Movie prime

भारतीय चावल की निर्यात कीमत में हुआ बदलाव | देखें पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

भारतीय चावल की निर्यात कीमत में हुआ बदलाव | देखें पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

किसान साथियो बीते सप्ताह एशियाई बाजार में भारतीय चावल की निर्यात कीमतों में गिरावट देखी गई है, जो पिछले 17 महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। व्यापारियों और विश्लेषकों का मानना है कि रुपये के कमजोर होने और रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारण चावल की निर्यात कीमतों में यह गिरावट आई है। साथ ही, छुट्टियों के मौसम के कारण अन्य प्रमुख चावल निर्यातक देशों में भी मांग कमजोर रही है। पिछले सप्ताह भारत का 5% टुकड़ा पारबॉयल्ड चावल 439-445 डॉलर प्रति टन पर बिका, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 440-446 डॉलर प्रति टन से कम है। इसी तरह, भारतीय 5% टुकड़ा सफेद चावल की कीमत भी घटकर 446-453 डॉलर प्रति टन हो गई है। क्रिसमस की छुट्टियों के कारण वैश्विक बाजार में मांग कमजोर बनी हुई है, जिसका सीधा असर भारतीय चावल की कीमतों पर पड़ा है।

विदेशी बाजारों से क्या है अपडेट
गौरतलब है कि हाल के सप्ताह में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का मूल्य कमजोर हुआ है, जिसने एक नया निचला स्तर छुआ है। इस स्थिति से निर्यातकों को लाभ हुआ है। दूसरी ओर, बाढ़ के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बंगलादेश लगातार भारत से चावल का आयात कर रहा है। बंगलादेश ने अपने भंडार को मजबूत करने के लिए टेंडर के माध्यम से चावल खरीदने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। वहीं, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में चावल की निर्यात कीमतों में मामूली गिरावट आई है, क्योंकि अवकाश के कारण व्यापारिक गतिविधियां कम रही हैं। उदाहरण के लिए, थाईलैंड का 5% टुकड़ा चावल अब 502 डॉलर प्रति टन पर बिक रहा है, जो एक सप्ताह पहले 512 डॉलर प्रति टन था।

क्या चावल का भाव उठेगा
वियतनाम में चावल कारोबारी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि आने वाले समय में चावल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। उनका मानना है कि भारत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावल की आपूर्ति बढ़ने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कीमतें दबाव में आएंगी। वियतनाम फूड एसोसिएशन के अनुसार, वियतनामी चावल की कीमतें पहले से ही काफी गिर चुकी हैं। एक सप्ताह पहले जहां चावल की कीमत 495-508 डॉलर प्रति टन थी, वहीं अब यह गिरकर 405 डॉलर प्रति टन हो गई है। इसके अलावा, घरेलू बाजार में भी मांग कमजोर है, क्योंकि पतझड़-ग्रीष्म फसल की आपूर्ति अपेक्षाकृत कम है। एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार, अगले साल वियतनाम के चावल निर्यात को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भारत से निर्यात और बढ़ने की उम्मीद है और इंडोनेशिया अपने आयात में कटौती कर सकता है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।