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क्या चने में आएगी तेजी | देखे आज की चने की तेजी मंदी रिपोर्ट

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पिछले कुछ दिनों से देशी चना के भारतीय बाजारों के भावों में अच्छा उछाल देखा जा रहा है और आगे भी इसका सिलसिला चालू रहने की संभावना है
हालांकि स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से दिल्ली में चना के दाम थोड़े कमजोर हुए हैं, लेकिन उत्पादक राज्यों में इसके दाम तेज ही बने हुए है | स्टॉक लिमिट लगने की खबर से चना में मिलों की मांग घटी जरुर है, लेकिन बिकवाली भी कम आ रही है। वैसे भी जब तक नेफेड उंचे दाम पर चना की बिक्री करती रहेगी, तब तक इसके भाव में मंदी नहीं आएगी। उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में काफी कम बचा हुआ है । चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी।

महाराष्ट्र की एक प्रसिद्ध मंडी अकोला में एक प्रसिद्ध दाल मिल के मालिक लक्ष्मी नारायण जी का कहना है कि चना के बढ़ते भावों को देखते हुए नए नए कारोबारी सामने आने लगे हैं। छोटे छोटे शहरों एवं कस्बों से ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों के व्यापारी भी चना की भारी खरीद कर रहे हैं। ज्यादातर कारोबारियों को लगता है कि चना का भाव हाल फिलहाल चल रहे भावों के लेवल से ऊपर चढ़ता रहेगा और यह 7000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। इसी उम्मीद के सहारे ये भारी मात्रा में चना की खरीद करके इसका स्टॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सेठ लक्ष्मी नारायण के अनुसार चना का भविष्य अनिश्चित है इसलिए इसके भावों का कोई भी ऊंचा लक्ष्य हासिल हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है

लेकिन इसमें कुछ आशंका बरकरार है। सबसे पहली बात यह है कि चुनावी साल होने के कारण चना के भावों को रोकने के लिए सरकार उचित कदम जरूर उठाएगी। कमजोर मानसून का कुछ असर बाजारों की डिमांड को आंशिक रूप से प्रभावित कर सकता है और सरकार ने कम भाव पर भारत दाल ब्रांड से चना दाल को बाजार में उतार दिया है इन कारणों से चना के भावों पर कुछ दबाव पड़ सकता है। इसका कितना असर होगा यह आने वाले समय में पता चलेगा। यदि सरकार अरहर और उड़द की भांति चना पर भी भंडारण सीमा आदेश लागू करती है तो बाजार प्रभावित हो सकते है

दूसरी ओर चना बाजार में तेजी आने के कुछ ठोस कारण भी मौजूद है पहली बात यह है कि केवल सरकारी एजेंसी नैफेड की इसकी आपूर्ति करने में सक्षम है जबकि त्योहारी सीजन की मांग मजबूत रहने वाली है मानसून के कमजोर पड़ने एवं खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई क्षेत्र घटने का मनोवैज्ञानिक असर दलहन बाजार को ऊंचा रख सकता है। बाजार के कुछ जानकारों का मानना है कि फंडामेंटल के हिसाब से और तकनीकी रूप से दलहनों के भावों में तेजी और मजबूती का माहौल बरकरार रहने के आसार थोड़े कम है क्योकि पिछले दिनों दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये कमजोर होकर दाम 6,575 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 50 रुपये घटकर 6,575 से 6,600 रुपये प्रति क्विटल बोले गए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।