विदेशी गिरावट ने भारतीय बाजार को लपेटा - सरसों डाउन
विदेशी गिरावट ने भारतीय बाजार को लपेटा - सरसों डाउन
किसान साथियों हमने पिछली रिपोर्ट में बताया था की सरसों में एकदम से बड़ी तेजी नहीं आएगी और मोटे तौर पर इसका रुझान विदेशी बाजारों की तेजी या मंदी पर ही निर्भर करेगा। साथियो भारत खाद्य तेल का बड़ा हिस्सा आयात करता है यही बड़ा कारण है कि घरेलू बाजार में फंडामेंटल मजबूत होने के बावजूद पर विदेशी मंदी या तेजी की चलने लगता है। इस रिपोर्ट में हम सरसों में हुई गिरावट के मुख्य कारण को जानेंगे और आगे के माहौल पर चर्चा करेंगे
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अगस्त का महीना शुरू होते ही मंदी का माहौल ही देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों की एकतरफा तेजी के बाद 2 दिन से मार्केट में गिरावट चल रही है. विदेशी बाजारों की गिरावट ने भारतीय बाजारों को भी लपेट लिया है। मलेशिया में पाम तेल के भाव 4300 के लेवल से 3800 रिंगिट की रेंज में आ चुके हैं।
साथियों हम कई दिन से बता रहे हैं कि इंडोनेशिया में पाम तेल का स्टॉक बढ़ रहा है बढ़ते स्टाफ को कम करने के लिए इंडोनेशिया ने 15 अगस्त से क्रूड पाम तेल के रेफरेंस प्राइस को घटाकर 872.27 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया है। इससे इसका निर्यात शुल्क कम हो जाएगा, जिस कारण मलेशियाई पाम तेल की तुलना में सस्ता हो जाएगा। इसलिए विश्व बाजार में अभी खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है। मंगलवार को मलेशिया में अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में 219 रिगिट की गिरावट आकर भाव 3,841 रिगिंट प्रति टन रह गए। उधर डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल अनुबंध में भी गिरावट दर्ज की गई। साथ ही शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड, सीबीओटी पर सोया तेल की कीमतें आज इलेक्ट्रॉनिक व्यापार में कमजोर बनी रही ।
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विदेशों में आयी इस गिरावट इस गिरावट का सीधा असर भारतीय बाजारों में देखने को मिला है जयपुर में कंडीशन सरसों के भाव दोबारा 7000 की लेवल को टच करने के बाद फिर से 6800-6875 की रेंज में आ गए हैं दो दिन में 150 की गिरावट आ चुकी है। इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी बाजारो की मंदी को माना जा सकता है। इसके अलावा तेल तिलहन में पिछले कुछ दिनों की तेजी के बाद अब मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें मंगलवार को लगातार दूसरे दिन 10-10 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमशः 1,383 रुपये और 1,373 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 25 रुपये कमजोर होकर 2,700 रुपये प्रति क्विटल के स्तर पर आ गई।
हाजिर मंडियों में सरसों के भाव की बात करें तो राजस्थान की नोहर मंडी में सरसों का रेट 6200, रावतसर में 38 lab का रेट ₹6000 प्रति क्विंटल, केसरीसिंहपुर में सरसों का भाव 6100, संगरिया में सरसों का टॉप भाव ₹6270 प्रति क्विंटल, रायसिंहनगर में सरसों का रेट 6151, पीलीबंगा में सरसों का टॉप भाव ₹6000, श्रीगंगानगर में सरसों का रेट ₹6354, देवली में कंडीशन सरसों 6470, बीकानेर में सरसों का भाव 6100, केकड़ी में सरसों का टॉप भाव 6700 रुपए प्रति क्विंटल तक रहा।
हरियाणा की मंडियों में देखा जाए तो ऐलनाबाद मंडी में सरसों का रेट 6325 सिरसा मंडी में सरसों का टॉप रेट 6186 जबकि आदमपुर मंडी में सरसों ₹6280 प्रति क्विंटल तक विकी
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मोटे तौर पर देखा जाए तो चालू सीजन में पहली मार्च से जुलाई अंत तक उत्पादक मंडियों में 67.75 लाख टन उत्पादक मंडियों में 67.75 लाख टन सरसों की आवक हुई है, जिसमें से 60 लाख टन की पेराई हो चुकी है। पहली अगस्त को सरसों का बकाया स्टॉक 48 लाख टन का बचा हुआ है। जुलाई में केवल 7 लाख टन सरसों की पेराई हुई, जोकि जून के 10 लाख टन की तुलना में कम है। जुलाई में उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक भी घटकर 5.50 लाख टन की हुई जबकि जून में आवक 8.50 लाख टन की हुई थी ।
दोस्तो जैसा कि आप सबको पता है कि भारत सरकार पर खाद्य तेलों की महँगाई कम करने का दबाव है। इस दबाव के चलते सरकार ने पाम तेल के आयात पर शुल्क घटा कर 37.5% से 5.5% कर दिया है। और सूरजमुखी और सोया के आयात पर भी शुल्क को 38.5 से घटा कर 5.5 कर दिया है। ऐसा करने से आयातित तेल सस्ता हो गया है जिससे घरेलु बाजार में तेल तिलहन के भाव गिर रहे हैं। सरसों तेल का भाव 210 से घट कर 140 रुपये तक आ चुका है।
अब ग्वार जैसा माहौल सरसों में भी दिखने लगा है नीचे दाम पर खरीद आने के बाद ऊंचे भाव पर बिकवाली देखने को मिल रही है। हालांकि ग्वार ने पिछले कई दिन से तेजी का मुँह नहीं देखा है लेकिन सरसों के फंडामेंटल मजबूत होने के कारण नीचे के भाव पर अच्छी खरीदारी आ रही है। अब सरसों का भाव 6700 से 7000 की रेंज में अटक गया है। अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही माहौल बने रहने की उम्मीद है।
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