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जीरा में महंगाई आने से व्यापारी खरीद रहे हैं सीमित स्टॉक | देखे पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

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इरोड के एक व्यापारी ने बताया कि आसमान छूती जीरे की कीमतों से व्यापारी और उपभोक्ता दोनों ही त्रस्त हैं। वायदा बाजार में 65,000 रूपए प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर पहुंची जीरे की कीमतों के कारण इसकी मांग में एकदम कमी आई है। इधर व्यापारियों ने भी बढ़ती कीमतों के कारण जरूरत के मुताबिक ही खरीद करनी शुरू कर दी है। परिणाम यह हुआ कि अब जीरे की कीमतें उतार पर हैं, लेकिन इसमें बहुत अधिक गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती । कीमतों के 55,000 रूपए प्रति क्विंटल से नीचे जाने की संभावना नहीं है और पिछले स्तर 65,000 रूपए प्रति क्विंटल से ऊपर जाने के भी आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। मसाला बाजार के एक विश्लेषक के अनुसार जीरे की बुवाई शुरू होने के साथ ही बड़े-बड़े सट्टेबाज भी पीछे हटने लगे हैं। हालांकि, अगले कुछ हफ्तों में कम से कम जब तक जीरे की बुआई की तस्वीर साफ़ नहीं हो जाती, तब तक उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज पर 565 रूपए की बढ़ोतरी के साथ बुधवार को नवंबर वायदा में जीरा 59,700 रूपए तक पहुंच गया। जीरा व्यापार के प्रमुख केंद्र उंझा में इसकी हाजिर कीमत 59100.75 रूपए प्रति क्विंटल बोली गईं । WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

कृषि - मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार उंझा एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) यार्ड में मंगलवार को कीमतें 56,200 रूपए प्रति क्विंटल थीं। हर सोमवार और मंगलवार को अधिकतम अनुमत स्तर 4 प्रतिशत की गिरावट के बाद बुधवार को कीमतों में फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली। जीरा काउंटर पर इस समय आंख- मिचोली का खेल चल रहा है और बुवाई के आंकड़े उपलब्ध हो जाने तक यही क्रम जारी रहने की उम्मीद है | जीरा उत्पादक किसानों ने बताया कि जीरे की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई फ़रवरी के बाद की जाती है। उम्मीद यह है कि इस वर्ष किसान धनिया के वजाय जीरा की बुवाई ज्यादा करेंगे जिससे जीरे की बुवाई कम से कम 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

एक व्यापारी ने बताया कि अधिकांश स्टॉकिस्ट और व्यापारी अपने पिछले स्टॉक को निकाल रहे हैं, कोई भी भविष्य की योजना के तहत खरीदारी नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि अभी से यह कहना मुश्किल है कि अगले महीने बाजार का क्या रुख रहेगा। अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव का दौर जारी रह सकता है। उम्मीद है कि अगले एक- दो सप्ताह में कीमतें 55,000 रूपए से 65,000 रूपए प्रति क्विंटल के बीच रह सकतीं हैं। उम्मीद के मुताबिक यदि जीरे की बुवाई का क्षेत्रफल 50 प्रतिशत तक बढ़ गया तो जीरे की कीमतें 30,000 रूपए के स्तर तक गिर सकतीं हैं । व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि बुवाई के आंकड़े देखते हुए जीरे का क्षेत्रफल दो गुने तक पहुंचने की उम्मीद है। इस बारे में सही-सही जानकारी दिवाली के आस-पास तक मिल सकती है। इस सीजन मार्च में हुई बेमौसम बरसात और अप्रैल में गर्मी की लहर से, विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में, जीरे की खड़ी हुई फसल को नुकसान होने से कीमतें लगभग दो गुने के स्तर पर जा पहुंचीं हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।