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मक्का के बाजार में क्या हो रही है हलचल | जाने मक्का की तेजी मंदी रिपोर्ट में

जाने मक्का की तेजी मंदी रिपोर्ट में
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किसान साथियों , भारत में मक्का (Maize) का उत्पादन कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है और इसे किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल माना जाता है। साल 2024 में, खरीफ सीजन में मक्का की बिजाई का क्षेत्र बढ़कर 88.6 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो कि पिछले साल के 84.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 3.41 लाख हेक्टेयर अधिक है। इस वृद्धि के कारण मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावनाएं बनी थीं, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ ने मक्का की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसके परिणामस्वरूप, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मक्का के उत्पादन शायद पिछले साल की तरह ही रहेगा।

मक्का के उपयोग में भी पिछले कुछ वर्षों में बदलाव आया है। पहले जहाँ मक्का का उपयोग मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड, पशु आहार, और स्टार्च निर्माण उद्योग में होता था, अब एथेनॉल निर्माण उद्योग में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। इससे न केवल किसानों को बेहतर कीमत मिलने की संभावना है बल्कि इसकी खपत में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, भारत म्यांमार और यूक्रेन से मक्का का आयात भी कर सकता है क्योंकि वहाँ गैर-जीएम (genetically modified) मक्का का उत्पादन होता है, जो भारत के एथेनॉल उद्योग के लिए फायदेमंद है। ऐसे में, मक्का के दाम और खपत दोनों में वृद्धि होने के पूरी उम्मीद बनी हुई हैं, जो किसानों के लिए एक अच्छा संकेत है।

मक्का के उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि और इसके पीछे के कारण

भारत में मक्का का उत्पादन साल 2024 के खरीफ सीजन में 88.06 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में हुआ है, जो पिछले साल की मक्का की बिजाई के मुकाबले 3.41 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इस क्षेत्र में वृद्धि का प्रमुख कारण मक्का की मांग में तेजी से बढ़ोतरी और सरकार की कृषि-समर्थन योजनाएं हैं, मक्का की बढ़ती मांगो मे मक्का की फसल को लाभदायक फसल बना दिया है, इसलिए अब किसान अधिक से अधिक मक्का को उगाने में रुचि रख रहे हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2023 में मक्का की खेती का क्षेत्र 84.65 लाख हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 88.06 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वृद्धि के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण एथेनॉल निर्माण उद्योग की मक्का की मांग है। एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए मक्का का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मक्का की कीमतें मे तेजी बनी हुई हैं।

इस साल मक्का फसल को पहुंची क्षति

साल 2024 के खरीफ सीजन में देश के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के कारण मक्का की फसल को काफी नुकसान हुआ। बाढ़ के कारण मक्का के खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहा, जिससे पौधे गल गए और उत्पादन पर इसका प्रभाव पड़ा। हालाँकि उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि हुई है,फिर भी बाढ़ और जल-जमाव के कारण उत्पादन का स्तर पिछले साल की तुलना में ज्यादा नहीं बढ़ सका।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के कारण पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे उनकी विकास क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में कुल उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। दोस्तों इस साल अनुमान है कि मक्का का उत्पादन पिछले साल के आसपास ही रहेगा ।

 घरेलू मांग में हुई वृद्धि

मक्का की घरेलू मांग में भी तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसका मुख्य कारण इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाना है। परंपरागत रूप से मक्का का उपयोग पोल्ट्री फीड, पशु आहार, और स्टार्च निर्माण जैसे उद्योगों में किया जाता था। लेकिन अब, एथेनॉल उत्पादन जैसे नए सेक्टर की ओर से भी मक्का की मांग तेजी से बढ़ी है। एथेनॉल उद्योग को एक सस्ता और कुशल विकल्प प्रदान करने के लिए मक्का का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मक्का की खपत में बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा, भारत सरकार ने इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत, पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर इसकी खपत को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, जो मक्का की मांग को और अधिक बढ़ाता है।

एथेनॉल उत्पादन में मक्का की इम्पॉर्टन्स

एथेनॉल उत्पादन में मक्का के उपयोग ने किसानों के लिए एक नया अवसर पैदा किया है। इस उद्योग में मक्का की मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। भारत में कई अनाज-आधारित डिस्टिलरीज एथेनॉल का उत्पादन करती हैं, जो पेट्रोल में मिलाए जाने के लिए उपयोगी होता है। मक्का के इस नए उपयोग से किसानों को अपनी उपज का अच्छा मूल्य मिल सकता है और यह उनकी आय बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

मक्का की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अब इसे एक प्रमुख नकदी फसल के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने भी एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ लागू की हैं, जिससे किसानों को मक्का की खेती में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मक्का का आयात

भारत में मक्का की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अन्य देशों से इसका आयात किया जा सकता है। म्यांमार से भारत में मक्का का आयात हो सकता है क्योंकि वहाँ गैर-जीएम (genetically modified) मक्का का उत्पादन होता है, जो भारत के लिए अधिक उपयुक्त है। इसके अलावा, म्यांमार से आयात पर शुल्क में भी छूट है, जिससे मक्का की कीमत कम रहती है और एथेनॉल उद्योग में इसका इस्तेमाल आसान हो जाता है।

भारत यूक्रेन से भी मक्का आयात करता है, जहाँ गैर-जीएम मक्का की उपलब्धता है। सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (Tariff Rate Quota) प्रणाली के तहत यूक्रेन से 5 लाख टन मक्का के आयात की अनुमति दी है। यह कदम मक्का की घरेलू आपूर्ति को बनाए रखने और इसकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है।

मंडियों में मक्का की नई फसल की आवक और कीमतें

भारत के घरेलू बाजारों में खरीफ सीजन की मक्का की नई फसल आना शुरू हो गई है। मंडियों में मक्का की आवक बढ़ने के साथ-साथ इसकी कीमतें भी अच्छी बनी हुई हैं। इस साल मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार ने 6.5% बढ़ाकर 2225 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जिससे इस वक्त मंडियों में मक्का किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है।  जो कि सरकारी समर्थन मूल्य से ऊँचे चल रहे हैं। मक्का की घरेलू मांग को देखते हुए उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भी इसकी कीमतें अच्छी बनी रहेंगी। इससे किसानों को मक्का उत्पादन में अधिक रुचि लेने की प्रेरणा मिलेगी।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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