भारत-पाकिस्तान तनाव से बासमती के बाजार पर आगे क्या हो सकता है असर यहाँ समझें
किसान साथियों और व्यपापरी भाइयों पिछले दो सप्ताह में बासमती चावल की कीमतों में 8-10% तक की तेज़ी देखी गई है, जिससे छह महीने से चली आ रही गिरावट का दौर थम गया है। भारत में 1509 परबॉयल्ड बासमती की थोक कीमत ₹53 से बढ़कर ₹60 प्रति किलो हो गई है, जबकि बिरयानी में इस्तेमाल होने वाली स्टीम्ड किस्म ₹62-63 से बढ़कर ₹70 तक पहुंच चुकी है। खुदरा बाज़ार में सेला किस्म ₹75 और प्रीमियम बिरयानी बासमती ₹80 प्रति किलो बिक रही है। यह तेज़ी ऐसे समय में आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ रहा है — दोनों देश बासमती के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं।
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निर्यात ऑर्डर तेज
बढ़ते तनाव के चलते पश्चिम एशिया के देश जैसे सऊदी अरब, ईरान और यमन भारत से तेजी से आयात कर रहे हैं। खरीदारों को आशंका है कि भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव से बासमती चावल की आपूर्ति में बाधा आ सकती है। इससे भारत की ओर अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में तेज़ी देखी जा रही है। निर्यातकों का कहना है कि केवल मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि अमेरिका जैसे देश भी आगामी 'Trump Tariff' के लागू होने से पहले ऑर्डर तेज़ी से दे रहे हैं। भारत के प्रमुख निर्यातक LRNK और KRBL जैसे समूहों का कहना है कि अगर यह संकट गहराया, तो वैश्विक चावल कीमतों में और उछाल देखने को मिल सकता है।
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भारत पाकिस्तान व्यापार
हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक व्यापार पहले से ही 2019 में समाप्त हो चुका है, लेकिन हालिया घटनाओं के बाद पाकिस्तान ने तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले अप्रत्यक्ष व्यापार को भी रोक दिया है। इससे दोनों देशों के बीच खाद्य उत्पादों की आपूर्ति पर और दबाव आ गया है। वहीं मलेशिया जैसे देश, जो दोनों देशों से चावल खरीदते हैं, ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो खाद्य सुरक्षा पर व्यापक असर हो सकता है।
क्या कहते हैं निर्यात आँकड़े
भारत ने 2023-24 में 5.24 मिलियन टन (52.4 लाख टन) बासमती चावल का निर्यात किया, जिससे ₹48,389 करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई। वित्त वर्ष 2024-25 (1 अप्रैल 2024 से 25 मार्च 2025 तक) में भारत ने 59.44 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष के 52.43 लाख टन की तुलना में लगभग 13% अधिक है। इस अवधि में कुल चावल निर्यात 198.65 लाख टन रहा, जिसमें बासमती चावल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। बासमती निर्यात आंकड़ों को देखकर यह कहा जा सकता है कि ज्यादा निर्यात होने के कारण पिछला स्टॉक बहुत ज्यादा होने की संभावना नहीं है । और ऐसे में अगर एक दो बड़े ऑर्डर और मिल जाते हैं तो बासमती के भाव और उछल सकते हैं ।
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क्या और बढ़ेंगे रेट
साथियों पूरे विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट है कि अगर भारत-पाकिस्तान के संबंध और अधिक बिगड़ते हैं, तो न केवल बासमती चावल की कीमतें ऊंचाई छू सकती हैं, बल्कि वैश्विक खाद्य बाजार में अस्थिरता और गहराएगी। दूसरी ओर, अगर आपूर्ति बढ़ती है और राजनीतिक संबंधों में कुछ स्थिरता आती है, तो बाज़ार को संतुलन मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।