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क्या बासमती में अभी और तेजी बाकी है? जाने बासमती की तेजी मंदी रिपोर्ट में

 जाने बासमती की तेजी मंदी रिपोर्ट में
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किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, तेजी का रंग हरा होता है और तेजी के माहौल में सब हरा ही हरा नजर आता है । ऐसे में कई बार बाजारो में जरूरत से ज्यादा या फिर यूं कहें कि फंडामेंटल से ज्यादा तेजी आ जाती है ।  बासमती के बाजार में इस समय तेजी चल रही है । क्या इसे जरूरत से ज्यादा तेजी कहा जा सकता है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको कुछ चीजों को समझने की जरूरत है । साथियों पिछले 2 महीने में बासमती के बाजार में 1700 रुपए की तेजी आ चुकी है। 1718 सेला चावल जो कि 5400 तक पिट गया था अब 7100 तक बिक गया है।
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बासमती मे आई इस तेजी के पीछे कई कारण हैं, जिनमें पाकिस्तान के भंडारण में कमी आना और समय पर डिलीवरी न दे पाना, घरेलू बाजारों में धान की आवक में कमी, साठा धान की कमजोर खेती, कमजोर स्टॉक, निर्यात मांग में वृद्धि, और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा को शामिल किया जा सकता है। साथियों हम सब जानते हैं कि बासमती का बाजार अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से प्रभावित होता रहता है। पिछले दिनों हुए आपरेशन सिंदूर के बाद अब ‘ऑपरेशन बासमती’ की शुरुआत हो रही है, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों देश खाड़ी देशों जैसे ईरान, इराक, यूएई, ओमान और कुवैत को ज्यादा से ज्यादा बासमती चावल बेचने की कोशिश करेंगे। हरियाणा और पंजाब भारत के बासमती निर्यात में सबसे बड़ा योगदान देते हैं, जिनमें हरियाणा का हिस्सा करीब 40% है और जीटी रोड बेल्ट के 100 से ज्यादा निर्यातक हर साल ₹18,000 से ₹20,000 करोड़ का व्यापार करते हैं। बासमती की विदेशी डिमांड बढ़िया है लेकिन इसका पूरा फायदा उठाने के लिए भारत को भी नीतियों में स्थिरता बनाए रखनी होगी क्योंकि पिछले साल एमईपी लागू करने से भारत को नुकसान और पाकिस्तान को फायदा हुआ था। 

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बासमती का बाजार अपने निचले स्तरों से उठकर तेज जरूर हुआ है लेकिन इतनी तेजी नहीं आई है कि इसे जरूरत से ज्यादा तेजी कहा जा सके । अभी तक साल 2023-2024 जैसे भाव न ही बासमती चावल में आए हैं और न ही धान में । आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सितंबर 2023 में बासमती 1121 चावल का A+ ग्रेड 10800 तक बिका था जबकि जुलाई 2023 में धान के भाव 5400 तक चले गए थे । इसे देखते हुए लेकिन अभी 1121 स्टीम के भाव 8600 और धान में 4400 तक ही पहुंचे हैं। तो ऐसा कहना कि बासमती के बाजार में जरूरत से ज्यादा तेजी आ गई है बिल्कुल गलत है।  विशेषज्ञों के मुताबिक, सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है जिससे उनकी बासमती पैदावार और निर्यात प्रभावित हो सकता है। हालांकि अभी इस पर कन्फर्म रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता लेकिन अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा भारत को मिलेगा। अभी भारत की बासमती की गुणवत्ता दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती है इसीलिए बीते साल 6 मिलियन टन से ज्यादा बासमती चावल का रिकॉर्ड निर्यात हुआ, जबकि पाकिस्तान सिर्फ 1 मिलियन टन के करीब ही पहुंच पाया। इस साल भारत इससे भी ज्यादा निर्यात की उम्मीद कर रहा है। बासमती की मजबूत सप्लाई चेन और भरोसेमंद निर्यातक भारत की सफलता में बड़ी भूमिका निभाएंगे। साथ ही भारत की मजबूत कूटनीति भी इस बार देश के चावल व्यापार को और आगे बढ़ाने में मदद करेगी। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि बासमती के बाजार में अभी तेजी और बाकी है। इसलिए छोटी मोटी गिरावट से घबराना नहीं चाहिए । व्यापार अपने विवेक से  करें


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।