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गेहूं के बाजार में तेजी की रफ्तार पर लगा ब्रेक। जानिए क्या है गेहूं के बाजार की स्थिति

जानिए क्या है गेहूं के बाजार की स्थिति
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किसान साथियों, गेहूं का बाज़ार इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ खरीदार और विक्रेता दोनों ही दुविधा में हैं। बीते कुछ हफ्तों से जो हलचल मंडियों में दिखाई दे रही थी, वो अब थोड़ा धीमा पड़ गया है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दूसरे प्रमुख राज्यों की मंडियों में अब वो रफ्तार नहीं रही जो अप्रैल और मई के पहले हफ्ते में दिख रही थी। अब जब सरकारी खरीद करीब-करीब थम चुकी है और स्टॉकिस्ट भी नई खरीद को लेकर उत्साहित नहीं दिख रहे, तो बाजार की दिशा को समझना ज़रूरी हो जाता है।

पिछले सप्ताह गेहूं के बाजार में हल्की गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख कारण रहा ग्राहकी का कमजोर होना और मुनाफावसूली की बिकवाली। कई व्यापारियों ने स्टॉक से छुटकारा पाने के लिए माल निकालना शुरू किया, जबकि खरीदार थोड़े पीछे हटे। इस खिंचातानी का असर दिल्ली और आसपास की मंडियों में साफ दिखा, जहाँ भाव ₹2735 से ₹2740 प्रति क्विंटल तक आ गए। वहीं अगर सरकारी खरीद की बात करें तो करीब 300 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है। लेकिन अब ज़्यादातर राज्यों में धर्मकांटे सूने हो चले हैं। किसान भी अपना माल पहले ही बेच चुके हैं, और बचे-खुचे जो धर्मकांटे खुले हैं, वहाँ गेहूं नाममात्र ही आ रहा है। इसके अलावा एक और दिलचस्प पहलू ये रहा कि सरकार के बफर स्टॉक में इस बार काफी अच्छा स्टॉक बन गया है। पिछले तीन वर्षों की तुलना में यह आंकड़ा काफी ऊपर है। इसका सीधा असर यह पड़ा कि स्टॉकिस्टों ने अब गेहूं खरीदने से हाथ पीछे खींच लिए हैं — उन्हें डर है कि ज्यादा माल उठाया तो भाव दब सकते हैं।

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लॉरेंस रोड और अन्य मंडियाँ

दिल्ली की लॉरेंस रोड मंडी, जो देश के गेहूं व्यापार का एक बड़ा केंद्र है, वहाँ एक दिन फ्लोर मिलों की मांग निकलने से बाजार में थोड़ी तेजी आई। उस दिन भाव ₹2740 से ₹2745 प्रति क्विंटल तक बोले गए। लेकिन ये तेजी ज्यादा देर टिक नहीं पाई। जैसे ही मिलर्स की जरूरत पूरी हुई, बाजार फिर से स्थिर हो गया। इससे यह साफ संकेत है कि इस समय डिमांड-सप्लाई का संतुलन इतना मजबूत नहीं है कि बाजार को ऊपर खींच सके। सप्लाई बनी हुई है, लेकिन डिमांड वैसी नहीं है जैसी आमतौर पर इस सीज़न में रहती है।

अगर अन्य मंडियों के गेहूं के भावों की बात करें तो आज बेतूल मंडी ₹2600 स्थिर, अमृतसर मंडी ₹2600 स्थिर, पिपरिया मंडी (मिल क्वालिटी) ₹2450 से ₹2510, (बेस्ट क्वालिटी) ₹2600, आगरा मंडी ₹2600 स्थिर, किच्छा मंडी ₹2700 स्थिर, रायबरेली (मिल डिलीवरी) ₹2660, गोरखपुर मंडी ₹2500 स्थिर (3% छूट भाव ₹2710, मंदी ₹10), खन्ना मंडी ₹2600 से ₹2625 स्थिर, अहमदाबाद मंडी ₹2700 स्थिर (3% छूट, नया), भुवनेश्वर मंडी ₹2760 स्थिर (नेट, नया), इंदौर मंडी ₹2750 स्थिर (3% छूट), जबलपुर मंडी ₹2400 से ₹2525 रुपए प्रति क्विंटल के रहे।

