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गेहूं के उत्पादन का टूट सकता है रिकॉर्ड | बंपर फसल की उम्मीद - रिपोर्ट

gehu ki teji mandi report 01 Dec 22
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गेहूं के उत्पादन का टूट सकता है रिकॉर्ड | बंपर फसल की उम्मीद - रिपोर्ट

किसान साथियो गेहूं के भाव में बनी तेजी के चलते गेहूं की फ़सल की बुवाई में रिकार्ड बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले रबी 2023 के सीज़न में गेहूं की बंपर फसल होगी। साथियो मंडी भाव टुडे पर हमने पहले भी बताया है कि डिमांड और सप्लाई का रूल फसलों के भाव पर सार्वभौमिक रूप से लगता है। चूंकि गेहूं की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम इसलिए भाव बढ़े हैं। अब बढ़े हुए भावों पर किसान ज्यादा रकबे में गेहूं की खेती करेंगे। परती भूमि पर भी गेहूं की बुवाई की जा रही है, जहां पारंपरिक रूप से दलहन और तिलहन उगाए जाते हैं

बुवाई में बढ़ोतरी का बड़ा कारण उच्च घरेलू कीमतें और समय पर बारिश होने के कारण मिट्टी में मौजूद नमी है। अभी तक के आंकड़ों को देखें तो पिछले साल की बुवाई के आंकड़ों को पार कर चुकी है।  अगर आने वाले सीजन में गेहूं का अच्छा उत्पादन होता है तो यह भारतीय सरकार को गेहूं पर लगे निर्यात प्रतिबंध को   हटाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है इसके अलावा लगातार ऊंची चल रही खुदरा मुद्रास्फीति दर की चिंता को कम करने में भी सहायक है। गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पारंपरिक अनाज क्षेत्रों में गेहूँ का रकबा लगभग स्थिर हो गया है, लेकिन किसान अन्य राज्यों में बंजर भूमि पर गेहूं की फसल लगा रहे हैं, जहाँ किसानों द्वारा अभी तक पारंपरिक रूप से दलहन और तिलहन की जाती रही है।

ओलम एग्रो इंडिया के उपाध्यक्ष नितिन गुप्ता ने  को बताया, "मौजूदा समय गेहूं की कीमतें बहुत आकर्षक हैं।"  गुजरात और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों  में किसान बंजर भूमि को गेहूं के लिए तैयार कर सकते हैं।  

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की कीमतें 2022 में 33 प्रतिशत उछलकर रिकॉर्ड 2900 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य ₹ 2125  रुपये से कहीं अधिक है। गौरतलब है कि भावों मे यह तेजी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद आयी है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है पिछले सीज़न मे गेहूं के उत्पादन में बड़ी गिरावट रही है। 13 मई से पहले गेहूं का निर्यात सुचारू रुपये प्रति क्विंटल से चल रहा था लेकिन अचानक से तापमान में तेजी के कारण गेहूं की फ़सल को बड़ा नुकसान हुआ जिसका संज्ञान लेते हुए सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जैसा कि आप सबको पता है कि भारत वर्ष में केवल एक गेहूं की फसल उगाई  जाती है, जिसमें अक्टूबर और नवंबर में रोपण होता है और मार्च से कटाई होती है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, किसानों ने 1 अक्टूबर जब मौजूदा बुवाई का मौसम शुरू हुआ था तब से 15.3 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है, जो कि एक साल पहले की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक है। पंजाब में किसानों ने लगभग 3.5 मिलियन हेक्टेयर के गेहूं रकबे में से पहले से ही 2.9 से 3.0 मिलियन हेक्टेयर पर गेहूं लगाया जा चुका है। पंजाब और हरियाणा के बहुत से किसानों ने इस बार गेहूं की जल्दी बोई जाने वाली किस्मों की अगेती बुवाई की है ताकि गेहूं की फ़सल मार्च के अंत तक या फिर अप्रैल के पहले हफ्ते में ही तापमान बढ़ने से पहले कटाई के लिए तैयार हो जाए। क्योंकि अधिक तापमान से गेहूं की फसल मुरझा जाती है और दाना पिचक जाता है।

उच्च कीमतों को भुनाने के लिए, किसान लोकवान और शरबती जैसी बेहतर गेहूं किस्मों को भी चुन रहे हैं, जो उच्च रिटर्न देने वाली प्रीमियम ग्रेड किस्में हैं।

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