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बासमती चावल के MEP को घटा सकती है सरकार | इंडस्ट्री ने MEP को कम करने की उठाई है मांग

बासमती चावल के MEP को घटा सकती है सरकार | इंडस्ट्री ने MEP को कम करने की उठाई है मांग
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किसान साथियो केंद्र सरकार बासमती चावल के निर्यात पर पिछले साल लगाए गए 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को कम करने पर विचार कर सकती है। इसका कारण यह है कि सुगंधित चावल की कुछ किस्मों की वैश्विक कीमतें पहले ही मजबूत आपूर्ति के चलते एमईपी से नीचे आ चुकी हैं। बासमती के निर्यातकों का कहना है कि ज्यादा एमईपी से अगले सीजन के लिए बासमती चावल की घरेलू खरीद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इससे किसानों की आय प्रभावित हो सकती है। भारतीय किस्में पूसा 6 और पूसा 1509 की वर्तमान में कीमतें लगभग 750-800 डॉलर प्रति टन के बीच चल रही हैं, जो पाकिस्तान में इसी तरह के चावल की कीमतों के बराबर है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

पिछले साल सरकार ने बासमती चावल पर 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लागू कर दिया था, जिसका इंडस्ट्री और किसानों द्वारा भारी विरोध किया गया था। इस विरोध के बाद सरकार ने इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था, जो अब तक कायम है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों की एक कमेटी जल्द ही अक्टूबर 2023 में लगाए गए इस एमईपी को हटाने या कम करने पर विचार करने के लिए बैठक करने वाली है।

का क्या होगा गैर बासमती चावल का?
सूत्रों के अनुसार, पिछले साल गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने और केंद्रीय पूल स्टॉक में रखे अतिरिक्त चावल के निपटान के उपायों जैसे कई प्रस्तावों पर जल्द ही मुहर लग सकती है। सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, जबकि बासमती के निर्यात पर 950 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की शर्त लगी हुई है। बहरहाल, सरकार ने वर्ष 2024-25 की अप्रैल-मई अवधि के दौरान 9.6 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।

चावल का हुआ हाउ बंपर उत्पादन
बासमती के निर्यातक विजय सेतिया के अनुसार, आयात करने वाले देशों ने पिछले वित्त वर्ष में बासमती चावल का एक बड़ा स्टॉक बना लिया है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में नई फसल आने की उम्मीद है, इसलिए सरकार को न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को कम करना चाहिए या खत्म कर देना चाहिए, ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके। व्यापार सूत्रों के मुताबिक, खरीफ सीजन 2023 में देश ने 80 लाख टन सुगंधित चावल का उत्पादन किया है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।

MEP को कम करने की उठाई है मांग
बासमती एक सुगंधित चावल है, जिसकी घरेलू खपत लगभग 15 लाख टन है, जबकि बाकी का निर्यात किया जाता है। निर्यातकों का कहना है कि खरीफ 2024 में बंपर फसल की उम्मीद है और मानसून 'सामान्य' रहने का अनुमान है। अगर उत्पादन पिछले साल की तुलना में बढ़ा तो घरेलू स्टॉक में और वृद्धि होगी, जिससे कीमतों में और गिरावट आ जाएगी। इसलिए, सरकार को न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को कम कर देना चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।