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सरसों में आ रहे तेजी के संकेत कितने टिकाऊ? सरसों में अब क्या करें ? देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

sarso rate today

किसान साथियो सितम्बर का महीना चल रहा है। मौसम बदल रहा है। रात की ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। अब ऐसी फिलिंग आने लगी है जैसे सरसों के भाव में अब मंदी का समय समाप्त हो गया है। इस अहसास के पीछे कुछ खास वज़ह है जिसका हम इस पोस्ट में विश्लेषण करने जा रहे हैं।

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ताजा मार्केट अपडेट 

शनिवार के दिन घटे हुए दाम पर सरसों नहीं मिलने के कारण भाव में हल्का सुधार देखने को मिला जयपुर में कंडीशन सरसों के रेट ₹25 तक तेज होकर ₹6450 प्रति क्विंटल पर बंद हुए। गोयल कोटा प्लांट पर सरसों के भाव में ₹100 तक की तेजी देखने को मिली और भाव ₹6400 प्रति क्विंटल तक हो गए। सलोनी प्लांट पर भी सरसों के भाव में ₹25 की तेजी के बाद भाव ₹6950 प्रति क्विंटल तक रहे सरसों की दैनिक आवक घटकर 180000 बोरियों की ही हुई ।

हाजिर मंडियों में सरसों के भाव की बात करें तो राजस्थान की नोहर मंडी में सरसों का भाव ₹5750, प्रति क्विंटल रावतसर में नॉन कंडीशन सरसों 5360, रावला में सरसों का भाव 5990, रायसिंहनगर मंडी में सरसों का टॉप भाव 5775, सादुलशहर मंडी में सरसों का भाव 5735, अनूपगढ़ में सरसों का प्राइस 5850, पीलीबंगा में सरसों का रेट 5751, संगरिया मंडी में सरसों का रेट 5843, श्रीगंगानगर मंडी में सरसों का भाव 5971, श्रीकरणपुर मंडी में सरसों का रेट 5784, बीकानेर मंडी में सरसों का भाव 5700, बूंदी मंडी में सरसों का भाव 5811 रुपए प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया। हरियाणा की मंडियों की बात करें तो ऐलनाबाद मंडी में सरसों का भाव 5963, सिरसा मंडी में सरसों का रेट 5795, आदमपुर मंडी में सरसों का भाव 5917 रुपए प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया। 

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खाद्य तेलों की घट सकती है सप्लाई 

किसान साथियो सरसों के लिए आज अच्छी खबर लाए हैं। हमने अपनी पिछली पोस्ट में भी बताया था कि आयातित तेलों की डिमांड और सप्लाई में अन्तर आ सकता है। चूंकि रविवार होने के कारण वह पोस्ट ज्यादातर किसानों के पास नहीं पहुंच पाई होगी इसलिए वह जानकारी हम दोबारा दोहरा रहे हैं। साथियों जैसा कि आपको पता है कि सरकार ने 20 लाख टन सोया और सूरजमुखी तेल के आयात को शुल्क मुक्त रखा हुआ है। शुल्क मुक्त होने के कारण प्रति किलो तेल 7 रुपये तक सस्ता पड़ रहा है। अगर 20 लाख टन तेल को पूरे साल में विभाजित किया जाए तो लगभग 165000 टन शुल्क मुक्त तेल प्रति महीने आयात कर सकते हैं लेकिन भारत की मासिक डिमांड 250000 टन प्रति महीना के आस पास रहती है ऐसे में प्रति महीना लगभग 85 हजार टन खाद्य तेल के आयात पर शुल्क चुकाना होगा जिससे यह 85 हजार टन तेल 7 रुपये प्रति किलो तक महंगा पड़ेगा। 

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अब समस्या ये है कि एक ही बाजार में इस मंहगे तेल को खरीदने के लिए ग्राहक नहीं मिलेंगे। दूसरी बात यह है कि जिन आयातकों को शुल्क मुक्त तेल उपलब्ध हुआ है वह भी भाव को कम करके नहीं बेच रहे हैं। इससे सरकार को नुक्सान होने के साथ साथ उपभोक्ता को भी फायदा नहीं मिल रहा है। इस तरह की परिस्थिति होने के कारण बहुत सारे आयातक नए सौदों का अनुबंध नहीं कर रहे हैं जिसके कारण आगे चलकर डिमांड और सप्लाई में फासला बढ़ सकता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार को या तो पूरी तरह से तेल को आयात शुल्क मुक्त कर देना चाहिए या फिर पहले की तरह खाद्य तेल आयात पर 5% शुल्क लगा देना चाहिए। क्योंकि एक ही चीज के अलग-अलग भाव होने के कारण मांग और आपूर्ति की श्रंखला प्रभावित हो रही है और उपभोक्ता को भी इसका फायदा नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि आयात शुल्क माफ करने के बाद भी उपभोक्ता को 30 से 40 रुपये प्रति किलो तक तेल महंगा मिल रहा है। आने वाले त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की मांग बढ़नी निश्चित है अगर समय रहते सरकार ने कोई सही निर्णय नहीं लिया तो खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति में समस्या आ सकती है।

सरसों में अब क्या करें 

फिलहाल सरसों को लेकर समस्या यही है कि इंडोनेशिया में पाम तेल के उत्पादन का टॉप सीजन चल रहा है। जिसके कारण वहां पर पाम तेल का स्टॉक बढ़ा हुआ है इसलिए इंडोनेशिया और मलेशिया से आपूर्ति बढ़ने के कारण खाद्य तेलों के भाव पर दबाव बन रहा है। घरेलू बाजार की समस्या यह है कि  इस साल घरेलू मार्केट में सरसों का स्टॉक ज्यादा है जबकि पिछले साल इन दिनों पुराना स्टॉक बहुत कम था ऐसे में सरसों के भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद कम है हालांकि अब कुछ ऐसी परिस्थितियां बनने लगी हैं जिससे भाव में मजबूती बन रही है लेकिन सरसों में बड़ी तेजी मानकर व्यापार करने से बचना चाहिए। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें