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दिवाली पर गेहूं ने भी बदले अपने तेवर। जाने कितने तेज हुए गेहूं के रेट

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किसान साथियों, खाद्य तेलों के साथ-साथ अब गेहूं ने भी अपना रुख साफ करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय से देश की राजधानी और आसपास की मंडियों में गेहूं के दामों में थोड़ा-थोड़ा करके अत्यधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान से जो गेहूं दिल्ली की मंडियों में पहुंच रहा है, उसमें आज कुछ हल्की तेजी देखने को मिली है। राजस्थान से आने वाले गेहूं में आज 15 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज हुई है, जिससे इसकी कीमत 3085 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। गेहूं के दामों में बढ़ रही तेजी का असर फ्लोर मिलर्स, प्रोसेसर के साथ-साथ व्यापारी समुदाय पर भी अत्यधिक प्रभाव डाल रहा है। गेहूं के बढ़ते मूल्यों से जहां किसान को कुछ राहत मिल रही है, वहीं अन्य वर्ग गेहूं के बढ़ते दामों को लेकर बहुत ही चिंतित हैं। गेहूं की बढ़ती कीमतों में कई कारक शामिल हैं, जिनमें सरकारी नीतियां, त्योहारी मांग, केंद्रीय पूल का घटता स्टॉक, ओपन सेल मार्केट, आयात पर सीमा शुल्क और रबी सीजन की बुवाई से जुड़ी मांग शामिल हैं। इन सबका योगदान गेहूं के मूल्य में तेजी लाने में काफी मदद कर रहा है। आज की रिपोर्ट में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि यह सब कारक किस प्रकार गेहूं के मूल्य में वृद्धि का कारण बन रहे हैं। तो आइए, विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं आज की रिपोर्ट। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

सरकारी नीतियां
किसान साथियों, घरेलू बाजारों में गेहूं के मूल्य में और वृद्धि का प्रमुख कारण सरकार की नीतियों को भी बताया जा रहा है क्योंकि सरकार ने फिलहाल अपने मौजूदा स्टॉक से गेहूं बेचने की योजना को रोक दिया है। सरकार ओपन सेल मार्केट के जरिए समय-समय पर अपने स्टॉक से गेहूं बेचती है, ताकि बाजार में गेहूं की आपूर्ति स्थिर बनी रहे। ऐसा करने से बाजार में गेहूं की कीमतें नियंत्रण में रहती हैं और उपभोक्ताओं को भी राहत मिलती है। लेकिन इस बार सरकार ने ओपन सेल मार्केट के जरिए अपने भंडारण से गेहूं बेचने का फैसला अभी तक नहीं लिया है, इस कारण घरेलू बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई है, जिसका असर फ्लोर मिलर पर पड़ रहा है, जो अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पूरी तरह से खुले बाजार पर आश्रित हो गए हैं। इसके अलावा, ओपन सेल मार्केट के स्टॉक की अनुपलब्धता के कारण छोटी मंडियों में गेहूं के स्टॉक में कमी हो गई है। सरकार का कहना है कि देश में गेहूं का संतुलित स्टॉक मौजूद है, लेकिन केंद्र के गोदाम में पिछले कुछ सालों की तुलना में गेहूं का स्टॉक कम हुआ है। बाजार में इस कमी की वजह से व्यापारी और मिलर्स को अधिक दामों पर गेहूं की खरीदारी करनी पड़ रही है, जिसके कारण कीमतों पर दबाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग
किसान साथियों, अक्टूबर से दिसंबर तक भारत में कई प्रकार के त्यौहार, जैसे दिवाली, छठ पूजा और शादी-विवाहों के बढ़ने के कारण खट्टे, मैदा और सूजी जैसे खाद्य सामग्री की डिमांड अधिक हो जाती है। इन खाद्य सामग्री की बढ़ती डिमांड का सीधा प्रभाव गेहूं के मूल्य पर पड़ता है, क्योंकि इन उत्पादों की पूर्ति करने के लिए कच्चे माल के रूप में गेहूं ही उपयोग होता है। इसलिए फ्लोर मिलर्स को अपने उत्पादन की क्षमता बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, जिसके लिए उन्हें अधिक मात्रा में गेहूं की जरूरत होती है। लेकिन मौजूदा समय में सीमित सप्लाई और सरकारी स्टॉक में आई कमी के कारण उनकी जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। इसका सीधा असर यह हो रहा है कि फ्लोर मिलर्स ऊंचे दामों पर गेहूं की खरीदारी करने के लिए मजबूर हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गेहूं का घटता स्टॉक
किसान भाइयों, अगर पिछले कुछ सालों की बात करें, तो पिछले सालों की तुलना में सरकार के केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे यह पता चलता है कि सरकार के केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक बहुत कम मात्रा में है। केंद्रीय पूल का स्टॉक देश की मुश्किल के समय जरूरत को पूरा करने के लिए किया जाता है और इसमें आई कमी का मतलब है कि सरकार के पास बाजार में गेहूं बेचने की क्षमता बहुत कम बची हुई है। गेहूं के उत्पादन में आई कमी और अधिक निर्यात के कारण इस वर्ष केंद्रीय पूल में गेहूं की मात्रा कम हो गई है, जिसका सीधा प्रभाव बाजार पर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है, क्योंकि व्यापारी मजबूरी में गेहूं को ऊंचे दामों पर खरीदने के लिए विवश हैं।

