3000 रुपये का आंकड़ा छू सकते हैं गेहूं के भाव | जाने क्या है इसकी वज़ह
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों गेहुं की लगातर बढ़ती कीमतें एक तरफ जहां किसानों और व्यापारियों के लिए फायदे का सौदा बन रही है। वहीं दूसरी तरफ गेहूं की महंगाई सरकार के लिए और आम आदमी के लिए समस्या बनती जा रही है। गेहुं की महंगाई को रोकने के लिए सरकर तरह तरह के उपाय कर रही है लेकिन गेहूं की तेजी थम नहीं रही। जब से बाजार में यह खबर आयी है कि सरकार फ़िलहाल OMSS के माध्यम से गेहूं बेचने के मूड में नहीं है तब से गेहूं के भाव 50-60 रुपये प्रति क्विंटल तक और बढ़ गए हैं। अब सरकार फिर से हरक़त में आ गई है और आदेश जारी कर दिया है कि गेहूं की स्टॉक लिमिट में संशोधन करके इसे व्यापरियों के लिए 2000 टन कर दिया गया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सरकारी नियम न मानने पर हो सकती है करवाई
मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए एक नया नियंत्रण आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, व्यापारियों को गेहूं का एक निश्चित मात्रा से अधिक भंडारण नहीं करने दिया जाएगा। यदि कोई व्यापारी इस नियम का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे व्यापारियों से अतिरिक्त स्टॉक जब्त किया जाएगा और उन्हें भारी जुर्माना भी देना होगा। सरकार ने इस आदेश को लागू करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के माध्यम से सरकार का उद्देश्य गेहूं की कीमतों को स्थिर रखना और आम लोगों को सस्ते दाम पर गेहूं उपलब्ध कराना है।
गेहूं के स्टॉक पर सरकार की है नजर
राज्य सरकार ने गेहूं की कालाबाजारी और कृत्रिम किल्लत को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर गेहूं के स्टॉक पर सीमा तय कर दी है। साथ ही, सरकार ने अधिकारियों को यह अधिकार दिया है कि वे संदेह होने पर किसी भी स्थान पर गेहूं के स्टॉक की तलाशी ले सकते हैं। यदि किसी व्यापारी या थोक विक्रेता के पास तय सीमा से अधिक गेहूं का स्टॉक पाया जाता है, तो सरकार उस स्टॉक को जब्त करने का अधिकार रखती है। सरकार ने व्यापारियों और थोक विक्रेताओं से अपील की है कि वे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तय की गई गेहूं के स्टॉक की सीमा का कड़ाई से पालन करें। यदि कोई भी व्यापारी इस नियम का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का यह कदम आम लोगों को सस्ते दाम पर गेहूं उपलब्ध कराने और कालाबाजारी को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
ओएमएसएस योजना में देरी से गेहूं के भाव में आई तेजी
सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों को गेहूं बेचने की घोषणा की थी। शुरुआत में यह अगस्त से शुरू होने वाली थी, फिर इसे अक्टूबर में टाल दिया गया और अंततः इसे रद्द कर दिया गया। इस निर्णय के कारण गेहूं के दामों में तेजी से वृद्धि हुई है और अब गेहूं 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना है। इस साल गेहूं की पैदावार अच्छी रही है। लेकिन पुराने स्टॉक की कमी और बड़ी कंपनियों द्वारा मंडियों में अधिक कीमतों पर गेहूं खरीदने के कारण सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अधिक मात्रा में गेहूं खरीदने में सफल नहीं रही। सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बड़ी कंपनियों ने मध्य प्रदेश की मंडियों में 2350 से 2550 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं खरीदा। ओएमएसएस में देरी और बाजार में गेहूं की मांग बढ़ने से गेहूं के दामों में यह उछाल आया है। इससे आम लोगों को महंगा आटा खरीदना पड़ रहा है और किसानों को भी उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है जितना उन्हें मिलना चाहिए था।
क्या राज है गेहूं में बढ़ती तेजी का
हरियाणा और पंजाब में गेहूं की पैदावार अच्छी होने के बावजूद, सरकार द्वारा निर्धारित खरीद लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। बड़ी कंपनियां गेहूं की खरीद रोक रही हैं, जिसके कारण मंडियों में किसानों द्वारा लाया जाने वाला माल कम हो गया है। इस स्थिति के चलते गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। पिछले 10 दिनों में गेहूं के दाम 70-80 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 2920-2930 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। यह पिछले साल के मुकाबले लगभग 400 रुपये अधिक है। सरकार ने गत अगस्त से ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं की बिक्री 2300-2325 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे अक्टूबर में टाल दिया गया और अंततः इस योजना को ही रद्द कर दिया गया। इस निर्णय के कारण रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों को गेहूं की अधिक आवश्यकता हुई, जिससे बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई और कीमतों में तेजी आई। यह स्थिति किसानों के लिए फायदेमंद तो है, लेकिन आम लोगों के लिए महंगाई का कारण बन रही है। बढ़ती गेहूं की कीमतों का असर आटे और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों पर भी पड़ रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
क्या गेहूं का भाव 3000 तक पहुंच सकता है
देश में गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा अनुमानित उत्पादन के बावजूद, बाजार में गेहूं की मांग अधिक होना है। इस बार गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हुआ है, लेकिन बड़ी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धी खरीद के कारण सरकार अपने निर्धारित लक्ष्य के अनुसार गेहूं खरीदने में सफल नहीं रही है। सरकार द्वारा गेहूं की कुल खरीद पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षाकृत कम रही है। बड़ी कंपनियों द्वारा गेहूं का भंडारण किया जा रहा है और वे बाजार में कम मात्रा में गेहूं बेच रहे हैं, जिससे गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। वर्तमान में गेहूं की कीमतें 2920-2930 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गई हैं। चूंकि गेहूं की नई फसल मार्च-अप्रैल में आएगी और सरकार ने अपने भंडार से गेहूं बेचने से मना कर दिया है, इसलिए आने वाले समय में गेहूं की कीमतें और बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि गेहूं की कीमतें जल्द ही 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार जा सकती हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।