सरसों के दामों में फिर से पकड़ी रफ्तार। क्या 7000 के भाव को कर जाएगी पार
किसान साथियों मंगलवार को घरेलू बाजार में सरसों के दामों में एक बार फिर जोरदार तेजी देखने को मिली। जयपुर जैसी प्रमुख मंडियों में सरसों के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके बाद यह 6,700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया। यह उछाल मुख्य रूप से तेल मिलों की बढ़ती मांग, उत्पादक राज्यों से आवक में कमी और किसानों द्वारा स्टॉक रोके जाने जैसे कारकों के संयोजन के कारण देखने को मिला। इसके अलावा इस साल सरसों की खेती और उत्पादन पर कई महत्वपूर्ण कारकों का प्रभाव रहा है, जिसमें मौसम की अनिश्चितता, सरकारी नीतियों में बदलाव, वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और स्थानीय मांग-आपूर्ति का असंतुलन प्रमुख हैं। किसानों और व्यापारियों के बीच इस बात को लेकर गहन चर्चा चल रही है कि क्या यह तेजी आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी या फिर बाजार में एक बार फिर मंदी का दौर शुरू हो जाएगा। आज की इस रिपोर्ट में हम सरसों के बाजार की वर्तमान स्थिति, उसके पीछे के प्रमुख कारणों, विभिन्न मंडियों में प्रचलित भाव और आने वाले समय में क्या संभावनाएं हैं, इन सभी पहलुओं पर गहनता से चर्चा करेंगे।
सरसों के दामों में तेजी
दोस्तों तेल मिलों की मांग बढ़ने से सरसों में तेजी का माहौल बना हुआ है क्योंकि इस समय घरेलू बाजार में सरसों तेल की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। ब्रांडेड तेल मिलों ने अपनी खरीद कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है, जिसका सीधा प्रभाव मंडियों में सरसों के भाव पर पड़ा है। चूंकि तेल की क्रशिंग (पेराई) की दर में कमी आई है, इसलिए तेल की सप्लाई में कमी देखने को मिली है, जिससे कीमतों को मजबूत सपोर्ट मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, खपत का सीजन होने के कारण भी तेल की मांग में वृद्धि हुई है, जिसने दामों को ऊपर की ओर धकेला है।
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आवक में कमी
जहां एक तरफ तेल मिलों की मांग बढ़ी है, वहीं उत्पादक राज्यों की देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली है। देश में सरसों की आवक घटकर 5.25 लाख बोरियों पर आ गई है, जबकि पिछले कारोबारी दिन में यह 5.50 लाख बोरियों तक थी। इसका सीधा अर्थ यह है कि बाजार में सरसों की सप्लाई कम हो रही है, जिससे दामों को तेजी मिल रही है। इस कमी के पीछे किसानों द्वारा स्टॉक रोके जाने और सरकारी एजेंसियों द्वारा स्टॉक की बिक्री में कमी जैसे कारक प्रमुख हैं। क्योंकि किसानों को आने वाले दिनों में सरसों के दामों में और अधिक वृद्धि की उम्मीद है, इसलिए वे अपना माल बाजार में नहीं बेच रहे हैं। इसके अलावा, NAFED और HAFED जैसी सरकारी एजेंसियों ने भी अपने स्टॉक को बाजार में नहीं उतारा है, जिससे सप्लाई पर दबाव बना हुआ है। किसानों की यह रणनीति बाजार में आपूर्ति की कमी को और अधिक बढ़ा रही है, जिसके परिणामस्वरूप दामों में तेजी देखने को मिल रही है।
वैश्विक बाजार का प्रभाव
विदेशी बाजार में खाद्य तेलों (एडिबल ऑयल्स) की कीमतों का रुख मिला-जुला बना हुआ है। जहां मलेशिया में पाम ऑयल के दामों में तेजी देखने को मिली, वहीं शिकागो में सोया ऑयल के दामों में गिरावट दर्ज की गई। चूंकि भारत खाद्य तेलों का एक बड़ा आयातक देश है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव घरेलू बाजार पर पड़ता है। व्यापारियों का मानना है कि अगर वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में और अधिक तेजी आती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव घरेलू सरसों तेल के दामों पर भी देखने को मिल सकता है।
सरसों का स्टॉक स्थिति
भारत में सरसों का कुल स्टॉक इस समय 83.25 लाख टन है, जो पिछले साल (मई 2024) के मुकाबले 13.28 लाख टन कम है। इस स्टॉक को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित करके देखा जा सकता है किसानों के पास स्टॉक: 58.5 लाख टन से बढ़कर 60 लाख टन हो गया है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि किसान अभी भी अपने स्टॉक को बाजार में उतारने से हिचकिचा रहे हैं। - प्रोसेसर और स्टॉकिस्ट के पास स्टॉक: 10.5 लाख टन से घटकर 7.75 लाख टन रह गया है, जो 26.19% की गिरावट को दर्शाता है। यह गिरावट प्रोसेसरों द्वारा स्टॉक को कम करने की रणनीति का परिणाम है। इसके अलावा NAFED/HAFED का स्टॉक: 27 लाख टन से घटकर 15.5 लाख टन रह गया है, जो 42.59% की भारी गिरावट को दर्शाता है। यह गिरावट सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने स्टॉक को बाजार में तेजी से उतारे जाने के कारण हुई है। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि सरकारी एजेंसियों ने अपना स्टॉक तेजी से बाजार में उतार दिया है, जबकि किसान अभी भी अपना माल रोके हुए हैं। यह स्थिति बाजार में आपूर्ति की कमी को और अधिक बढ़ा रही है, जिससे दामों को सपोर्ट मिल रहा है
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प्रमुख मंडियों में सरसों के भाव
दोस्तों अगर सरसों के ताजा भाव की बात की जाए तो आज जयपुर में सरसों का भाव 6,700 रुपये प्रति क्विंटल (50 रुपये की तेजी) - दिल्ली (42% कंडीशन): 6,500 रुपये प्रति क्विंटल भरतपुर (लोकल): 6,400 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं वहीं - प्लांट्स पर सरसों के भाव: शमसाबाद (आगरा) 7,325 रुपये प्रति क्विंटल - बीपी आगरा 7,125 रुपये प्रति क्विंटल - शारदा प्लांट पर 7,100 रुपये प्रति क्विंटल और गोयल कोटा प्लांट पर 6,500 रुपये प्रति क्विंटल देखे जा रहे हैं
क्या आगे भी तेजी जारी रहेगी
दोस्तों अगर वैश्विक बाजार से सपोर्ट मिलता है और सरकारी नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, तो सरसों के भाव 6,850 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकते हैं। हालांकि, अगर विदेशी बाजार में गिरावट आती है या सरकार आयात शुल्क घटाती है, तो दामों में कमजोरी आ सकती है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि - जिन किसानों को नकदी की जरूरत है, वे थोड़ा माल बेच सकते हैं। और जो लॉन्ग टर्म में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं, वे अभी स्टॉक रोक सकते हैं। क्योंकि सरसों का बाजार इस समय मजबूत फंडामेंटल्स के साथ चल रहा है। मांग बढ़ने, सप्लाई कम होने और किसानों द्वारा स्टॉक रोकने के कारण सरसों के दामों में यह तेजी आई है। हालांकि, वैश्विक बाजार और सरकारी नीतियां आगे की दिशा तय करेंगी। किसानों और व्यापारियों को बाजार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखना चाहिए। व्यापारी वर्ग व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।