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क्या गेहूं का भाव पहुंच पाएगा 3000 रूपये तक | जाने गेहूं की तेजी मंदी रिपोर्ट में

क्या गेहूं का भाव पहुंच पाएगा 3000 रूपये तक | जाने गेहूं की तेजी मंदी रिपोर्ट में
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किसान साथियो पिछले सप्ताह (20-26 जुलाई) गेहूं के दामों में उतार-चढ़ाव की स्थिति देखी गई है। इसका मुख्य कारण प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की सीमित आवक होना है। इसके साथ ही, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा ओएमएसएस (खुले बाजार बिक्री योजना) के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी अभी शुरू नहीं की गई है। इस कारण मिलर्स और प्रोसेसरों को खुले बाजार से गेहूं खरीदना पड़ रहा है, जिससे मांग बढ़ रही है और कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हो रही है। सीमित आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण गेहूं के दामों में तेजी आ रही है।

दिल्ली और यूपी में क्या चल रहा
साथियो गेहूं के दामों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। दिल्ली में यूपी और राजस्थान से आने वाले गेहूं के दाम में 25 रुपये की गिरावट आई है, और यह 2660 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। मध्य प्रदेश के खंडवा में भी गेहूं के दाम 50 रुपये कम हुए हैं। हालांकि, गुजरात के राजकोट में 100 रुपये, मध्य प्रदेश के डबरा में 20 रुपये, हरदा में 50 रुपये और इटारसी में 20 रुपये की बढ़ोतरी देखी गई है। राजस्थान में भी गेहूं के दामों में उतार-चढ़ाव रहा। कोटा में 70 रुपये और बूंदी में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश में गेहूं के दाम अधिकतर स्थिर रहे या फिर 15-20 रुपये तक बढ़े। सीतापुर और मैनपुरी में दाम 5-5 रुपये कम हुए, जबकि हरदोई में 15 रुपये और गोंडा में 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई। गेहूं के दामों में इस तरह के उतार-चढ़ाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि उत्पादन, मांग, परिवहन लागत, सरकार की नीतियां और मौसम की स्थिति।

इस सीजन में कितना है स्टॉक और कितना हुआ उत्पादन
साथियो गेहूं की उपलब्धता को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। सरकार के पास गेहूं का कुछ अतिरिक्त भंडार है, जिसे अगले महीने से बेचा जा सकता है। हालांकि, विदेशों से आयात पर 40% का भारी शुल्क होने के कारण आयात लगभग बंद है। किसानों और व्यापारियों के पास भी गेहूं का ज्यादा स्टॉक नहीं है। सरकार ने इस साल गेहूं का उत्पादन 129 लाख टन आंका है, लेकिन मंडियों में आपूर्ति कम होने से संकेत मिलता है कि वास्तविक उत्पादन अनुमान से कम हो सकता है। सरकार ने 266 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा नहीं है। अगर सरकार अगले कुछ महीनों में ज्यादा गेहूं बाजार में उतारती है, तो दिसंबर से मार्च तक गेहूं की कमी हो सकती है।

आगे क्या हो सकता है गेहूं के भाव में
देश में गेहूं की आपूर्ति में कमी के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में गेहूं की आवक पूरी तरह से बंद हो गई है और सरकार द्वारा निर्धारित खरीद लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है। इसके परिणामस्वरूप, गेहूं के दाम लगातार बढ़कर 2700 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। हालांकि, सरकार ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक अगस्त से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू करने का फैसला किया है। सरकार 2300-2325 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर गेहूं बेचेगी। इस घोषणा के बाद बाजार में गेहूं के दामों में गिरावट आई है और अब यह 2650-2660 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की इस नीति के कारण भविष्य में गेहूं के दामों में और अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। सरकार की कोशिश होगी कि गेहूं के दामों में अत्यधिक वृद्धि न हो। इसलिए, व्यापारियों को सरकार की नीतियों पर नजर रखते हुए ही व्यापार करना चाहिए। सरल भाषा में कहे तो  गेहूं की कमी के कारण दाम बढ़ गए थे, लेकिन सरकार ने गेहूं बेचकर दामों को कम करने की कोशिश की है। अब दाम थोड़े कम हुए हैं, लेकिन भविष्य में क्या होगा यह अभी कहना मुश्किल है। फ़िलहाल सरकार गेहूं के भाव को बढ़ने नहीं देगी | बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।