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सोयाबीन के भाव को लेकर आयी बड़ी अपडेट | क्या महंगा हो जाएगा सोयाबीन तेल

 क्या महंगा हो जाएगा सोयाबीन तेल
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किसान साथियों सोयाबीन बाजार में हाल के दिनों में बड़ी हलचल देखने को मिली है। सहकारी संस्था नेफेड द्वारा आगामी सोयाबीन बुवाई तक इसकी बिक्री पर रोक लगाने के फैसले से किसानों और व्यापारियों की रणनीतियां प्रभावित हुई हैं। इस निर्णय से किसानों को अपनी फसल के बेहतर दाम मिलने की उम्मीद जागी है, जिससे वे अपनी उपज की बिक्री को फिलहाल रोककर बाजार की स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। दूसरी ओर, त्योहारों और शादी-विवाह के सीजन के नजदीक आने के कारण मांग में वृद्धि होने की संभावनाएं भी बनी हुई हैं। इस पूरे परिदृश्य में सोयाबीन तेल और तिलहन के बाजार मूल्य में सकारात्मक परिवर्तन दर्ज किया गया है।

मांग में बढ़ोतरी से सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव में सुधार

मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिशों के चलते सोयाबीन तेल-तिलहन की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है। वर्तमान में किसानों ने अपने स्टॉक को नियंत्रित रखते हुए बाजार में आवक घटा दी है, जिससे आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा है। वहीं, आगामी त्योहारों और शादी-विवाह के सीजन को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं द्वारा तेल की खरीदारी में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इन कारकों के चलते सोयाबीन तेल-तिलहन की कीमतों में मजबूती दर्ज की गई है।

मलेशिया में कच्चे पामतेल के ऊंचे दाम

अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो मलेशिया में कच्चे पामतेल (सीपीओ) के दाम बढ़े हुए बताए जा रहे हैं। हालांकि, इन ऊंचे दामों पर खरीदारों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जिससे व्यापार की गति थोड़ी धीमी बनी हुई है। वैश्विक बाजार में पामतेल की कीमतों में आई वृद्धि का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है। पाम और पामोलीन तेल के दामों में भी वृद्धि देखने को मिली है। इससे भारतीय तेल बाजार में भी हलचल देखी जा रही है, जहां पामतेल आधारित उत्पादों की मांग में बदलाव आ सकता है।

बिनौला तेल की कीमतों में वृद्धि

बिनौला तेल की कीमतों में सुधार का प्रमुख कारण इसकी उपलब्धता में कमी है। मंडियों में बिनौला की आवक कम होने से इसकी कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है। आमतौर पर, बिनौला तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ा होता है और इस समय इसकी सीमित आपूर्ति ने मूल्य बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त, बाजार में पामतेल और सूरजमुखी तेल की उच्च कीमतों के कारण उपभोक्ताओं का रुझान बिनौला तेल की ओर बढ़ा है, जिससे इसकी कीमतों में सुधार देखने को मिला है।

सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन की स्थिर स्थिति

वर्तमान समय में वार्षिक लेखाबंदी और बाजार में धीमे कारोबार के चलते सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतें पूर्वस्तर पर बनी हुई हैं। हालांकि, आगामी दिनों में इनकी मांग बढ़ने की उम्मीद की जा रही है, जिससे इनके बाजार मूल्य में परिवर्तन हो सकता है। नवरात्र और अन्य त्योहारों को ध्यान में रखते हुए इन तिलहनों की खपत बढ़ सकती है, जिससे इनके दामों में मजबूती आने की संभावना बनी हुई है।

सूरजमुखी और पामोलीन तेल की ऊंची कीमतों का प्रभाव

बिनौला तेल के विकल्प माने जाने वाले सूरजमुखी और पामोलीन तेल की कीमतें इस समय काफी ऊंचे स्तर पर हैं। इसका सीधा प्रभाव यह पड़ा है कि इन तेलों के खरीदारों की संख्या सीमित हो गई है। अधिक कीमतों के कारण उपभोक्ताओं का झुकाव कम हुआ है, जिससे इन तेलों की मांग प्रभावित हुई है। इस स्थिति ने बिनौला तेल की मांग को बढ़ाने में सहायक भूमिका निभाई है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।