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क्या साल 2024 में सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे | जाने सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में

क्या साल 2024 में सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे | जाने सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में
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सोयाबीन के दामों में तेजी की बनी संभावना, जानिए क्या है पूरी बात
किसान भाइयों, सोयाबीन (Soybean) एक ऐसी फसल है, जिसे दुनिया भर में तेल, प्रोटीन और विभिन्न खाद्य उत्पादों के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत में सोयाबीन की खेती पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। साल 2021 से यह फसल किसानों के लिए एक अच्छा लाभकारी विकल्प साबित हो रही थी लेकिन साल 2023 के बाद से लगातार सोयाबीन के भाव में चल रही गिरावट ने सोयाबीन के किसानों का बंटाधार कर दिया है। भाव में मंदी के अलावा इसमें कुछ समस्याएं भी हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, विभिन्न रोगों का हमला और MSP पर सुचारू रूप से खरीद ना होना। भारत में सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में होती है। ये राज्य देश में सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों के किसान सोयाबीन के बढ़िया भाव देने के लिए आंदोलन तक कर चुके हैं लेकिन अभी तक इसका कोई खास प्रभाव भाव पर नहीं दिखा है। आज की डेट में सोयाबीन के 4500 के भाव भी बमुश्किल मिल रहे हैं। आज की रिपोर्ट में हम सोयाबीन के बाजार के रुझान, मौजूदा मूल्य, और आगामी बदलावों पर चर्चा करेंगे, जिससे किसान और व्यापारी अपने कारोबार को समझकर बेहतर निर्णय ले सकें। सोयाबीन की खेती, इसके उपयोग, और इसके मूल्य में उतार-चढ़ाव से संबंधित कई पहलुओं को समझना जरूरी है, खासकर जब बाजार में कीमतों में लगातार बदलाव हो रहा हो। इन सब कारकों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करने के लिए आपको यह रिपोर्ट अंत तक पढ़नी चाहिये ।

सोयाबीन बाजार में बदलाव
किसान साथियों, जानकारों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि लंबे समय तक चली गिरावट के बाद सोयाबीन का बाजार इस समय स्थिरता की ओर बढ़ रहा है। हालांकि विदेशी बाजारों से सोया तेल और सोयाबीन के भावों पर दबाव के समाचार मिल रहे हैं । पिछले कुछ दिनों में सोयाबीन के तेल और दाने की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। खासकर, केएलसी और शिकागो में आ रही गिरावट ने सोयाबीन की कीमतों को प्रभावित किया है। अगर मांग के हिसाब से देखें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोयाबीन की मांग में तो निरंतर वृद्धि हो रही है लेकिन सोयाबीन की  बड़ी फसल आने के कारण भाव नहीं बढ़ रहे हैं । खासकर चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में। मांग के साथ साथ पिछले दो सालों से सोयाबीन का उत्पादन भी काफी बढ़ा है। वैश्विक स्तर पर ब्राजील, जो प्रमुख सोयाबीन उत्पादक देशों में से एक है, वहां आई बाढ़ ने फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित किया है। इसके बावजूद इस बार ब्राजील का सोयाबीन उत्पादन का अनुमान लगभग 422 लाख टन का बताया जा रहा है। हालांकि बाढ़ के कारण ब्राजील में सोयाबीन की फसल को बहुत अधिक नुकसान होने की खबरे भी सुनने में आ रही है। अगर ऐसा होता है तो वैश्विक आपूर्ति में कमी आएगी और कीमतों में थोड़ी बहुत वृद्धि हो सकती है। दूसरी तरफ विदेशी रिसर्च एजेंसियों की रिपोर्ट बताया जा रहा है कि अमेरिका में सोया तेल का स्टॉक कम मात्रा में है। अमेरिका में सोया तेल की डिमांड बढ़ने पर लंबी अवधि में इसका सकारात्मक असर सोयाबीन के दामों पर भी दिखाई दे सकता है। निकट अवधि में फिलहाल बाजार पर दबाव रहने की उम्मीद है ।

घरेलू बाजार में क्या है स्थिति
किसान भाइयों, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, जहां सोयाबीन की प्रमुख खेती होती है, वहां सोयाबीन के भाव में पिछले कुछ समय में गिरावट आई है। महाराष्ट्र के बाजारों में सोयाबीन तेल का दाम 1340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम तक देखा गया है, जबकि मध्य प्रदेश के बाजार में सोयाबीन दाना के औसत भाव 4365 रुपये प्रति क्विंटल तक गए हैं। पिछले कुछ दिनों में इन कीमतों में थोड़ी वृद्धि भी देखने को मिली है। खासतौर पर, पाम ऑयल पर आयात ड्यूटी बढ़ाने के बाद, सोयाबीन की कीमतों में हल्की सी तेजी देखी गई थी जिससे किसानों को थोड़ी राहत तो मिली थी लेकिन बाजार में यह तेजी ज्यादा दिन नहीं रुक पायी और बाजार फिर से अपने पुराने भावों पर लौट आए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी भी सोयाबीन के भाव इसकी लागत से कम चल रहे हैं।

