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प्रतिबंध के कारण गैर बासमती चावल पर पड़ा असर | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

प्रतिबंध के कारण गैर बासमती चावल पर पड़ा असर | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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साथियो वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति चावल की कुछ किस्मों पर लगे प्रतिबंधों की समीक्षा करने पर विचार कर रही है। पिछले साल जुलाई-अगस्त में चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों से बासमती चावल की तुलना में गैर-बासमती चावल पर अधिक प्रभाव पड़ा है। सूत्रों के अनुसार, समिति जल्द ही चावल की कुछ किस्मों पर निर्यात प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर सकती है, क्योंकि केंद्रीय पूल में चावल का भंडार आवश्यक मात्रा से अधिक हो गया है। कुछ विशेषज्ञो का कहना  हैं कि समिति इस निर्णय को खरीफ फसल की बुवाई की स्थिति स्पष्ट होने तक स्थगित कर सकती है। अगले महीने से केंद्र सरकार खुले बाजार में चावल की बिक्री शुरू करने जा रही है।

चावल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने राज्यों को बिना किसी निविदा के उससे चावल खरीदने की अनुमति दे दी है। यह चावल 28 रुपये प्रति किलो की नियत कीमत पर बेचा जाएगा। इस निर्णय से कई राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों, को अपनी खाद्यान्न योजनाओं को पुनः प्रारंभ करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का अतिरिक्त चावल एथनॉल उत्पादन के लिए भी उपलब्ध कराया जा सकता है, जो पिछले कुछ महीनों से रुका हुआ है। अनाज से एथनॉल बनाने वाले उत्पादक सरकार से एफसीआई के गोदामों से सस्ते चावल की आपूर्ति बहाल करने की मांग कर रहे हैं, इसलिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है।

उनका कहना है कि ऐसा न होने से उनके संयंत्र बंद होने का खतरा है। और उन्होंने यह भी कहना कि पिछले 6 महीने में खुले बाजार में टूटे चावल की कीमत औसतन 22-24 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 27-29 रुपये प्रति किलो हो गई है। मक्के की कीमत भी औसतन 22-23 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 26-27 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, और इस कीमत पर भी आपूर्ति सीमित है।

GIMA ने सरकार से क्या की है मांग
ग्रेन एथनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जीईएमए) ने हाल ही में केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर एफसीआई के अतिरिक्त चावल की आपूर्ति बहाल करने या तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा एथनॉल की खरीद दर बढ़ाने की मांग की थी। 1 जुलाई को सेंट्रल पूल में चावल का स्टॉक करीब 563.1 लाख टन (धान सहित) था, जो पिछले साल की समान अवधि के स्टॉक की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत अधिक है। साथ ही मौजूदा स्टॉक बफर स्टॉक के मानकों से उल्लेखनीय रूप से अधिक है।

सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों की समिति बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को मौजूदा 950 डॉलर से घटाकर 850 डॉलर करने पर भी विचार कर सकती है। इसके अलावा, कुछ रॉ राइस को 500 डॉलर प्रति टन के हिसाब से निर्यात करने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही, प्रीमियम चावल की किस्मों जैसे सोना मसूरी और गोविंद भोग के निर्यात की भी अनुमति मिल सकती है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।