क्या और गिरेंगे सरसों और सोयाबीन के भाव | जाने क्या कहती है सरसों और सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट
नमस्कार दोस्तों! मंडी मार्केट मीडिया पर हम पहले भी सरसों और सोयाबीन को लेकर काफी चर्चा कर चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटनाक्रम कुछ ऐसा घट रहा है कि काफी ज्यादा अनिश्चितता पैदा हो गई है। जब से अमेरिका में ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं उसके बाद से ही उन्होंने टेरिफ को लेकर काफी सख्ती दिखाई है। भारत समेत वह अन्य देशों पर दबाव डाल रहे हैं कि अमेरिका से निर्यात किए जाने वाले प्रोडक्ट पर भारत जैसे आया तक देश आयात शुल्क को या तो कम करें या इसे पूरी तरह से समाप्त कर दें। भारत खाद्य तेलों का बहुत बड़ा आयातक देश है। घरेलू तिलहन किसानों और खाद्य तेल उद्योगों को सपोर्ट करने के लिए भारत ने आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी लेकिन अब अमेरिका के दबाव के कारण तेल तिलहन की बाजार में अनिश्चितता फैल गई है। सरसों का तो ठीक है लेकिन सोयाबीन का भाव तो पहले ही धरातल पर चल रहा है ऐसे में अगर भारत घरेलू किसने और व्यापारियों को बड़े स्तर पर नुकसान हो सकता है। और भी बहुत सारी ऐसी खबरें हैं जो इस समय सरसों और सोयाबीन के बाजार को प्रभावित कर रही है। आज की रिपोर्ट में हम सरसों और सोयाबीन के बाजार की मौजूदा स्थिति और भविष्य के संभावित रुझानों पर चर्चा करेंगे। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे |
सरसों के बाजार की स्थिति और अनुमान
सरसों की नई फसल की आवक अब मंडियों में जोर शोर से शुरू हो गई है, और अब किसान यह जानना चाहते हैं कि मार्च-अप्रैल में भाव क्या रहेंगे। दोस्तो मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि इस सीज़न में सरसों के भाव पिछले साल के मुकाबले कुछ बढ़ कर मिल सकते हैं, हालांकि सीज़न के समय बड़े उछाल की संभावना नहीं दिख रही है। आप सब जानते हैं कि पिछले साल सीज़न के समय सरसों ने अपना न्यूनतम भाव 4500 रुपये का दिखाया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। ज्यादा ज्यादा से ज्यादा गिरावट बाजार में सरसों को 5400-5500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुँचा सकती हैं। दोस्तों सरसों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका उत्पादन और खपत भारत के अंदर ही होती है। पिछले साल अच्छी फसल होने के साथ साथ खपत भी संतुलित रही थी। नाफेड द्वारा स्टॉक बिक्री किए जाने के बावजूद भाव ज्यादा नहीं गिरे। अगर नाफेड के पास अधिक स्टॉक नहीं होता तो दिवाली के आसपास भाव और अधिक बढ़ सकते थे मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सरसों के बाजार को लेकर हमारा विचार यह है कि मार्च में यदि भाव 200-300 रुपये कम होते हैं तो किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। आगे चलकर आपको अच्छे भाव मिल सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इस साल सरसों में ऑयल कंटेंट यानी की लैब बेहतर मिल रही है। इसलिए पिछले साल के मुकाबले बाजार बेहतर रह सकता है। इसके अलावा, होली और रमजान की मांग, 5950 का MSP भी सरसों के बाजार को सहारा दे सकते है। आज सरसों के बाजार गिरावट दिख रहे हैं लगभग 70 से लेकर ₹100 की गिरावट मंदिरों और प्लांट पर दिखाई दे रही है। संभावना है कि यही ट्रेंड थोड़ा बहुत और चल सकता है और सरसों का भाव उतार चढाव के साथ थोड़ा बहुत और नीचे जा सकता है
सोयाबीन की गिरावट के पीछे कारण
अब बात करते हैं सोयाबीन की, जो हाल में मंदी के दौर से गुज़र रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह में घरेलू और वैश्विक स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन बढ़ना, डी ओ सी की कीमत और निर्यात का घटना, सरकार की ड्यूटी नीतियां और अंतरराष्ट्रीय बाजार के दबाव को शामिल किया जा सकता है। पिछले दिनों सरकार ने आयात शुल्क को बढ़ाया था तो सोयाबीन को थोड़ा सा सपोर्ट मिला था और भाव बढ़कर 4900 के आसपास चले गए थे। लेकिन उसके बाद अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के कारण फिर से बाजार नीचे की तरफ चलना शुरू हो गया और आज हालात यह हो गई है कि सोयाबीन में 4000 के भाव भी बमुश्किल मिल रहे हैं। हालिया स्थिति को देखें तो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने आयात शुल्क को लेकर बयान दिया है, तब से बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। अमेरिका भारत पर खाद्य तेलों की आयात ड्यूटी कम करने का दबाव बना रहा है। यदि सरकार ड्यूटी कम कर देती है, तो सोयाबीन और अन्य खाद्य तेलों के भाव और नीचे आ सकते हैं। इसके अलावा, डीओसी (डे-ऑयल्ड केक) के निर्यात में गिरावट और डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राय ग्रेन्स) के बढ़ते उपयोग ने सोयाबीन की मांग पर नकारात्मक असर डाला है। एथेनॉल उत्पादन के बढ़ने से सोया डीओसी की खपत कम हुई है, जिससे मंडियों में भाव कमजोर पड़े हैं।
क्या आगे भी मंदी जारी रहेगी?
बाजार में अभी 70% क्रशिंग पूरी हो चुकी है, लेकिन 60 लाख टन सोयाबीन अभी भी किसानों और प्लांट्स के पास स्टॉक में है। गर्मी बढ़ने के साथ पोल्ट्री सेक्टर में सोयाबीन की मांग कम हो सकती है, जिससे कीमतों पर दबाव बना रहेगा। हालांकि, सरसों में गिरावट की संभावना कम है, और यदि सरकार ड्यूटी से संबंधित कोई बड़ा फैसला नहीं लेती तो सोयाबीन भी कुछ हद तक स्थिर रह सकता है। ट्रम्प की नीतियां, अंतरराष्ट्रीय बाजार की परिस्थितियां, और घरेलू खपत इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बाजार की स्थिति पर नज़र रखना जरूरी होगा। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे |
निवेशकों और व्यापारियों के लिए सलाह
1. सरसों – यदि मार्च में भाव 200-300 रुपये कम होते हैं, तो स्टॉक करने का यह सही समय होगा।
2. सोयाबीन – जब तक सप्लाई मजबूत बनी हुई है, बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। करेक्शन मिलने पर ही खरीदारी करनी चाहिए।
3. खाद्य तेल बाजार – यदि सरकार ड्यूटी में कटौती करती है, तो तेलों के भाव में और गिरावट हो सकती है।
निष्कर्ष: वर्तमान में बाजार अनिश्चितता से घिरा हुआ है, इसलिए ज्यादा स्टॉक करने से बचें और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझते हुए रणनीति बनाएं। यदि सरकार की नीतियों में बदलाव नहीं होता, तो सरसों और सोयाबीन दोनों में धीरे-धीरे स्थिरता देखने को मिलेगी।बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।