आयात निर्यात की नीति के बीच जानिए किस तरह से बदल रहे हैं प्याज के भाव
दोस्तों जब भी प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो यह न केवल खाने का स्वाद प्रभावित करता है, बल्कि आम लोगों के बजट पर भी असर डालता है। पिछले कुछ महीनों से प्याज के दाम स्थिर रहे हैं और इन दामों में थोड़ी गिरावट भी देखी गई है। जो प्याज पहले 70-80 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वह अब 65 रुपये प्रति किलो के आसपास मिल रही है। हालांकि, अब यह चिंता बढ़ने लगी है कि प्याज के दाम फिर से बढ़ सकते हैं। इसके पीछे कुछ अहम कारण हैं, जिनमें सबसे बड़ा कारण है – सरकार द्वारा प्याज के एक्सपोर्ट बैन को हटाना।
आइए, इस बात को विस्तार से समझते हैं कि प्याज के एक्सपोर्ट बैन का हटना कीमतों पर किस तरह से असर डाल सकता है।
एक्सपोर्ट बैन हटाने का असर कीमतों पर
प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत सरकार ने कुछ महीनों पहले प्याज के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का उद्देश्य था कि घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बढ़ाई जाए और इसकी कीमतें स्थिर की जाएं। जब एक्सपोर्ट पर रोक लगी थी, तो देश में प्याज की उपलब्धता बनी रही और कीमतों में संतुलन रहा। अब, जब सरकार ने इस बैन को हटा लिया है, तो इसका सीधा असर विदेशी बाजारों पर पड़ने वाला है।
जब प्याज का एक्सपोर्ट शुरू होगा, तो विदेशी बाजारों में इसकी मांग बढ़ेगी, जिससे प्याज की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंची हो सकती हैं। इसके साथ ही, सरकार ने एक्सपोर्ट टैक्स में भी बदलाव किया है। पहले जहां प्याज पर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता था, अब इसे घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे किसानों को फायदा होगा, क्योंकि उन्हें अब अपने उत्पाद को अच्छे दामों पर विदेशों में बेचने का मौका मिलेगा।
लेकिन इस बदलाव का घरेलू बाजार पर उल्टा असर पड़ सकता है। विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग के कारण भारत में प्याज की आपूर्ति कम हो सकती है, जिससे भारत में प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। यानी, अब भारत में प्याज की कम आपूर्ति होने के कारण इसकी कीमतें घरेलू बाजार में बढ़ सकती हैं।
घरेलू बाजारों में आपूर्ति बढ़ाने की कोशिशें
सरकार ने प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि घरेलू बाजार में प्याज की कमी न हो और कीमतें ज्यादा न बढ़ें। हाल में ही दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर 840 मेट्रिक टन प्याज की बड़ी खेप पहुंची है। इस खेप को दिल्ली की प्रमुख मंडी आज़ादपुर भेजा जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से प्याज की कीमतों में करीब 35 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट हो सकती है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है, क्योंकि प्याज के दाम कम हो सकते हैं।
सरकार का यह प्रयास है कि घरेलू आपूर्ति को बढ़ाया जाए, ताकि प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहें और आम आदमी को सस्ते दामों पर प्याज मिल सके। इसके अलावा, सरकार प्याज के भंडारण की क्षमता बढ़ाने और प्याज के आपूर्ति चैनल को मजबूत करने पर भी ध्यान दे रही है।
प्याज की कीमतों का असर
जब भी प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो इसका असर सबसे ज्यादा आम परिवारों पर पड़ता है। प्याज के बिना भारतीय खाना अधूरा सा लगता है। ऐसे में जब प्याज महंगा हो जाता है, तो यह रोज़मर्रा के खर्च को बढ़ा देता है। खासकर वे परिवार जो मध्यम वर्गीय हैं, उन्हें इसकी कीमतों में वृद्धि से काफी परेशानी होती है।
वहीं, जब प्याज के दाम कम होते हैं तो किसान खुश होते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी फसल का अच्छा मूल्य मिलता है। बढ़ी हुई कीमतों के कारण किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सकता है, जो उनके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। हालांकि, यदि कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ जाएं, तो किसानों को भी इसे बेचने में समस्या हो सकती है, क्योंकि उपभोक्ता कम खरीदने लगते हैं।
सरकार का उद्देश्य किसानों और उपभोक्ताओं के बीच संतुलन बनाए रखना है। किसानों को अच्छा दाम मिले और उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर प्याज मिले, ताकि दोनों पक्षों को फायदा हो सके। हालांकि, यह संतुलन बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता, क्योंकि बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतें बदलती रहती हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।