भारत में घटाया पाम तेल का आयात | क्या घरेलू बाजार में बढ़ेंगे सरसों और सोयाबीन के रेट
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों पाम तेल ही वह तेल है जिसके भारी आयात होने के कारण भारत के किसानों को उनकी तिलहन फसलों के सही दाम नहीं मिल पा रहे थे। लेकिन पाम तेल के आयात मोर्चे से अब एक अच्छी खबर निकल कर आ रही है हाल ही में, जनवरी में पाम तेल का आयात लगभग 14 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह यह है कि रिफाइनर अब सस्ते सोया तेल की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि पाम तेल को रिफाइन करने के बाद मिलने वाला मुनाफा कम हो गया है। भारत दुनिया में वेजिटेबल ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार है, और यहां के आयात में आई कमी मलेशियाई पाम तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकती है, जबकि अमेरिकी सोया तेल की कीमतों को बढ़ा सकती है।
पाम तेल के आयात में गिरावट
भारत में पाम तेल का आयात जनवरी में 14 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार, जनवरी 2025 में पाम तेल का आयात दिसंबर 2024 की तुलना में 45% गिरकर सिर्फ 2,75,241 मीट्रिक टन रह गया। यह आंकड़ा मार्च 2011 के बाद का सबसे कम है। आमतौर पर, भारत हर महीने 7,50,000 टन से अधिक पाम तेल आयात करता था, लेकिन इस बार इसमें भारी गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि पाम तेल की कीमतें बढ़ गई हैं,और बाजार में कम स्टॉक होना है। और इसे रिफाइन करने में लागत ज्यादा आ रही है, जबकि मुनाफा (मार्जिन) कम हो रहा है। दूसरी ओर, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की आपूर्ति अच्छी बनी हुई है, इसलिए रिफाइनर अब पाम तेल की जगह सस्ता सोया तेल खरीदना पसंद कर रहे हैं। इस कमी का असर न केवल भारत के खाद्य तेल बाजार पर पड़ेगा, बल्कि मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की पाम तेल की कीमतों पर भी दबाव बना सकता है।
सोया तेल और सूरजमुखी तेल का बढ़ता आयात
जनवरी के महीने में सोया तेल और सूरजमुखी तेल के आयात में वृद्धि देखी गई। सोया तेल का आयात 5.6% बढ़कर 4,44,026 टन हो गया, जो पिछले सात महीनों में सबसे अधिक है। इसी तरह, सूरजमुखी तेल का आयात भी 8.9% बढ़कर 2,88,284 टन तक पहुंच गया। दूसरी ओर, पाम तेल की शिपमेंट में गिरावट आने के कारण भारत के कुल वेजिटेबल ऑयल आयात में 14.8% की कमी आई, जो पिछले 11 महीनों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गया। इससे साफ है कि बाजार में पाम तेल की ऊंची कीमतों और कम उपलब्धता के कारण व्यापारियों और रिफाइनरों का झुकाव अन्य विकल्पों की ओर बढ़ रहा है।
वेजिटेबल ऑयल का स्टॉक
SEA के अनुसार, हाल के महीनों में खाद्य तेल के आयात में गिरावट के कारण फरवरी की शुरुआत में देश में वेजिटेबल ऑयल का स्टॉक घटकर 2.18 मिलियन टन रह गया, जो अप्रैल 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इसका मतलब है कि देश में वेजिटेबल ऑयल का भंडार कम हो रहा है,इसलिए हो सकता है कि तिलहन के किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम मिल जाये |
आगे कैसा रहेगा खाद्य तेलों का बाजार
एडिबल ऑयल ट्रेडिंग से जुड़ी कंपनी GGN रिसर्च के मैनेजिंग पार्टनर राजेश पटेल का मानना है कि फरवरी में पाम तेल का आयात थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन यह अभी भी सामान्य स्तर से कम रहेगा। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी में सोया तेल का आयात घट सकता है, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात थोड़ा बढ़ने की संभावना है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात करता है।
सरकार घरेलू स्तर पर पाम तेल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पहले ही नेशनल पाम ऑयल मिशन को मंजूरी दे चुकी है। अगर भारत लगातार पाम तेल का आयात कम करता है, तो यह देश के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जैसा कि आप देख ही रहे हैं कि भारत में सोयाबीन और सरसों जैसी तिलहन फसलों के रेट बुरी तरह से गिर रहे हैं। अगर आने वाले समय में विदेशी खाद्य तेलों का आयात घटता है, तो इससे देश में उगाई जाने वाली तिलहन फसलों सोयाबीन और सरसों जैसी फसलों की मांग और कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे किसानों को इसका फायदा हो सकता है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।