पिछले साल की तुलना में देखें तो इस साल सोयाबीन के दाम में भारी गिरावट आई है। पिछले साल नवंबर माह में सोयाबीन का भाव 5500 रुपये से 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक था, लेकिन इस साल सोयाबीन के भाव को 4500 का आंकड़ा छूने में भी संघर्ष करना पड़ रहा है। इस गिरावट का प्रमुख कारण वैश्विक बाजार में सोयाबीन की ज्यादा आपूर्ति और घरेलू बाजार में मांग में कमी आना है। इसके बावजूद, हाल ही में पाम ऑयल पर आयात ड्यूटी को बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। यह निर्णय सरकार ने सोयाबीन के दामों को गति प्रदान करने के लिए लिया है। जानकारों का मानना है कि सरकार की नीतियों के कारण लंबी अवधि में सोयाबीन के भाव में वृद्धि होने की संभावनाएं हैं। लेकिन अगर विदेशी बाजारों में सुधार नहीं होता है साल 2024 तक किसी बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए ।

सोयाबीन के ताजा प्लांट भाव
किसान भाइयों, अगर सोयाबीन के प्लांट के भाव की बात करें तो सोयाबीन प्लांटों के भाव में कोई तेजी देखने को नहीं मिली। महाराष्ट्र में सोयाबीन प्लांटों के रेट लातूर, धन्ना प्लांट में सोयाबीन का भाव 4600 रुपये प्रति क्विंटल, एरियन प्लांट में 4500 रुपये प्रति क्विंटल, वजज प्लांट में 4500 रुपये प्रति क्विंटल, दुलिया, ईसान प्लांट में 4550 रुपये प्रति क्विंटल और नादन, सिद्ध रामेश्वर प्लांट में 4500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
वहीं अगर महाराष्ट्र में सोया ऑयल रेट की बात करें तो आज सोया तेल के भाव में 5 से 10 रुपये प्रति किलो की गिरावट देखी गई। धनराज प्लांट में 1340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम, शालीमार प्लांट में 1340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम और एग्रो प्लांट में 1335 रुपये प्रति 10 किलोग्राम सोया तेल के आज भाव रहे।

मध्य प्रदेश में भी सोयाबीन प्लांट रेट्स में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया। मध्य प्रदेश में प्रकाश प्लांट में सोयाबीन के दाम 4365 रुपये प्रति क्विंटल, प्रेस्टीज प्लांट में 4360 रुपये प्रति क्विंटल, हैवी प्लांट में 4375 रुपये प्रति क्विंटल और धनका प्लांट में 4390 रुपये प्रति क्विंटल आज सोयाबीन के भाव रहे। अगर मध्य प्रदेश में सोया तेल के भाव की बात करें तो प्रकाश प्लांट में 1300 रुपये प्रति 10 किलोग्राम, धनका प्लांट में 1290 रुपये प्रति 10 किलोग्राम, और खानवा प्लांट में 1340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम सोया तेल के आज के भाव रहे।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद
किसान भाइयों, इस साल महाराष्ट्र सरकार को केंद्रीय सरकार से सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदारी करने की अनुमति मिल चुकी है। इस कदम से किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकता है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने हल्की नमी वाले सोयाबीन को भी एमएसपी पर खरीदने के आदेश दिए हैं। एमएसपी की घोषणा के बाद किसानों को कुछ राहत मिली है, लेकिन किसान एमएसपी के भाव से भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार को सोयाबीन के एमएसपी मूल्य कम से कम 6000 रुपये प्रति क्विंटल करनी चाहिए। सोयाबीन की सरकारी खरीद शुरू होने से बाजार में थोड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल रखा है, लेकिन किसानों का कहना है कि सोयाबीन की लागत और विपणन मूल्य की तुलना में यह बहुत ही कम है।

क्या 2024 में सोयाबीन रेट बढ़ेंगे
किसान भाइयों, वर्तमान में सोयाबीन के भाव में गिरावट का रुझान देखने को मिल रहा है। हालांकि घरेलू बाजार की डिमांड और सप्लाई को देखें तो फिलहाल सोयाबीन के भाव में न तो अधिक तेजी की ओर, न ही अधिक मंदी की उम्मीद नजर आ रही है। लेकिन अगले कुछ दिनों में शादी के सीज़न के साथ साथ सर्दी की डिमांड के कारण सोया तेल की मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे सोयाबीन के भाव में हल्की तेजी या उछाल आ सकता है। साथ ही, विदेशों में सोयाबीन DOC की मांग भी बढ़ने की संभावना है, जिससे सोयाबीन के भाव में वृद्धि हो सकती है। अगर नेगेटिव में देखें तो जब तक अमेरिकी बाजार में सोया तेल के भाव नहीं बढ़ते तब तक भारत में 5000 के भाव सोयाबीन में नहीं मिलने वाले। इसके अलावा सोयाबीन की अधिक आवक हुई तो आगे चलकर हल्की मंदी का सामना भी हो सकता है, लेकिन यह स्थायी नहीं होगा क्योंकि भाव पहले से ही धरातल पर चल रहे हैं ।  किसान भाइयों और व्यापारी वर्ग को सलाह दी जाती है कि वह बाजार की स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखें और किसान भाई अपने माल को आवश्यकता के अनुसार थोड़ा-थोड़ा निकालते रहें। 5000 के उपर के भावों का जिन साथियों को इंतजार है यह इंतजार लंबा हो सकता हैं । व्यापारी मौजूदा रेट्स में अपने कामकाज को स्थिरता के साथ करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी अनुमानों पर आधारित है। परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं, इसलिए व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।