अब मोबाइल पर घर बैठ कर करें गिरदावरी | जाने क्या है पूरी प्रक्रिया
किसान साथियो राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए खरीफ गिरदावरी 2023 के लिए एक नई ऑनलाइन सुविधा शुरू की है। अब किसान अपनी फसलों की गिरदावरी खुद कर सकेंगे। सरकार द्वारा लॉन्च किए गए 'राज किसान गिरदावरी एप' के माध्यम से किसान अपने मोबाइल फोन से ही अपनी फसल की जानकारी आसानी से दर्ज कर सकते हैं। इस सुविधा के आने से किसानों को पटवारियों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे अपनी फसल की जानकारी स्वयं ही सरकार तक पहुंचा सकेंगे। यह नया कदम न केवल किसानों की सुविधा के लिए है, बल्कि गिरदावरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के उद्देश्य से भी उठाया गया है। इस पहल से किसानों को समय और धन दोनों की बचत होगी और उन्हें अपनी फसल से संबंधित जानकारी समय पर प्राप्त होगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सरकार ने शुरू की ई-गिरदावरी की सुविधा
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक नई सुविधा शुरू की है जिसके तहत वे अब अपने मोबाइल फोन पर एक ऐप के माध्यम से अपनी फसलों की ई-गिरदावरी स्वयं कर सकते हैं। इस ऐप का उपयोग करने के लिए किसान को सबसे पहले अपने जनाधार आईडी से लॉग इन करना होगा। इसके बाद, एक ओटीपी उनके आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, जिसका उपयोग करके वे अपनी पहचान की पुष्टि कर सकते हैं। इसके बाद, किसान को एप में अपनी भूमि का खसरा नंबर, जिला, तहसील और गांव का चयन करना होगा। फसल की जानकारी दर्ज करते समय किसान को यह भी बताना होगा कि फसल सिंचित है या असिंचित। इसके अलावा, यदि खेत में फलदार पेड़ हैं तो उनकी संख्या भी दर्ज करनी होगी। सरकार ने किसानों को यह सुविधा देने का मुख्य उद्देश्य फसल उत्पादन के आंकड़ों को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाना है। इस प्रक्रिया को पूरा करने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
फसलों की गिरदावरी क्या की जाती है?
गिरदावरी एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है जो साल में दो बार, रबी और खरीफ की फसल के दौरान की जाती है। इस प्रक्रिया के तहत, पटवारी किसानों से उनके खेतों में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं और इसे राजस्व विभाग में दर्ज करते हैं। इस जानकारी में खेत का क्षेत्रफल, किसान का नाम, बोई गई फसल का प्रकार आदि शामिल होता है। पहले, यह सारी जानकारी कागजी दस्तावेजों पर दर्ज की जाती थी, जिससे अक्सर गलतियाँ हो जाती थीं। लेकिन अब, तकनीक के विकास के साथ, कई राज्यों ने इस प्रक्रिया को डिजिटल बना दिया है। अब पटवारी स्मार्टफोन या कंप्यूटर के माध्यम से एप या पोर्टल पर सीधे जानकारी दर्ज करते हैं। इससे न केवल समय और संसाधनों की बचत होती है बल्कि डेटा की सटीकता भी सुनिश्चित होती है। राजस्थान में ई-धारा पोर्टल, हरियाणा में Egirdawari और मध्यप्रदेश में SAARA ऐप जैसी पहलें इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन पोर्टलों और ऐप्स के माध्यम से पटवारी आसानी से किसानों की जानकारी एकत्र कर सकते हैं और उसे डिजिटल रूप में संग्रहित कर सकते हैं। इससे न केवल सरकार को कृषि नीतियां बनाने में मदद मिलती है बल्कि किसानों को भी कई तरह की सुविधाएँ मिलती हैं। डिजिटल गिरदावरी से किसानों को फसल बीमा, कृषि ऋण आदि जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होती है। साथ ही, सरकार को भी कृषि उत्पादन, फसल पैटर्न आदि के बारे में सटीक आंकड़े मिलते हैं, जिससे वह कृषि क्षेत्र में बेहतर नीतियां बना सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
क्यों जरुरी है फसलों की गिरदावरी?
किसानों की आजीविका का मुख्य आधार उनकी फसल होती है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि आदि अक्सर किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ जाती है। ऐसी स्थिति में किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा फसल गिरदावरी की व्यवस्था की गई है। फसल गिरदावरी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार के अधिकारी खेतों का निरीक्षण करके फसलों की स्थिति का आकलन करते हैं। यदि फसल को किसी प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से नुकसान पहुंचा है, तो किसान सरकार से मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं। इस मुआवजे से किसानों को अपने आर्थिक नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाती है और वे दोबारा खेती शुरू करने में सक्षम हो पाते हैं। इसके अलावा, कई बैंक किसानों को खेती के लिए ऋण देते समय फसल गिरदावरी रिपोर्ट को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में मानते हैं। यह रिपोर्ट बैंक को यह आश्वासन देती है कि किसान अपनी फसल से ऋण चुकाने में सक्षम होगा। इस प्रकार, फसल गिरदावरी किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह न केवल प्राकृतिक आपदाओं के समय किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाती है, बल्कि उन्हें खेती के लिए ऋण प्राप्त करने में भी मदद करती है।
घर पर बैठे मोबाइल से कसे करे ई-गिरदावरी
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ई-गिरदावरी प्रणाली ने किसानों के लिए एक नई सुविधा का द्वार खोल दिया है। इस प्रणाली के माध्यम से अब एक खातेदार अपनी संपूर्ण खसरे की गिरदावरी स्वयं कर सकता है। यदि किसी खसरे में एक से अधिक फसलें हैं तो प्रत्येक फसल की जानकारी अलग-अलग दर्ज की जा सकती है। खास बात यह है कि जिन किसानों के खेत में फिलहाल कोई फसल नहीं है, वे भी बिना फसल वाली गिरदावरी कर सकते हैं, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की रबी गिरदावरी बाकी न रहे। इस नई प्रणाली से किसानों को पटवारियों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल गई है और वे अब अपनी फसल की जानकारी स्वयं दे सकते हैं। इससे गिरदावरी कार्य की सटीकता और विश्वसनीयता में काफी सुधार हुआ है। किसानों को अब अपनी फसल की सही जानकारी देने में कोई परेशानी नहीं होगी। यह प्रणाली किसानों को सशक्त बनाने और उन्हें पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।