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नई कंबाइन की सेल्स में आयी भारी गिरावट | जानिए कोन सी कम्पनी रही टॉप | क्या घाटे का सौदा है कंबाइन की खरीदारी

नई कंबाइन की सेल्स में आयी भारी गिरावट | जानिए कोन सी कम्पनी रही टॉप | क्या घाटे का सौदा है कंबाइन की खरीदारी
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धान की कटाई का समय वह समय होता है जब किसान को लेबर की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेबर की इस मारामारी से बचाने वाली मशीन कंबाइन हार्वेस्टर है। कंबाइन हार्वेस्टर, जो फसलों की कटाई और थ्रेसिंग का काम एक साथ करते हैं, कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले कई सालों से भारत में कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद लगातार बढ़ रही थी । लेकिन साल 2024 में नई कंबाइन की बिकवाली में 80% तक की गिरावट देखने को मिली है। कंबाइनों की सेल्स में आयी इस गिरावत के क्या करण है और आगे चलकर कंबाइन हार्वेस्टर का भविष्य कैसा रह सकता है आज की रिपोर्ट में हम आपको इसी की जानकारी देने वाले हैं।

भारत में कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद में कमी:
भारत में कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। लेकिन कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद में आयी कमी किस ओर इशारा कर रही है आइए जानते हैं

कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद में कमी के कारण
आर्थिक हालत का कमजोर होना: सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद देश में किसानो की हालत इतनी अच्छी नहीं है। फ़सल के कम भाव रहने के कारण किसानों की आय कम होने से वे महंगे कृषि यंत्रों जैसे कंबाइन हार्वेस्टर को खरीदने से हिचकिचाते हैं।

कम दिनों का काम रहना
किसान साथियो कंबाइन की कीमत इन दिनों 28 से 30 लाख के आसपास पड़ती है। इतनी ऊंची कीमत की मशीन होने के कारण इसे अक्सर लोन पर लिया जाता है। मशीन लेने के बाद ही पता चलता है कि यह मशीन साल में ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 महीने ही चल पाती है उसके बाद काम खत्म हो जाता है और काम ना मिलने के कारण  यह पूरे साल तक खड़ी रहती है। इसलिए ब्याज का भुगतान करना ही किसान को भारी पड़ता है। इसलिए कंबाइन लेना और इसे चलाना फायदे का सौदा कम नजर आता है।

कृषि उत्पादों के दामों में गिरावट
साथियो आपने देखा ही होगा कि जब फ़सल की कटाई का सीज़न रहता है तो फ़सल के दाम न्यूनतम स्तर पर होता है। सोयाबीन और सरसों जैसी फसलों के दाम MSP से नीचे चल रहे हैं। कृषि उत्पादों के दामों में लगातार गिरावट से किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा है। इससे वे नए कृषि यंत्रों में निवेश करने से बचते हैं।
 
ऋण की उपलब्धता में कमी
किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए ऋण लेने में कठिनाई होती है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ऋण देने में इसलिए संकोच करते हैं क्योंकि किसान की आय का कोई फिक्स साधन नहीं होता। क्योंकि कंबाइन हार्वेस्टर एक महंगी मशीन है इसलिए बिना लोन के किसान इसे खरीद नहीं पाते हैं।
 
मजदूरों की उपलब्धता
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी मजदूरों की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। इसलिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर खरीदने के बजाय मजदूरों को काम पर लगाना पसंद करते हैं। कंबाइन और हाथ की कटाई के उत्पाद के भाव में फर्क़ होना भी इसका एक कारण है।

डीजल की बढ़ती कीमतें
कंबाइन हार्वेस्टर डीजल से चलते हैं। डीजल की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए एक बड़ा खर्च हैं। कटाई का रेट कम होने के कारण कई बार बात पड़ते से बाहर हो जाती है
 
ड्राइवर की उपलब्धता
कंबाइन चलाने के लिए एक प्रशिक्षण प्राप्त ड्राइवर की जरूरत होती है और कई बार ऐसा होता है कि सीज़न के लिए ड्राइवर ही उपलब्ध नहीं हो पाता और किसान अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस करता है।

निष्कर्ष
कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद में कमी के कई कारण हैं, जिनमें आर्थिक मंदी, कृषि उत्पादों के दामों में गिरावट, ऋण की उपलब्धता में कमी, पुराने कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग, मजदूरों की उपलब्धता, डीजल की बढ़ती कीमतें और ड्राईवरों की कमी शामिल हैं। इन समस्याओं का समाधान करके ही कंबाइन हार्वेस्टर की खरीद को बढ़ावा दिया जा सकता है।

2024 में कोन सी कंपनी रही सेल्स में टॉप
ट्रैक्टर जंक्शन की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 से जून 2024 के डाटा को देखें तो विशाल कंबाइन हार्वेस्टर ने टॉप पोजीशन हासिल की है। विशाल ने 1067 यूनिट सेल की हींग इसके बाद नंबर 2 पर करतार की कंबाइन आती है जिसने इसी अवधि के दौरान 775 यूनिट बेची हैं। अगला नंबर मलकीत कंबाइन का है जिसने 399 कंबाइन सेल की हैं। अगला नंबर प्रीत और जॉन डेयर जैसी कंपनियों का आता है तिहाई के आंकड़े पर भी नहीं पहुंच पायी। Jun महीने की कुल सेल्स 597 यूनिट की हुई जो कि पिछले साल की 3496 यूनिट के मुकाबले 83% कम है।

सुझाव
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार को उचित समर्थन मूल्य प्रदान करना चाहिए। इसके अलावा कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जानी चाहिए। किसानों को भारी कृषि मशीन खरीदने के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि अधिक कुशल और किफायती कृषि यंत्र विकसित किए जा सकें। भारत में कहीं भी कंबाइन चलाने के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं। प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।