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किस तरफ मुड़ेगा सरसों का बाजार। क्या कहती है पुराने आंकड़ों की समीक्षा

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किसान साथियों, इस साल सरसों के बाजार में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। मई 2024 की तुलना में मई 2025 में सरसों का स्टॉक, आवक और कीमतों में काफी बदलाव आया है। किसानों, प्रोसेसरों और सरकारी एजेंसियों (जैसे NAFED/HAFED) के पास मौजूद स्टॉक में गिरावट और बढ़ोतरी दोनों देखी गई है। इसके अलावा, सरसों की खल (Mustard Cake) और तेल के दामों में भी उतार-चढ़ाव रहा है। सरसों के बाजार में इन दिनों कोई भारी उथल-पुथल नहीं देखने को मिल रही है। जयपुर जैसी अहम मंडियों में भाव ₹6,675-6700 प्रति क्विंटल पर टिके हुए हैं , जबकि दैनिक आवक करीब 4.25 - 5.25 लाख बोरी तक सिमट गई है। लगातयार एकतरफा तेजी के बाद बाजार 6800 के करीब जाकर फिसले गए हैं लेकिन बाजार में किसी बड़ी कमजोरी की संभावना नहीं दिख रही। अन्य तेलों मे गिरवत होने के कारण तेल कंपनियां ज्यादा आक्रामक होकर खरीदारी नहीं कर रहीं, जिससे बाजार में न तो भाव तेज़ हो रहे हैं और न ही कोई भारी गिरावट दिख रही। कई जानकार मान रहे हैं कि मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम की सप्लाई बढ़ने के आसार हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन्वेंट्री भर सकती है और सरसों तेल की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। कुल मिलाकर, सरसों का बाजार फिलहाल ठहरा हुआ पानी जैसा है — जिसमें गहराई तो है, पर लहरें नहीं। मांग बनी हुई है, लेकिन बढ़ी हुई नहीं; सप्लाई में गिरावट है, लेकिन खतरे की घंटी नहीं; और सबसे बड़ी बात, व्यापारी बड़े फैसले लेने से पहले अंतरराष्ट्रीय संकेतों का इंतज़ार कर रहे हैं। आज हम सरसों के स्टॉक, बाजार की मांग, आयात-निर्यात की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि क्यों इस बार सरसों की कीमतों में बड़ी गिरावट नहीं आई और किन कारकों ने बाजार को प्रभावित किया है।

सरसों स्टॉक की तुलना

मई 2024 में सरसों का कुल स्टॉक 96 हज़ार टन था, जिसमें से किसानों के पास: 58.5 हज़ार टन, प्रोसेसर/स्टॉकिस्ट के पास: 10.5 हज़ार टन और NAFED/HAFED के पास: 27 हज़ार टन था । इस साल मई 2025 में यह स्टॉक 83.25 हज़ार टन रह गया, जो पिछले साल के मुकाबले 13.28% कम है। स्टॉक में सबसे ज्यादा गिरावट NAFED/HAFED के पास देखी गई (42.59% कम), जबकि किसानों के पास स्टॉक थोड़ा बढ़ा (2.56%) और प्रोसेसरों के पास 26.19% कम रहा। इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि सरकारी एजेंसियों ने अपने स्टॉक को बाजार में उतार दिया, जिससे उनके पास माल कम बचा। वहीं किसानों ने बेहतर दामों की उम्मीद में अपना माल ज्यादा समय तक रोके रखा।


सरसों की आवक

अगर सरसों की दैनिक आवक की बात करें तो देशभर की मंडियों में शनिवार को सरसों की कुल आवक घटकर लगभग 5.25 लाख बोरी (लगभग 2.6 लाख क्विंटल) के आसपास रही, जबकि पिछले कार्यदिवस यानी शुक्रवार को यह आवक 5 लाख बोरी के स्तर पर थी। औसत आवक अभी भी 4 से 5 लाख बोरी के दायरे में बनी हुई है। अब तक कुल मिलाकर लगभग 50 से 51 लाख टन सरसों बाजार में आ चुकी है। व्यापार और प्रोसेसिंग यूनिटों में करीब 25% माल अभी भी स्टॉक के रूप में मौजूद होने का अनुमान है।

मंडी के आज के भाव

आज सरसों के प्रमुख मंडियों के भाव की बात करें तो जयपुर मंडी में भाव 6675–6700 रुपए प्रति क्विंटल, तेजी 25 रुपए रही, भरतपुर में 6400 रुपए प्रति क्विंटल 45 रुपए की तेजी, दिल्ली मंडी 6450 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर, देई 6475 रुपए प्रति क्विंटल, बरवाला में 6200 रुपए प्रति क्विंटल, शमशाबाद, दिगनेर और अलवर (सलोनी प्लांट) 7300 रुपए प्रति क्विंटल, कोटा और मुरैना (सलोनी) 7250 रुपए प्रति क्विंटल, बीपी आगरा 7050 रुपए, ग्वालियर 6300–6400 रुपए प्रति क्विंटल, अलीगढ़ 6200–6250 रुपए, अशोकनगर 6100–6200 रुपए प्रति क्विंटल और सिवानी मंडी 5750 रुपए (नेट) और लेब में 6350 रुपए प्रति क्विंटल के आस पास चल रही हैं।

