यूरोपीय गेहूं वायदा मूल्य पहुंचा अपने निचले सत्र के करीब
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, वर्तमान में वैश्विक गेहूं बाजार में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं, जो किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए जानना आवश्यक है। यूरोप में गेहूं के वायदा मूल्य अपने न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच गए हैं, जबकि भारत में गेहूं की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर है। रूस, जो दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है, उसे उत्पादन में गिरावट और निर्यात प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी घटनाओं का वैश्विक गेहूं बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आपको बता दें कि यूरोनेक्स्ट (Euronext) पर गेहूं के वायदा मूल्य में गिरावट देखी जा रही है। सितंबर मिलिंग गेहूं वायदा 200.75 यूरो प्रति टन पर बंद हुआ, जो एक दिन पहले की तुलना में 0.60% कम है। यह मूल्य 200.25 यूरो प्रति टन के न्यूनतम स्तर के करीब है, जो हाल ही में दर्ज किया गया था। दिसंबर वायदा, जो 2025 की फसल का बेंचमार्क है, 212.25 यूरो प्रति टन पर बंद हुआ, जो मई की शुरुआत के बाद के न्यूनतम स्तर 211.25 यूरो प्रति टन के करीब है। बताया जा रहा है कि इस गिरावट का मुख्य कारण रूस से निर्यात की संभावनाओं में सुधार और अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति की स्थिति में सुधार है। रूस के उप-प्रधानमंत्री ने कहा है कि 2024-25 सीजन में रूस से 4.45 करोड़ टन गेहूं का निर्यात होगा, जो पिछले सीजन की तुलना में कम है, लेकिन कुछ विश्लेषकों के पूर्वानुमानों से अधिक है। इसके अलावा, उत्तरी यूरोप में हुई वर्षा से सूखे की आशंकाएं कम हुई हैं, जिससे फसल की स्थिति में सुधार हुआ है।
उत्पादन में गिरावट और निर्यात प्रतिबंध
दोस्तों, रूस, जो दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है, उसे इस वर्ष उत्पादन में गिरावट और निर्यात प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। 2024-25 सीजन में रूस का गेहूं उत्पादन 81.6 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 10 मिलियन टन कम है। इस गिरावट का मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम, जैसे कि ठंढ और सूखा, है। रूस ने फरवरी से जून 2025 के लिए गेहूं निर्यात कोटा 10.6 मिलियन टन निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 63% कम है। इसके अलावा, निर्यात करों में वृद्धि और घरेलू आपूर्ति को प्राथमिकता देने के कारण निर्यात में और कमी आने की संभावना है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है।
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मंडी भाव
दोस्तों, कल दिल्ली लॉरेंस रोड पर एमपी, यूपी और राजस्थान के नए गेहूं का भाव 2740 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पूरी तरह स्थिर रहा और आवक करीब 6000 से 6500 बोरी रही। कल डबरा मंडी में मिल क्वालिटी गेहूं 2600 रुपये और बढ़िया राज गेहूं 2670 रुपये प्रति क्विंटल बिका, वहीं आवक 8000 से 9000 बोरी रही। श्रीगंगानगर मंडी में गेहूं (नेट) नया भाव 2650 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जहांगीराबाद मंडी में नए गेहूं का भाव 2525 रुपये प्रति क्विंटल रहा और आवक मात्र 300 बोरी रही। चरखी दादरी मंडी में गेहूं का भाव 2555 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहा। मैनपुरी मंडी में गेहूं भाव 2640 रुपये रहा जिसमें 10 रुपये की मंदी दर्ज हुई। इसके अलावा खन्ना मंडी में नेट भाव 2600 से 2625 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहा और बाजार सामान्य बना रहा।
मिल डिलीवरी भाव
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, अगर मिल डिलीवरी भाव की बात करें तो कल देशभर की प्रमुख मंडियों और मिल डिलीवरी प्वाइंट्स पर गेहूं के भाव सामान्य रूप से स्थिर बने हुए हैं। बिहार की पटना मंडी में 2% छूट पर गेहूं का भाव ₹2630 रहा जो स्थिर बना हुआ है। इसी तरह मथुरा (1% सीडी) पर मिल डिलीवरी भाव ₹2625 दर्ज किया गया जो गत दिनों की तुलना में कोई बदलाव नहीं दिखाता। देहरादून (1% सीडी) पर मंडी पेड गेहूं का भाव ₹2670 रहा, जबकि चरखी दादरी मंडी में भी भाव ₹2555 पर स्थिर रहा।
श्रीगंगानगर मंडी में नया गेहूं नेट भाव ₹2650 तक बोला गया। जहांगीराबाद मंडी में गेहूं का नया भाव ₹2525 रहा, जहां 300 बोरी की आवक दर्ज की गई। मैनपुरी मंडी में गेहूं का भाव ₹2640 रहा जिसमें ₹10 की मंदी देखने को मिली। खन्ना मंडी में गेहूं के नेट भाव ₹2600 से ₹2625 के बीच स्थिर रहे।
मध्यप्रदेश की छिन्दवाड़ा मंडी में गेहूं के भाव ₹2540 से ₹2620 के बीच रहे, जबकि चना ₹5300 से ₹5500 तक बिका। गुजरात की राजकोट मंडी में आज गेहूं की आवक 3000 बोरी रही और भाव ₹2400 से ₹2800 प्रति क्विंटल के बीच बने रहे।
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देश में रिकॉर्ड गेहूं खरीद
भारत में 2025 की गेहूं फसल ने उम्मीदों को पार कर लिया है, जिससे देश को आयात की आवश्यकता नहीं है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अब तक 29.7 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। कुल खरीद 32.5 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे भारत के गेहूं भंडार लगभग 44 मिलियन टन हो गए हैं, जो वार्षिक खाद्य कल्याण कार्यक्रम के लिए आवश्यक 18.4 मिलियन टन से कहीं अधिक है। इस रिकॉर्ड उत्पादन का मुख्य कारण बेहतर मौसम, उन्नत बीज और अनुकूल मिट्टी की नमी है। स्टॉक भरपूर मात्रा में होने के साथ-साथ किसानों को कीमतों में 15% की वृद्धि का भी लाभ मिला है। हालांकि, सरकार का गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध हटाने या 40% आयात कर को कम करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि वह भंडार को और भी मजबूत करना चाहती है।
वैश्विक गेहूं बाजार पर प्रभाव
रूस से निर्यात में गिरावट और भारत में रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वैश्विक गेहूं बाजार में कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। यूरोपीय गेहूं वायदा मूल्य में गिरावट, रूस के निर्यात प्रतिबंध और भारत की आत्मनिर्भरता ने मिलकर बाजार में मंदी की भावना को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव और महत्वपूर्ण खनिजों के व्यापार पर प्रतिबंधों ने भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। इन सभी कारकों के कारण वैश्विक गेहूं बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है। इन सभी घटनाओं के मद्देनज़र, किसानों, व्यापारियों और नीति निर्माताओं को बाजार की स्थिति पर करीबी नज़र रखनी चाहिए और अपनी रणनीतियों को समय-समय पर समायोजित करना चाहिए। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हो रहे इन परिवर्तनों का प्रभाव दीर्घकालिक हो सकता है, इसलिए सतर्कता और लचीलापन आवश्यक है। व्यापारी वर्ग को सलाह दी जाती है कि वह व्यापार अपने संयम और विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।