आयात पर सीमा शुल्क
किसान भाइयों, सरकार द्वारा लगाया गया आयात सीमा शुल्क भी गेहूं के बढ़ते दामों में अपनी भूमिका निभा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि गेहूं के आयात पर सीमा शुल्क में कोई कटौती नहीं की जाएगी। सरकार के इस फैसले का मतलब है कि घरेलू बाजारों में गेहूं की डिमांड को पूरा करने के लिए सरकार बाहर से गेहूं का आयात नहीं करेगी, जिसके कारण घरेलू बाजारों में गेहूं की बढ़ती डिमांड और आपूर्ति का तालमेल बिगड़ने लगा है। सरकार की यह नीति घरेलू उत्पादन के हित में है, लेकिन फिलहाल बन रहे हालात इस नीति के कारण बाजार में गेहूं की कीमतों पर दबाव बढ़ा रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है।

बुवाई और बीज की मांग
किसान साथियों, गेहूं की बढ़ती मांग और दामों में आ रही तेजी का एक कारण रबी सीजन में किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए बड़ी मात्रा में बीज की आवश्यकता होती है, जिसके कारण बाजारों में गेहूं की अत्यधिक डिमांड बढ़ जाती है। मौजूदा हालातों में बीज के लिए गेहूं की पूर्ति करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि मंडियों में गेहूं की सीमित मात्रा ही बची हुई है, जिसके कारण गेहूं की कीमतों में और अधिक तेजी आने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो किसानों के लिए इस समय एक चिंतनीय विषय हो सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

मंडियों के आज के गेहूं के भाव
किसान भाइयों, अगर देश के कुछ प्रमुख मंडियों के आज के गेहूं की बात करें, तो आज नोहर मंडी में गेहूं 2880 रुपए प्रति क्विंटल, बनारस मंडी में 3095 रुपए प्रति क्विंटल, रायपुर मंडी में 3060 रुपए प्रति क्विंटल, दाहोदा मंडी में 2950 रुपए प्रति क्विंटल, दिल्ली में 3085 रुपए प्रति क्विंटल, सिवानी मंडी में 2825 रुपए प्रति क्विंटल, राजस्थान लाइन में 3085 रुपए प्रति क्विंटल, उत्तर प्रदेश लाइन में 3085 रुपए प्रति क्विंटल, बुलंदशहर मंडी में 2800 रुपए प्रति क्विंटल, औरंगाबाद मंडी में 2750 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल, लखनऊ मंडी में 3300 रुपए प्रति क्विंटल, धमनोद मंडी में 2725 रुपए प्रति क्विंटल, हनुमानगढ़ मंडी में 2650 रुपए प्रति क्विंटल, अहमदाबाद मंडी में 3050 रुपए प्रति क्विंटल, दुर्गा मंडी में 3050 रुपए प्रति क्विंटल, हैदराबाद मंडी में 3310 रुपए प्रति क्विंटल, विजयवाड़ा मंडी में 3210 रुपए प्रति क्विंटल, बेंगलुरु मंडी में 3400 प्रति क्विंटल और एमपी लाइन के गेहूं के भाव 3085 रुपए प्रति क्विंटल के रहे।

भंडारण स्थिति
किसान साथियों, इस वर्ष सरकार ने स्टॉक सीमा लागू की है ताकि व्यापारी अधिक मात्रा में गेहूं का भंडारण न कर सकें। व्यापारियों ने सरकारी पोर्टल पर लगभग 90 लाख टन गेहूं का स्टॉक घोषित किया है, लेकिन सीमित आपूर्ति के कारण खुले बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं। व्यापारी वर्ग का कहना है कि स्टॉक सीमा लागू होने के बावजूद वास्तविक कमी मंडियों में महसूस की जा रही है, जिससे कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। गेहूं की बढ़ती मांग, सरकारी नीतियां, आयात शुल्क और स्टॉक में आई कमी के कारण मौजूदा हालातों को देखते हुए यही अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में गेहूं के दामों में कुछ और तेजी की संभावनाएं बन सकती हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। बाकी तेजी-मंदी की जानकारी अनुमानों पर आधारित है। परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं, इसलिए व्यापार अपने विवेक से ही करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।