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अंतरराष्ट्रीय स्थिति का असर

जब दुनिया के किसी कोने में तनाव बढ़ता है, खासकर मिडिल ईस्ट में, तो उसके असर से गेहूं जैसे कृषि उत्पाद भी अछूते नहीं रहते। हाल ही में ईरान और इज़राइल के बीच तनाव की खबरें आईं, जिससे बाजार में हलचल ज़रूर हुई, लेकिन गेहूं के दाम पर इसका सीधा असर नहीं पड़ा। क्योंकि भारत के भीतर सप्लाई की स्थिति इतनी मजबूत है कि इस तरह की अंतरराष्ट्रीय घटनाएं भाव को ज्यादा ऊपर नहीं ले जा पा रही हैं। इसके अलावा यदि भारत गेहूं निर्यात करता है तो गेहूं की कीमतों में हल्की तेजी की संभावना बन सकती है, लेकिन फिलहाल निर्यात की संभावना भी सीमित है, इसलिए घरेलू मांग और स्टॉक ही बाजार को दिशा दे रहे हैं।

क्या है आगे के संकेत 

कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में आवक तेज़ हो गई थी, जिससे वहाँ के भाव थोड़ा दबाव में आ गए। लेकिन फिर अचानक बारिश होने से कई जगह पर कटाई प्रभावित हुई और आवक भी थोड़ी घट गई। इस वजह से कुछ जगहों पर भाव में हल्की मज़बूती ज़रूर दिखी, लेकिन उसे स्थायी तेजी का संकेत नहीं माना जा सकता।

इसके अलावा बाजार सूत्रों के अनुसार, दिल्ली मंडी में ₹2700 के ऊपर टिकाव फिलहाल मुश्किल है। ट्रेडर और थोक व्यापारी दोनों मानते हैं कि अगर डिमांड में कोई नई जान नहीं आती, तो मंडी भाव सीमित दायरे में ही रहेंगे। अगर इसे उत्पादन आंकड़ों के नजरिए से देखें तो 2025 का गेहूं उत्पादन सरकार की ओर से करीब 1153 लाख मीट्रिक टन आंका गया है, जो कि 2024 के 1090 लाख टन के मुकाबले अच्छा-खासा ज्यादा है। यानी इस बार उपज बढ़िया हुई है। इसी वजह से सरकारी खरीद भी 14% ज्यादा हो चुकी है। लेकिन यही बेहतर उत्पादन अब बाजार पर दबाव भी बना रहा है।

व्यापारी और निवेशक दोनों इस बात को लेकर सतर्क हैं कि स्टॉक भर जाने के बाद मांग कमजोर हो जाती है, और यही अब होते दिख रहा है। इसलिए बाजार में फिलहाल न तो बेचैनी है, न ही कोई खास जोश। व्यापारी मंडियों की चाल देखकर ही आगे की प्लानिंग कर रहे हैं, और निवेशक ज्यादा जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। भाव ऊपर जाएं, इसकी कोई ठोस वजह अभी दिखाई नहीं देती।

इसके अलावा सरकार के पास भी भरपूर स्टॉक है, और जब भी बाजार में कमी आएगी, तो वो खुली बिक्री (ओपन सेल स्कीम्स) के ज़रिये बाजार में माल ला सकती है। इससे भी भाव पर ब्रेक लगेगा। इसलिए कुल मिलाकर अनुमान यही है कि गेहूं के बाजार में फिलहाल किसी भी प्रकार की तेजी के संकेत बहुत ही कम नजर आ रहे हैं, लेकिन व्यापारियों को बाजार की स्थिति पर नजर बनाए रखनी चाहिए। व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।