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अमेरिका, भारत और अन्य देशों के बीच टेरीफ़ का किस तरह से बदला समीकरण | जाने कौन सा व्यापार कितना होगा प्रभावित

अमेरिका, भारत और अन्य देशों के बीच टेरीफ़ का किस तरह से बदला समीकरण | जाने कौन सा व्यापार कितना होगा प्रभावित
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इसके तहत, भारत से अमेरिका में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर 27% का एकसमान टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने अपने व्यापारिक भागीदारों पर 10% से 49% तक का जवाबी टैरिफ लगाने का एलान किया है। हालांकि, कुछ भारतीय निर्यात उत्पादों को अमेरिका ने जवाबी टैरिफ से छूट दी है। अन्य देशों की तुलना में भारत को भी काफी छूट मिली है। आइए समझते हैं अमेरिकी टैरिफ का भारतीय कृषि निर्यात पर कैसे और कितना असर पड़ेगा?  चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

पहले दोनों देशों के बीच टैरिफ का क्या है गणित
व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी करते हुए भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में असमानता को उजागर किया है। बयान के अनुसार, अमेरिका भारत से आने वाले यात्री वाहनों के आयात पर केवल 2.5% शुल्क लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी वाहनों पर 70% का भारी शुल्क लगाता है। इसी तरह, भारतीय सेबों को अमेरिका में बिना किसी शुल्क के प्रवेश मिलता है, जबकि भारत अमेरिकी सेबों पर 50% शुल्क लगाता है। चावल के मामले में भी यही स्थिति है, जहाँ अमेरिका 2.7% शुल्क लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी चावल पर 80% शुल्क लगाता है। इसके अतिरिक्त, नेटवर्किंग स्विच और राउटर पर अमेरिका 0% शुल्क लगाता है, जबकि भारत 10-20% तक का शुल्क लगाता है। इन असमानताओं के कारण, अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 46 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। व्हाइट हाउस का यह बयान दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को दर्शाता है। अमेरिका के 27% के जवाबी टैरिफ से भारत के कई क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लगभग 14 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद क्षेत्र और 9 अरब डॉलर से अधिक का रत्न और आभूषण क्षेत्र ट्रंप के ताजा टैरिफ युद्ध से सबसे अधिक प्रभावित हो सकता है। हालांकि, अमेरिका द्वारा घोषित 26% टैरिफ फिलहाल ऑटो पार्ट्स और एल्यूमीनियम उत्पादों पर लागू नहीं होगा। इन उत्पादों पर ट्रंप द्वारा पूर्व में घोषित 25% टैरिफ ही लागू रहेगा। व्हाइट हाउस ने कहा है कि फार्मास्यूटिकल उत्पाद, जिनका निर्यात मूल्य सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 9 अरब डॉलर है, उन्हें फिलहाल जवाबी टैरिफ से छूट दी गई है। इसके अलावा, ऊर्जा उत्पादों को भी टैरिफ से छूट प्रदान की गई है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, भारत के ऑटोमोबाइल, रत्न व आभूषण, रसायन व फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर वाशिंगटन क्रमशः 1.05%, 2.12%, 1.06% और 0.41% टैरिफ लगाता रहा है।

अन्य एशियाई देशों पर कितना बढ़ाया टैरिफ?
अमेरिका ने विभिन्न देशों से आने वाले सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। चीन पर सबसे अधिक 34% पारस्परिक कर लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, जापान के निर्यात पर 24%, थाईलैंड पर 36%, बांग्लादेश पर 37%, मलेशिया पर 24%, ताइवान पर 32%, दक्षिण कोरिया पर 25% और वियतनाम पर 46% जवाबी टैरिफ का एलान किया गया है। अमेरिका ने यूरोपीय संघ पर भी 20% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।  नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

टैरिफ से भारतीय कृषि निर्यात पर कितना पड़ेगा असर?
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने अमेरिकी टैरिफ पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उनका मानना है कि नए अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उनका तर्क है कि भारत अपने कृषि निर्यात को पहले की तरह बनाए रख सकता है, या यहां तक कि इसे बढ़ा भी सकता है, क्योंकि भारत के प्रतिस्पर्धी देशों को और भी ऊंचे टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारतीय उत्पाद उनके मुकाबले थोड़े सस्ते रहेंगे। गुलाटी ने यह भी कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 26 प्रतिशत "रियायती पारस्परिक टैरिफ" का समुद्री खाद्य और चावल जैसे प्रमुख कृषि निर्यातों पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों पर लगाए गए शुल्क इससे कहीं अधिक हैं। उनका कहना है कि हमें बढ़े हुए टैरिफ को निरपेक्ष रूप से नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ सापेक्ष टैरिफ बढ़ोतरी को देखना चाहिए। उन्होंने कहा है कि भले ही अमेरिका द्वारा कुछ उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए गए हैं, लेकिन भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर और भी अधिक टैरिफ लगाए गए हैं, जिससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहेंगे गुलाटी जी ने बताया कि भारत को 26 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जबकि चीन को 34 प्रतिशत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारतीय निर्यातकों को 8 प्रतिशत का अंतर लाभ मिल रहा है। अन्य प्रतिस्पर्धियों को और भी अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वियतनाम को 46 प्रतिशत, बांग्लादेश को 37 प्रतिशत, थाईलैंड को 36 प्रतिशत और इंडोनेशिया को 32 प्रतिशत का सामना करना पड़ रहा है। समुद्री खाद्य निर्यात, विशेष रूप से झींगा के लिए, गुलाटी ने बताया कि भारत के सापेक्ष टैरिफ लाभ के साथ-साथ समग्र अमेरिकी खाद्य व्यय में झींगा की छोटी हिस्सेदारी का मतलब है कि मांग में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना नहीं है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।