉलर प्रति बैरल और दिसंबर 2023 में 77.42 डॉलर। चालू महीने (जनवरी 2024) में भी, 15 दिन का औसत 77.8 डॉलर प्रति बैरल है।        

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पेट्रोल और डीजल से अच्छा खासा टैक्स वसूलती हैं सरकार
भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स और शुल्क हैं। पेट्रोल और डीजल की बेस प्राइज कुछ रुपए होती है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें इस पर विभिन्न टैक्स और शुल्क लगाती हैं, जिससे उनकी कीमत बढ़ती है।
इसके अंतर्गत, केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) और सेस (सेंट्रल सेल्स टैक्स) लगाती हैं। इन टैक्स और शुल्कों के कारण, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बेहतरीन होने के बावजूद उच्च रहती हैं। हमारे देश में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज तो अभी 57 रुपए के करीब ही है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें इस पर टैक्स लगाकर इसे 100 रुपए पर पहुंचा देती हैं। इस पर केंद्र सरकार 19.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से 2 गुना तक बढ़ जाता है। यह टैक्सों का होना भी सीधे प्रभावित करता है क्योंकि इससे उच्च रसोई तेल और अन्य उपयोगिता सामग्रियों पर भी असर पड़ता है।                                     

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कैसे तय होती हैं, इसमें कई कदम शामिल हैं:

  • कच्चे तेल की कीमतें: ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का निरीक्षण करती हैं। यह तेल बाजार की मुद्रा और उसके उत्पादकों के साथ संबंधित हो सकती है।
  • एक्सचेंज रेट: ऑयल कंपनियां विभिन्न विदेशी मुद्राओं के साथ रुपये के एक्सचेंज रेट का ध्यान रखती हैं, क्योंकि कच्चे तेल कीमतें विदेशी मुद्रा में होती हैं।
  •  टैक्स: सरकारें पेट्रोल और डीजल पर विभिन्न प्रकार के टैक्स और शुल्क लागू करती हैं, जैसे कि एक्साइज ड्यूटी, वैट, और सेस।
  • ट्रांसपोर्टेशन का खर्च: इसमें पेट्रोल और डीजल के ट्रांसपोर्टेशन, खुदाई, पंप के संचालन, और डीलर मार्जिन भी शामिल हो सकते हैं।
  • अन्य खर्च: ऑयल कंपनियां अन्य खर्चों को भी मध्यनजर में रखती हैं, जैसे कि उत्पादन, विपणि, और अन्य संबंधित लागतें।

इन सभी कारकों को मध्यनजर में मिलाकर पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय की जाती हैं। इस प्रक्रिया के बाद, केंद्र और राज्य सरकारें अपने टैक्स और शुल्कों को जोड़कर अंतिम मूल्य को निर्धारित करती हैं जो आम लोगों को देना होता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।