बासमती के निर्यात को लेकर एक और बड़ी अपडेट | जानिए कैसे चल रहा है बासमती का निर्यात
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, हाल ही में बासमती चावल के निर्यात मूल्यों में गिरावट देखी गई है। यह स्थिति उन व्यापारियों के लिए मुश्किल बन गई है, जिन्होंने मध्य पूर्व में संघर्ष को देखते हुए ऊंचे दामों पर बासमती धान खरीदा था। सितंबर में सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) हटाया, जिसके बाद बासमती चावल की औसत निर्यात कीमत 1,040 डॉलर प्रति टन से घटकर 875 डॉलर प्रति टन से भी नीचे आ गई। चावल की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे |
कम कीमत पर बासमती का निर्यात
कुछ व्यापारियों ने ईरान को 700 डॉलर प्रति टन से भी कम दाम में बासमती चावल बेचा, जबकि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में इसकी कीमत 900-950 डॉलर प्रति टन रही। इससे बासमती ब्रांड की छवि खराब हो सकती है। सरकार के कृषि निर्यात विभाग APEDA ने इस सस्ते निर्यात को रोकने की कोशिश की, लेकिन व्यापारियों ने पुराने सौदों का बहाना बनाकर दाम कम रखे। कई विशेषज्ञों का कहना है कि MEP दोबारा लागू किया जाए या फिर चावल की गुणवत्ता की सख्त जांच हो, ताकि बाजार में भारतीय बासमती की अच्छी साख बनी रहे।
बासमती चावल का निर्यात घटा या बढ़ा?
अप्रैल-दिसंबर 2024 में भारत ने 4.24 मिलियन टन बासमती चावल निर्यात किया, जिसकी कीमत 4.32 बिलियन डॉलर रही। पिछले साल इसी अवधि में 3.54 मिलियन टन चावल 3.97 बिलियन डॉलर में निर्यात हुआ था। यानी निर्यात बढ़ा, लेकिन प्रति टन मिलने वाली कीमत घटी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि MEP लागू रहता, तो निर्यात की मात्रा घट सकती थी, लेकिन दाम ऊंचे रहते। कुछ व्यापारी अनुचित प्रतिस्पर्धा को बासमती चावल के दाम गिरने का कारण मानते हैं। चावल की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे |
MEP हटने से चावल की कीमतों में गिरावट
बासमती व्यापार विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन के अनुसार, MEP हटने के बाद निर्यात से मिलने वाली औसत आय 250 डॉलर प्रति टन तक घट गई। अगर मौजूदा दामों की तुलना पिछले साल MEP लागू होने के समय से करें, तो यह लगभग 150 डॉलर प्रति टन कम है।
सरकारी नियंत्रण कितना जरूरी
1. बासमती चावल की कीमतें बचाने के लिए निर्यात नीति पर पुनर्विचार करना होगा।
2. सरकार को कम कीमत पर निर्यात को रोकने के लिए MEP दोबारा लागू करने या गुणवत्ता नियंत्रण सख्त करने पर विचार करना चाहिए।
3. व्यापारियों को भी अपनी रणनीति पर ध्यान देना होगा, ताकि बासमती चावल की वैश्विक छवि बनी रहे।
व्यापारी भाइयो, आगे बढ़ने का फैसला आपको अपने विवेक से करना होगा, लेकिन बाजार की स्थिरता बनाए रखना सभी के हित में है।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।