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रूस में घटा गेहूं का उत्पादन | क्या दुनियाभर में बढ़ेंगे गेहूं के रेट

रूस में घटा गेहूं का उत्पादन | क्या दुनियाभर में बढ़ेंगे गेहूं के रेट
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किसान साथियो वैश्विक स्तर पर गेहूं की उपलब्धता को लेकर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। भू-राजनीतिक तनाव, प्रतिकूल मौसम और आर्थिक दबावों का मिलकर इस संकट को गहरा बना दिया है। इस संकट का केंद्र बिंदु रूस है, जो दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है। रूस इस बार कई दशकों में सबसे खराब सर्दियों की फसल का सामना कर रहा है, जिससे उसकी गेहूं की पैदावार में भारी गिरावट आई है। अन्य प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों में भी विभिन्न प्रकार की चुनौतियां हैं, और रूस-यूक्रेन युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। इन सभी कारकों के कारण, वैश्विक गेहूं की आपूर्ति में कमी आने का अनुमान है। रूस में गेहूं का उत्पादन पिछले कुछ दशकों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। खराब मौसम, कृषि प्रौद्योगिकी में गिरावट, और आर्थिक दबावों ने रूस के कृषि क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। नतीजतन, रूस की गेहूं की फसल का एक बड़ा हिस्सा खराब हो गया है, जिससे वैश्विक बाजार में गेहूं की उपलब्धता पर गहरा असर पड़ा है।

रूस में किस कारण से गेहूं के उत्पादन में आई गिरावट
रूस में बढ़ते कृषि संकट के पीछे कई कारण काम कर रहे हैं। अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक चले सूखे ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा, कृषि प्रौद्योगिकी में गिरावट ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया है। पश्चिमी देशों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले बीजों पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रूस को कम गुणवत्ता वाले बीजों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे उत्पादकता प्रभावित हो रही है। बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता के कारण किसान आधुनिक कृषि मशीनरी खरीदने में असमर्थ हैं। इन सभी कारकों ने मिलकर रूस में कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है और खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा की है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

रूस में कृषि क्षेत्र गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कृषि उपकरणों की बिक्री में 16.5% और अनाज हार्वेस्टर के उत्पादन में 18% की भारी गिरावट आई है। उच्च ब्याज दरों के कारण किसानों के लिए कृषि ऋण लेना मुश्किल हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने लागत कम करने के लिए उर्वरकों का कम उपयोग, पारंपरिक कृषि तकनीकों को अपनाने और कम गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करने जैसे कदम उठाए हैं। इन उपायों के कारण फसलें खराब मौसम का सामना करने में असमर्थ रही हैं, जिससे उत्पादन और लाभप्रदता में गिरावट आई है। युद्ध के कारण श्रमिकों की कमी और कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की पलायन ने भी स्थिति को और बिगाड़ा है। इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप रूस का अनाज उत्पादन 2022 के रिकॉर्ड स्तर से काफी कम हो गया है। सरकार द्वारा निर्धारित 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रूस को कृषि क्षेत्र में कई सुधार करने होंगे। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

वैश्विक गेहूं बाजार की क्या परिस्थितियां है
रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातकों में से एक है। ऐसे में, रूसी गेहूं की आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा का वैश्विक खाद्य बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में वैश्विक गेहूं की आपूर्ति में कमी आने का अनुमान है। यूरोपीय संघ और ब्राजील जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में अच्छी फसल होने से कुछ राहत मिली है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। युद्ध के कारण दोनों देशों को गेहूं का निर्यात करने में मुश्किल हो रही है। रूस ने निर्यात कोटा लगाया है और यूक्रेन के बंदरगाहों पर संचालन बाधित है। इन कारकों ने वैश्विक गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया है और कीमतों में वृद्धि का कारण बना है। इस प्रकार, रूसी गेहूं की आपूर्ति में बाधा, अन्य देशों में उत्पादन में कमी और भू-राजनीतिक तनाव ने मिलकर वैश्विक गेहूं बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है। इससे खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है, खासकर उन देशों के लिए जो गेहूं के आयात पर निर्भर हैं।

युद्ध का गेहूं पर क्या हुआ असर
इतिहास गवाह है कि युद्ध के दौरान खाद्य पदार्थ, खासकर गेहूं, एक महत्वपूर्ण संसाधन रहे हैं। 'वॉर एंड व्हीट' पुस्तक के अनुसार, विश्व युद्धों के दौरान भी गेहूं की आपूर्ति पर नियंत्रण ने युद्धरत राष्ट्रों के लिए जीत-हार का फैसला किया है। वर्तमान रूस-यूक्रेन युद्ध भी इसी बात की पुष्टि करता है। रूस द्वारा यूक्रेन की कृषि भूमि और बंदरगाहों पर कब्जा करने का उद्देश्य न केवल भौगोलिक लाभ प्राप्त करना है बल्कि गेहूं की आपूर्ति को नियंत्रित कर वैश्विक बाजार को प्रभावित करना भी है। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो जब भी गेहूं की आपूर्ति में व्यवधान आया है, तो खाद्य की कीमतों में वृद्धि हुई है और सामाजिक अशांति भी पैदा हुई है। अरब स्प्रिंग इसका एक उदाहरण है। वोजनेसेन्स्की का मानना है कि अगर काला सागर क्षेत्र में चल रहे संघर्ष का गेहूं व्यापार पर प्रभाव लंबे समय तक रहा, तो इससे वैश्विक स्तर पर अस्थिरता पैदा हो सकती है। इसलिए, गेहूं की आपूर्ति को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता व्याप्त है। यह न केवल खाद्य सुरक्षा के लिए बल्कि राजनीतिक स्थिरता के लिए भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।