बासमती के बाजार को लेकर क्या कहते हैं व्यापारी | जाने इस रिपोर्ट में
किसान साथियो बासमती का बाजार अपने पीक समय की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन हाजिर मंडियों में इस साल पिछले साल जैसा आवक का दबाव नहीं बना है। कुछ बड़ी मंडियों को छोड़ दें तो अभी तक ज्यादा जाम की स्थिति नहीं बनी है। व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दो चार दिनों में ऐसा नजारा देखने को मिल सकता है। पंजाब और एमपी की मंडियों में धान की आवक तो अच्छी हो रही है लेकिन किसान कम दामों में धान बेचने को तैयार नहीं हैं। इसी वजह से किसान सीजन की शुरुआत में जो 1509 के धान 2400-2500 में पिट रहे थे अब इसे रेट 2950 से 3250 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बासमती चावल की मांग अच्छी है, जिससे भारत में धान के दामों को मजबूती मिल रही है। अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, टोहाना, अमृतसर, जांडियाला गुरु, तरनतारन और यूपी के दादरी, बहजोई जैसी प्रमुख मंडियों में धान का औसत भाव 2950 से 3150 रुपये प्रति क्विंटल के बीच पहुंच गया है। हालांकि, पिछले साल इसी समय इन मंडियों में धान का भाव 3350 से 3550 रुपये प्रति क्विंटल था। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
इस समय कैसा है धान का बाजार
इस समय धान का बाजार कुछ अनिश्चितताओं से गुजर रहा है। पुराने धान की मात्रा मंडियों में न के बराबर है और जो माल है वो भी राइस मिलों और व्यापारियों के पास जमा है। पिछले साल महंगे धान खरीदने के चलते इस साल व्यापारी नया धान खरीदने मेन सुस्ती दिखा रहे हैं । चावल के भाव को देखें तो यूपी के बहजोई, जहांगीराबाद और काशीपुर में 1509 सेला चावल 5600-5700 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा है, जबकि हरियाणा और पंजाब में यह 5750-5800 रुपये प्रति क्विंटल तक जा रहा है। मिलिंग की लागत बढ़ने के कारण मिल वाले कम दामों पर बेचने से हिचक रहे हैं। दिल्ली में भी व्यापार कमजोर है क्योंकि व्यापारी हरियाणा और पंजाब की तुलना में 100-200 रुपये कम दाम देने को तैयार हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि निर्यातकों का माल इजरायल और ईरान के युद्ध के कारण फंसा हुआ है। सरकार द्वारा एमईपी हटाने के बाद निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन यह अभी तक पूरी तरह से साकार नहीं हुई है। हालांकि, नई फसल का धान 1509 क्वालिटी का आ रहा है और इसका भविष्य उज्जवल दिख रहा है। कुल मिलाकर, धान का बाजार अभी अनिश्चितताओं से भरा हुआ है और किसानों को धैर्य रखने की जरूरत है।
बाजार की तेजी मंदी को लेकर क्या कहते हैं व्यापारी
गुजरात के बाद हरियाणा और पंजाब में सितंबर महीने में सबसे अधिक बारिश हुई है। इस कारण धान की फसल बेहद अच्छी और गुणवत्तापूर्ण हुई है। व्यापारियो का मानना है कि सरकार द्वारा न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाने से निर्यातकों को कई नए अवसर मिले हैं। इसके परिणामस्वरूप, आने वाले समय में बासमती धान और चावल के दामों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। हाल ही में 1509 चावल के दामों में गिरावट आई थी, लेकिन बड़े व्यापारियों की मांग बढ़ने के कारण अब यह 5750-5800 रुपये के आसपास स्थिर हो गया है। मंडियों में धान और चावल का पुराना स्टॉक खत्म हो चुका है। केवल हाल फिलहाल की मांग कम होने के कारण दामों में थोड़ी नरमी देखने को मिल रही है। व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव है और उत्पादक मंडियों से वितरक मंडियों में धान का परिवहन कम हो रहा है। गौरतलब है कि इस समय राइस मिलों को चावल बनाने में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है, इसलिए बड़ी तेजी की उम्मीद तो नहीं है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए धान और चावल के दामों में आगे चलकर तेजी आने की उम्मीद है। व्यापार अपने विवेक से करें
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।