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पीली मटर बाजार रिपोर्ट: क्या क्या ऐसे ही पिटता रहेगा मटर का बाजार या है सुधार की है उम्मीद?

 मटर का बाजार या है सुधार की है उम्मीद?
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किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, वर्तमान में पीली मटर का बाजार दबाव में है और निकट भविष्य में इस बाजार में सुधार की संभावनाएं बेहद सीमित नजर आ रही हैं। इस समय दालों की समग्र डिमांड काफी सुस्त है, जिसका सीधा असर मटर पर पड़ा है। मिलर्स की लेवाली कमजोर हो चुकी है और अधिकांश स्टॉकिस्टों के पास पहले से भरपूर स्टॉक मौजूद है, जिससे वे नई मटर की खरीदी में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में चना बाजार में ठीक-ठाक चल रहे भाव के बावजूद इसका मटर पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा है। मटर के भाव पहले से ही बॉटम रेंज में बने हुए हैं, इस वजह से बड़ी गिरावट की संभावना तो नहीं है, लेकिन मांग न होने के कारण भाव में ठहराव बना हुआ है।
पिछले कुछ दिनों में चना बाजार में भले ही ठीक ठाक चल रहे हो, लेकिन उसका कोई सकारात्मक असर मटर बाजार पर नहीं पड़ा। मटर के भाव पहले से ही बॉटम रेंज में बने हुए हैं,  इसलिए बड़ी गिरावट की संभावना तो नहीं है, लेकिन मांग न होने के कारण भाव में ठहराव बना हुआ है।

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सरकारी आयात नीति का असर:
पिछले वर्ष सरकार ने दालों की कमी को पूरा करने के लिए लगभग 67 लाख टन दाल का आयात किया था, जिसमें दो तिहाई हिस्सा पीली मटर का था। इस बार भी अभी तक लगभग एक तिहाई मटर दाल का आयात किया जा चुका है। आयातित मटर की कीमत ₹3000 से ₹3500 प्रति क्विंटल है, जबकि देसी मटर ₹3400 से ₹3600 प्रति क्विंटल बिक रही है। सस्ते मटर के आयात से घरेलू मटर उत्पादकों को अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है, जो किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। बुंदेलखंड दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र जैन ने केंद्रीय कृषि मंत्री से मटर का शुल्क मुक्त आयात बंद करने की मांग की है।

अत्यधिक सप्लाई का भी बड़ा रोल
साथियो ज्यादा आवक होना भी इस समय मटर बाजार में मंदी का प्रमुख कारण बना हुआ है। पहले से इम्पोर्टेड मटर का कम भाव पर आना और आने वाले दिनों में इनवर्ड सप्लाई का बढ़ना बाजार पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है। साथ ही, घरेलू फसल की नई आवक भी शुरू हो चुकी है, जिससे कुल सप्लाई दबाव उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। बीते एक सप्ताह में कानपुर मंडी में मटर ₹75 से ₹100 गिरकर ₹3725/क्विंटल पर आ गई है, जबकि रूसी मटर (मुंद्रा पोर्ट) का भाव ₹3475/क्विंटल तक पहुँच चुका है। यह दोनों स्तर बाजार की कमजोर स्थिति को दर्शाते हैं और मटर के भाव में गिरावट के संकेत देते हैं।

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मुँह मोड़ सकते हैं किसान
विशेषज्ञों का मानना है कि आयातित मटर का दाम सबसे कम है। यदि इस पर शुल्क नहीं लगाया गया तो किसान दलहन की खेती से कतराएंगे, और ऐसी स्थिति में दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।

आगे की संभावनाएं:
व्यापारियों का मानना है कि जब तक डिमांड में सुधार नहीं होता और सप्लाई नियंत्रित नहीं होती, तब तक मटर के भाव में कोई ठोस रिकवरी संभव नहीं है। आने वाले दिनों में कीमतों में और थोड़ी बहुत और नरमी की आशंका बनी हुई है। साथियो इस समय मटर बाजार में न तो डिमांड से सपोर्ट मिल रहा है और न ही सप्लाई पर नियंत्रण दिख रहा है। व्यापार अपने विवेक और बाजार की मौजूदा स्थिति को देखकर ही करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।