सरसों की बाजार अपडेट 

सरसों की खल (जिसे Mustard Cake या सरसों खली भी कहते हैं) का इस्तेमाल पशुओं के चारे और जैविक खाद के रूप में किया जाता है। जयपुर मंडी में 31 मई से 7 जून तक खल के भाव की बात करें तो 31 मई: ₹2200  प्रति क्विंटल से 7 जून: ₹2250 प्रति क्विंटल तक देखे गए। इसी तरह, दूसरे शहरों में भी खल के दाम ₹2,260 से घटकर ₹2,230 प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। सरसों खली में आई इस गिरावट का कारण यह है कि चीन, जो भारत से सरसों खल का बड़ा आयातक है, ने इस बार कम ऑर्डर दिए। चीन उरगवे से खल आयात के समझौते हर रहा है । इसके अलावा सरसों तेल की मांग कम होने से मिलों ने कम प्रोसेसिंग की, जिससे खल की सप्लाई भी प्रभावित हुई। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई-अगस्त में चीन की मांग फिर बढ़ सकती है, जिससे खल के दामों में सुधार होगा।


सरसों तेल की मार्केट स्थिति

इस साल सरसों तेल के दामों में बड़ी गिरावट नहीं आई है। भरतपुर, आदमपुर और कोलकाता जैसी मंडियों में कच्ची घानी सरसों तेल के भाव में भी खास बदलाव नहीं आया है। ₹1,380 से ₹1,405 प्रति 10 किलो के बीच तेल के दाम स्थिर हैं। यह दर्शाता है कि बाजार अपनी सीमा में ही घूम-फिर कर चल रहा है, और ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना अभी नहीं बन रही। इसका कारण सरसों की आवक में कमी को बताया जा रहा है क्योंकि मंडियों में सरसों की रोजाना आवक 5.50 लाख बोरियों से घटकर 4-5 लाख बोरियों पर आ गई। इसके अलावा ब्रांडेड तेल कंपनियों ने सीमित मात्रा में खरीदारी की, जिससे दबाव कम रहा। इसके अतिरिक्त सोयाबीन और पाम ऑयल के दाम कम होने से सरसों तेल की मांग प्रभावित हुई। ऐतिहासिक रूप से, अगस्त से दिवाली के बीच सरसों तेल के दाम बढ़ते हैं। इसलिए तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर थोड़ा सा इंतजार करना पड़ सकता है। जुलाई में कीमतें एक रेंज में ही रह सकती हैं, क्योंकि बड़ी आवक नहीं हो रही।


किसानों और व्यापारियों को सलाह

किसान साथियों, अगर आपके पास सरसों का स्टॉक है, तो जुलाई-अगस्त में बेहतर दाम मिलने की संभावना है क्योंकि व्यावहारी सीजन शुरू होने के कारण कीमतों में कुछ उछाल देखने को मिल सकता है। लेकिन व्यापारी भाइयों के लिए फिलहाल बाजार में बड़ी तेजी के आसार नहीं हैं, इसलिए सीमित खरीदारी करें। अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो सरसों तेल और खल में दीर्घकालिक निवेश कर सकते हैं, क्योंकि चीन की मांग बढ़ने पर दामों में उछाल आ सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि सरसों के बाजार पर सोयाबीन और पाम ऑयल का भी असर पड़ता है। हालांकि इस साल सोयाबीन के समर्थन मूल्य में वृद्धि हुई है, लेकिन विदेशी सोयाबीन तेल के सस्ते आयात से दबाव बना हुआ है। जयपुर मंडी में सरसों का वर्तमान भाव ₹6650/6675 प्रति क्विंटल पर है, जो कुछ दिन पहले ₹6775 तक पहुंचा था। मार्च में जब आवक तेज थी, भाव ₹5900 तक गिर गए थे, लेकिन दोबारा उस स्तर पर नहीं लौटे। तेल-तिलहन सेमिनार के बाद गिरावट की आशंका जताई गई थी, लेकिन सरकारी खरीद समर्थन के चलते सरसों के भाव में स्थिरता बनी रही। वहीं, कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 10% घटाए जाने से सोया, पाम और सूरजमुखी तेल की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन सरसों तेल ने इस मंदी से खुद को अलग रखा। जून की शुरुआत में सरसों तेल के भाव में ₹40 प्रति 10 किलो की बढ़त दर्ज की गई, जबकि सोया और राइस ब्रान तेल ₹30–40 तक सस्ते हुए। इस समय देश में सरसों का कुल स्टॉक लगभग 83/83.5 लाख टन माना जा रहा है, जबकि मासिक खपत लगभग 10–11 लाख टन अनुमानित है। इस हिसाब से फरवरी 2026 तक की खपत को देखते हुए 90 लाख टन की जरूरत होगी, जबकि वर्तमान स्टॉक उससे कुछ कम है। सरकारी एजेंसियों के पास 15 लाख टन स्टॉक है, जिसमें 7 लाख टन पुराना और 8–10 लाख टन नया स्टॉक शामिल है। इस स्टॉक में से करीब 1.5 लाख टन की क्रशिंग हो चुकी है। व्यापारियों, मिलर्स और विश्लेषकों का मानना है कि कम उत्पादन और लगातार खपत के चलते सरसों के भाव में और तेजी की गुंजाइश बनी हुई है। यदि जयपुर में भाव ₹7000 पार करता है, तो थोड़ी बहुत मुनाफावसूली हो सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में तेजी का रुख बरकरार रहेगा। रोज़ाना 4.5–5 लाख बोरी की आवक यह दर्शाती है कि स्टॉकिस्टों के पास अब भी पकड़ मजबूत है और आयात शुल्क में कटौती के बावजूद सरसों बाजार में मंदी की कोई आशंका नहीं दिख रही है। अचार उद्योग की खपत, मजबूत सरसों तेल की डिमांड और अन्य खाद्य तेलों से भिन्न उपभोग पैटर्न के कारण आने वाले समय में सरसों का बाजार अपेक्षाकृत मज़बूत बने रहने की संभावना है। व्यापार अपने विवेक से करें। 

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