मंडियों में नई कपास का हुआ आरंभ, कीमतें पहुंचीं MSP के पार | देखे कपास कि तेजी मंदी रिपोर्ट

मंडियों में नई कपास का हुआ आरंभ, कीमतें पहुंचीं MSP के पार | देखे कपास की तेजी मंदी रिपोर्ट
किसान साथियो इस साल कपास की फसल जल्दी तैयार हो जाने से मंडियों में नई कपास ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है। इस समय नई कपास प्रतिदिन करीब 3,000 गांठों की औसत आवक देखि जा रही है। नई कपास की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के भाव से भी ऊपर चल रहीं हैं। आप की जानकारी के लिए बता दे कि कॉटन संगठनों के अनुसार मांग धीरे-धीरे तेजी पकड़े गी और अनुमान लय जा रहा है कि मध्य सितम्बर के बाद आवक में तेजी आ सकती है। आढ़तियों द्वारा बताया जा रहा है कि इस साल कपास की फसल पिछले साल से बेहतर है तथा क्वालिटी भी अच्छी है, परंतु पंजाब में कहीं-कहीं पिंक बॉल-वॉर्म का असर देखा गया है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे
साथियो उत्तर भारत में कपास अथवा रॉ कॉटन 7,000 रूपए प्रति क्विंटल के पार बिक रहा है। मध्यम तथा प्रमुख श्रेणी के कपास का MSP 6,620 रूपए और लोंग स्टेपल कॉटन का MSP 7,020 रूपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। अगर हम बात करे राजस्थान की तो राजस्थान के किसानों ने बताया कि अभी के समय में फसल को तुरंत वर्षा की जरूरत है, जबकि फसल की असली तस्वीर 15 सितम्बर के बाद ही साफ हो सकेगी। अगस्त का पूरा महीना सूखा बीतने के बाद कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कपास उत्पादक क्षेत्रों में करीब दो दिन पहले वर्षा हुई है। देर से वर्षा होने के कारण तथा ICI के ट्रेंड को देखते हुए लगता है की बाजार मजबूत हुआ है। प्रति कैंडी (356 कि. ग्रा.) मूल्य 60,000 रूपए से बढ़कर 62,000 रूपए हो गया है। बता दे कि जानकारों का कहना है कि केवल वे ही मिलें खरीदारी कर रहीं हैं, जिनके पास स्टॉक कम है। अगर देखा जाए तो समस्या स्टॉक की भी नहीं है, बल्कि कम मांग तथा धागे के घरेलू और निर्यात- बाजार में अस्थिरता के चलते मिलें ऊंची कीमत पर नई कपास खरीदने से बच रहीं हैं। उन्होंने बताया कि तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के नंदयाल, येम्मीगनूर, कुरनूल, अडोनी और रायचूर में जिन किसानों ने बोरवेल से सिंचाई करके कपास की फसल तैयार कर ली है, उन्होंने बाजार में अपना उत्पाद लाना शुरू कर दिया है।
दक्षिण भारत के बाजारों में नई कपास की कीमतें 7,400 रूपए से 7,800 रूपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहीं हैं, जबकि पिछले साल यही कीमतें 10,000 रूपए प्रति क्विंटल दर्ज की गई थीं। हमारे सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले साल फसल कम थी और कीमतें आसमान को छू रहीं थीं, जिसके कारण , इस साल भी किसानों ने कीमतें बढ़ने की उम्मीद में कपास को रोक रखा था, जिसके कारण आवक में तेजी नहीं आई थी। वर्षा की अनिश्चितता के कारण आने वाले सीजन में कॉटन की बुवाई में भी कमी आई है। कृषि मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल 1 सितम्बर तक पिछले साल के मुकाबले करीब 3 लाख हेक्टेयर कम बुवाई की गई है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।