डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट के बाद तूफानी तेजी की तरफ चला रुपया | दो साल की सबसे बड़ी तेजी
दोस्तों भारतीय रुपये ने एक बार फिर मजबूती का संकेत दिया है। बुधवार, 12 फरवरी 2025 को, एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 35 पैसे मजबूत होकर 86.48 रुपये पर खुला। यह पिछले कारोबारी दिन के 86.83 रुपये के स्तर से एक उल्लेखनीय सुधार है। सीएनबीसी आवाज़ पर विशेषज्ञों ने इस मजबूती का श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उठाए गए कदमों को दिया है। इन कदमों का सकारात्मक प्रभाव रुपये पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। सोमवार के निचले स्तर से तुलना करने पर, रुपया 1.44 रुपये प्रति डॉलर मजबूत हो चुका है।
रुपये में मजबूती क्यों आ रही है
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में भारी गिरावट को थामने के लिए अब आरबीआई ने कदम उठाने शुरू कर दिए है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से रुपये में मजबूती लौटी है. RBI ने करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करते हुए भारी मात्रा में डॉलर की बिकवाली की, जिससे रुपये को समर्थन मिला और यह 87.50 प्रति डॉलर के स्तर पर स्थिर हो गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से स्टील और एल्युमिनियम इंपोर्ट पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, ग्लोबल बाजार में डॉलर की मांग बढ़ गई. इससे रुपये पर दबाव पड़ा था. हालांकि, RBI की ओर से उठाए कदमों से रुपये में स्थिरता आई.
भारतीय रुपया कैसे मजबूत होता है?
भारतीय रुपये की मजबूती का अर्थ है कि अब एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए पहले की तुलना में कम रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए, अगर पहले एक डॉलर खरीदने के लिए 83 रुपये लगते थे और अब केवल 80 रुपये लग रहे हैं, तो इसका मतलब है कि रुपया मजबूत हुआ है। रुपये में यह मजबूती कई कारणों से आती है, जैसे कि देश की आर्थिक नीतियां, वैश्विक बाजार में चल रहे हालात, निवेश और निवेशकों का विश्वास।
किन कारणों से भारतीय रुपए को मजबूत हो सकता है
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कई कारक योगदान दे रहे हैं। विदेशी निवेशक (FII और FDI) भारत में निवेश बढ़ा रहे हैं, जिससे देश में पूंजी का प्रवाह बढ़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डॉलर बेचकर रुपये को मजबूत करने के प्रयास कर रहा है। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत का आयात बिल कम हो रहा है। भारत का निर्यात भी बढ़ रहा है, जिससे व्यापार घाटा कम हो रहा है। भारत में उच्च ब्याज दरें विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से भी रुपये को मजबूती मिल रही है। भारत में राजनीतिक स्थिरता भी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। ये सभी कारक मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रुपया के मजबूत होने से आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा
जब भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है, तो इसका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ता है। रुपये की मजबूती से महंगाई, वस्तुओं की कीमतें, विदेश यात्रा, शिक्षा और निवेश जैसी कई चीजें प्रभावित होती हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी: भारत अपनी अधिकांश कच्चे तेल की जरूरतें विदेशों से आयात करता है, जिसका भुगतान डॉलर में किया जाता है। जब रुपया मजबूत होता है, तो भारत को कच्चे तेल के लिए कम रुपये चुकाने पड़ते हैं। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं। इसका सीधा फायदा यह होता है कि परिवहन लागत कम होती है और इससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम भी कम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2017 में जब रुपया 64 प्रति डॉलर था, तब पेट्रोल 70-75 रुपये प्रति लीटर था। लेकिन 2023 में जब रुपया 83 प्रति डॉलर तक गिरा, तो पेट्रोल 100 रुपये के पार चला गया। विदेश यात्रा और शिक्षा होगी सस्ती: रुपये की मजबूती से विदेशी मुद्रा खरीदना सस्ता हो जाता है। इसका मतलब है कि विदेश जाने वाले यात्रियों और विदेश में पढ़ने वाले छात्रों को कम रुपये में ज्यादा विदेशी मुद्रा मिलेगी। इससे विदेश यात्रा और विदेशी शिक्षा सस्ती हो जाती है।
रुपये के मजबूत होने से क्या फायदे होंगे?
रुपये के मजबूत होने का भारतीयों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसका सबसे सीधा असर विदेश यात्रा, विदेश में पढ़ाई और आयातित सामानों की कीमतों पर पड़ेगा। विदेश यात्रा और पढ़ाई: जब रुपया मजबूत होता है, तो विदेशी मुद्रा खरीदने में कम रुपये खर्च होते हैं। इसका मतलब है कि विदेश घूमने का खर्च कम हो जाएगा। साथ ही, विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों को ट्यूशन फीस और रहने-खाने के खर्च पर कम रुपये खर्च करने होंगे। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका में पढ़ाई का खर्च सालाना 30,000 डॉलर है और रुपया 83 से 80 हो जाता है, तो छात्र को लगभग 2,49,000 रुपये कम खर्च करने होंगे। आयातित सामान: रुपये के मजबूत होने से आयातित सामानों की कीमतें भी कम हो सकती हैं। जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक्स, कार और ऑटो पार्ट्स, विदेशी कपड़े, ब्रांडेड घड़ियां और परफ्यूम आदि। जब रुपया मजबूत होता है, तो इन सामानों को आयात करना सस्ता हो जाता है, जिससे भारतीय बाजार में इनकी कीमतें कम हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर iPhone 15 Pro की कीमत 1,30,000 रुपये है और रुपया 80 हो जाता है, तो यह 5,000 से 10,000 रुपये तक सस्ता हो सकता है। दवाइयाँ और चिकित्सा उपकरण: दवाइयाँ और चिकित्सा उपकरण भी अक्सर आयात किए जाते हैं। रुपये के मजबूत होने से इनकी कीमतें भी कम हो सकती हैं, जिससे आम लोगों को इनका लाभ मिलेगा।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।