MSP से 21% तेज हुआ गेहूं का रेट | जानिए और कितना तेज हो सकता है गेहूं
किसान साथियो गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। रबी सीजन में गेहूं की रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, बाजार में गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। नवंबर-दिसंबर से गेहूं के दाम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वर्तमान में, गेहूं का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी 21 प्रतिशत अधिक है। पिछले एक सप्ताह में ही गेहूं के दाम में लगभग 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। यह लगातार बढ़ती कीमतें उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गई हैं।
MSP से 21 फीसदी ऊपर गया गेहूं का भाव
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 11 जनवरी 2025 को देश में गेहूं का औसत मंडी भाव 2909.96 रुपये प्रति क्विंटल रहा। यह गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 21% अधिक है। पिछले सप्ताह की तुलना में गेहूं के दाम में 100 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। इसके अलावा, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में गेहूं के दाम में लगभग 15% की वृद्धि हुई है।
MSP में बढ़ोत्तरी से गेहूं की इस बार हुई बंपर बुवाई
रबी सीजन 2024-25 में किसानों ने गेहूं की रिकॉर्ड बुवाई की है। इसका मुख्य कारण नवंबर 2024 में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा है। इस बढ़ोतरी से किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है, जिसके कारण उन्होंने गेहूं की बुवाई के लिए अधिक क्षेत्र का उपयोग किया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस बार गेहूं की बुवाई सामान्य से लगभग 9 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में हुई है।
सरकार के पास जरूरत से ज्यादा बफर स्टॉक में गेहूं है मौजूद
भारत सरकार के पास 2023-2024 के रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 1132.92 लाख मीट्रिक टन रहा है, जो काफी अच्छी मात्रा है। इसके अतिरिक्त, 30 नवंबर, 2024 तक सरकार के पास 206 लाख मीट्रिक टन गेहूं का भंडार भी था, जो कि निर्धारित मानक से अधिक है। गेहूं के भंडार को बनाए रखने और बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार ने मई 2022 से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बावजूद गेहूं की कीमतों में कमी नहीं आई है, जो चिंता का विषय है।
गेहूं के भाव में क्यों तेजी आ रही है
गेहूं की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि का मुख्य कारण ऑफ सीजन में गेहूं की कमी है। किसान अगली फसल की बुवाई से पहले अपने पास मौजूद गेहूं का स्टॉक बेचने से हिचकिचा रहे हैं, जिससे बाजार में गेहूं की आपूर्ति कम हो गई है। दूसरी ओर, बिस्किट, ब्रेड जैसी खाद्य वस्तुएं बनाने वाली कंपनियां बड़ी मात्रा में गेहूं खरीद रही हैं। साथ ही, सरकार द्वारा गेहूं की आपूर्ति में देरी हो रही है, जिससे बाजार में गेहूं की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ सप्ताहों तक गेहूं की कीमतें बढ़ती रह सकती हैं।
क्या और बढ़ सकते है भाव
सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री को रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों की क्षमता के अनुरूप न करने के कारण बाजार में गेहूं की कमी बनी हुई है। पिछले सप्ताह गेहूं के दामों में लगभग 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई थी, लेकिन सरकार द्वारा टेंडर में गेहूं की मात्रा कम करने के बावजूद, हाजिर बाजार में गेहूं की कमी के कारण दाम फिर से बढ़कर 3300-3310 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। हालांकि, आने वाले सप्ताह में टेंडर में गेहूं की मात्रा बढ़ने से दामों में अस्थायी रूप से गिरावट आ सकती है। लेकिन जब तक सरकार खुले बाजार में गेहूं की पर्याप्त मात्रा में बिक्री नहीं करती है, तब तक दामों में स्थायी रूप से गिरावट नहीं आएगी। इसलिए, गेहूं की कीमतों को स्थिर करने के लिए सरकार को गेहूं की बिक्री को और बढ़ाना होगा। बाकि व्यापार पाने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।