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गेहूँ में कितनी और तेजी, चावल का कितना मिल रहा सपोर्ट - गेहूं और चावल की तेजी मंदी रिपोर्ट

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गेहूं और चावल की तेजी मंदी रिपोर्ट

किसान साथियो 13 मई का वह दिन था जब सरकार ने माहौल को पहले भांपते हुए गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी आज आलम यह है कि देश में गेहूं और चावल के स्टॉक में निरंतर हो रही कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। जैसा कि हमने पहले की रिपोर्ट में भी बताया है कि इस साल गेहूं की फसल उत्पादन और गुणवत्ता दोनों दृष्टि से काफी कमजोर रही है। अत्यधिक गर्मी के कारण गेहूं की फसल की कटाई के समय ही गेहूं का दाना सिकुड़ गया था जिसकी वजह से उत्पादन कम हुआ और क्वालिटी भी बिगड़ गयी। यही बड़ा कारण था कि गेहूं के भाव अप्रैल 2022 से ही एमएसपी से काफी ऊंचे बने हुए थे। जिसका असर यह हुआ कि सरकारी खरीद बुरी तरह प्रभावित हुई और कुल सरकारी खरीद 189 लाख टन से आगे नहीं बढ़ पाई।

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अब तक कितनी आयी तेजी

हालांकि सरकार ने जल्द ही स्थिति को भांप लिया और 13 मई से निर्यात नियंत्रित करते हुए कुछ ढील देकर निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके तुरंत बाद गेहूं के भाव में 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट तो आई थी, लेकिन अगस्त का महीना आते आते  कीमतें फिर बढ़ने लगी और अप्रैल से लेकर अब तक के भाव को देखें तो गेहूं के दाम एमएसपी 2015 रुपए से 300 से 500 रुपए तक तेज है। हालांकि इसमे किसान को कितना फायदा होगा ये कहना मुश्किल है, क्योंकि किसान ने अप्रैल और मई के महीने में ही ज्यादातर माल बेच दिया है। आज के भाव को बात करें तो दिल्ली में राजस्थान लाइन का गेहूं का भाव 2550 रुपए और एमपी लाइन गेहूं के भाव 2530 तक पहुँच चुके हैं यह l गौरतलब है कि ऐसा तब हो रहा है जब निर्यात पर पूरी तरह अंकुश है और देश में चल रही अलग अलग मुफ्त अनाज वितरण योजनाओं के तहत देश में 55 लाख टन गेहूं की जगह चावल वितरित किया जा चुका है।

नयी फसल आने में लम्बा समय

जानकारों की मानें तो सरकार इस साल सितंबर तक जारी रहने वाली मुफ्त अनाज वितरण योजना आगे न बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है। हालांकि सरकारी अधिकारियों द्वारा बार-बार बताया जा रहा है कि देश में गेहूं के भंडार में कोई कमी नहीं है। भारत में बफर स्टॉक के लिए लगभग 75 लाख टन गेहूं आवश्यक होती है और सरकार का कहना है कि स्टॉक इससे ज्यादा है। लेकिन धीरे-धीरे बढ़ रहीं गेहूं की कीमतें संशय पैदा कर रही हैं। निर्यात नियंत्रित होने के बावजूद धीमी गति से ही सही गेहूं का निर्यात जारी है। इसलिए आने वाले त्योहारी सीजन में गेहूं के दाम में और बढ़ोत्तरी हो सकती है, क्योंकि नई फसल आने में 7 माह का लंबा समय बाकी है।

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क्या कहते हैं बाजार के जानकार

जानकारों का कहना है कि सरकार ने आयात शुल्क समाप्त करने अथवा गेहूं पर स्टॉक लिमिट जैसे कठोर कानून लागू नहीं किए तो गेहूं के दाम में प्रमुख त्योहारों तक तेजी संभावित है। दूसरे पहलु को देखें तो कुछ बाज़ार के जानकारों का यह भी कहना है कि व्यापरियों द्वारा बड़ी मात्रा में ऊँचे दाम पर गेहूं का भंडारण होने के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ रही है। उनके अनुसार जैसे ही गेहूं की कीमतों में थोड़ी और बढ़ोतरी होगी वे अपना माल निकालना शुरू कर देंगे और भाव नीचे आ जाएंगे।

दूसरी तरफ चावल के उत्पादन में कमी होने की खबरों से भी गेहूं की तेजी को सपोर्ट मिल रहा है। आंकड़ों के अनुसार चावल की खरीफ रोपाई में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश से पश्चिमी बंगाल तक मानसून काफी कमजोर रहने से धान रोपाई लगभग 13 प्रतिशत कम बतायी जा रही है। जानकारों का कहना है कि इसके असर से लगभग डेढ़ करोड़ टन चावल का उत्पादन कम हो सकता है। बासमती बाजार में पहले से ही तेजी है। इन दिनों साठी 1509 धान की आवक तेज हो रही है और हाजिर मंडियों में इसका भाव 3700 रुपए से लेकर 3900 रुपए के बीच चल रहा है जो कि पिछले साल ईन दिनों मे 2500-2600 के आसपास था। कल के भाव की बात करें तो इंद्री मंडी में धान 1509 भाव 3670, करनाल मंडी धान 1509 भाव 3680 आवक 6000 बैग, कैथल मंडी धान शरबती भाव 2625 आवक 500, घरौंडा मंडी धान 1509 भाव 3681 और नरेला मंडी  में धान 1509 भाव 3513 बासमती 30 का भाव 3650 तक रहा है

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हालांकि बासमती की बुवाई ठीक ठाक है बल्कि पिछले साल से ज्यादा ही बतायी जा रही है। माहौल को देखते हुए बासमती में भी पिछले साल के मुकाबले अच्छे भाव मिलने की संभावना प्रबल है। बढ़ती आवक के कारण आगे चलकर थोड़ी कमजोरी बन सकती है लेकिन ओवर ऑल भाव अच्छे रहेंगे। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें